कोरोना वायरस महामारी का भारी कहर झेल रहे भारत की मदद के लिए अमेरिका के रुख में अचानक बड़ा बदलाव आया है. दरअसल जो बाइडेन प्रशासन ने अब जुमलेबाजी से आगे बढ़ते हुए भारत को जरूरी मेडिकल सप्लाई समेत हर तरह का सहयोग देने का भरोसा दिया है.
व्हाइट हाउस ने रविवार को कहा कि अमेरिका ने कोविशील्ड वैक्सीन के भारतीय मैन्युफैक्चरर के लिए तत्काल जरूरी कच्चे माल के स्रोतों की पहचान की है जिनको तुरंत भारत को उपलब्ध कराया जाएगा. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान और उनके भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने यह बात कही.
बाइडेन प्रशासन ने कहा था- 'हमारे लिए अमेरिकी पहले'
हालांकि पिछले हफ्ते ही अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से जब यह पूछा गया था कि बाइडेन प्रशासन कोरोना वैक्सीन के कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक को उठाने के भारत के अनुरोध पर कब फैसला लेगा तो उन्होंने कहा था, ‘‘अमेरिका सबसे पहले, और जो जरूरी भी है, अमेरिकी लोगों के वैक्सीनेशन के काम में लगा है. यह वैक्सीनेशन प्रभावी और अब तक सफल रहा है.’’
उन्होंने कहा था कि जहां तक बाकी दुनिया की बात है, ‘‘हम अपने पहले दायित्व को पूरा करने के साथ जो कुछ भी कर सकेंगे वो करेंगे.’’
अब भारत की मदद के लिए सामने आया शीर्ष नेतृत्व
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्वीट कर कहा है, ‘‘जैसे भारत ने अमेरिका को मदद भेजी थी, जब महामारी की शुरुआत में हमारे अस्पतालों पर दबाव बहुत बढ़ गया था, वैसे ही हम जरूरत के इस वक्त में भारत की मदद के लिए दृढ़ हैं.”
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है. उन्होंने कहा है, “अमेरिका COVID-19 के चिंताजनक प्रकोप के दौरान अतिरिक्त सहयोग और आपूर्तियां भेजने के लिए भारतीय सरकार के साथ करीब से काम कर रहा है. सहायता देने के साथ ही हम भारत के निडर स्वास्थ्यकर्मियों समेत उसके नागरिकों के लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं.”
बाइडेन और हैरिस के ये ट्वीट भारत में COVID-19 के हालिया घातक प्रकोप के बाद शीर्ष अमेरिकी नेतृत्व की ओर से दी गई पहली प्रतिक्रिया हैं.
भारत की मदद के लिए बाइडेन प्रशासन पर बढ़ रहा था दबाव
कोरोना संकट से जूझ रहे भारत की ठोस मदद के लिए बाइडेन प्रशासन पर सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों से लेकर भारतीय-अमेरिकी समुदाय तक का दबाव था. जब देश की संसद राजनीतिक विचारों को लेकर दो धुर विरोधी खेमों में बंटी हुई है, ऐसे में बेहद दुर्लभ कदम उठाते हुए, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद मार्क वॉर्नर और विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के जॉन कोर्निन ने संयुक्त रूप से व्हाइट हाउस से आह्वान कर भारत में उसकी मदद को बढ़ाने और तेजी देने को कहा.
वॉर्नर ने कहा था, “सीनेट की भारत कॉकस के सह प्रमुखों के तौर पर हम COVID-19 संकट के बीच भारत में हमारे मित्रों की मदद के लिए हरसंभव कोशिश करने की अपील करते हैं.”
डेमोक्रेटिक पार्टी के ही सांसद एडवर्ड मार्के ने भारत का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘हमारे पास जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए सारे संसाधन हैं और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है.’’ मार्के ने कहा था, ‘‘अमेरिका के पास ज्यादा वैक्सीन हैं लेकिन हम भारत जैसे देशों को इसे मुहैया कराने से इनकार कर रहे हैं.’’
भारतवंशी सांसद रो खन्ना ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट आशीष के झा के एक ट्वीट को शेयर करते हुए कहा था, ‘‘भारत में COVID-19 से भयावह स्थिति है. लोगों को टीके देने में भी मुश्किलें हो रही है.’’
झा ने कहा था, ‘‘अमेरिका के पास एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 3.5 से चार करोड़ अतिरिक्त खुराकें हैं जिनका कभी इस्तेमाल नहीं हो पाएगा. क्या हम इन्हें भारत पहुंचा सकते हैं. इससे उन्हें मदद मिलेगी.’’
वहीं, भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा था, “अमेरिका के भंडार में हमारे पास एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की करीब चार करोड़ खुराकें पड़ी हैं, ऐसा भंडार जिसका हम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा था, “जब भारत और दूसरी जगहों पर लोगों को मदद की बहुत जरूरत है तब हम टीकों को गोदाम में यूं ही नहीं रख सकते हैं, हमें उन्हें वहां पहुंचाना होगा जहां उनसे जानें बच सकती हैं.”
इसके अलावा ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट की तन्वी मदान ने एक ट्वीट में कहा था कि बाइडेन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में अर्जित साख को गंवा रहा है.
मदान ने कहा था, “भारत के लोगों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और ईरानी विदेश मंत्री के ट्वीट देखे हैं, रूस और चीन से मदद की पेशकश देखी है, ऐसे देश से भी जिससे उसकी दुश्मनी है, लेकिन उसे अमेरिका के किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से कोई पेशकश नहीं मिली है. बाइडेन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में हासिल साख को गंवा रहा है.”
बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का हिस्सा रहीं, भारतीय-अमेरिकी सोनल शाह ने कहा था कि उन्होंने भारत में अपने परिवार के पांच सदस्यों को खो दिया है.
शाह ने कहा था, “भारत में COVID संकट बहुत भयावह है और यह अगर इससे भी ज्यादा भयावह हुआ तो यह एक मानवीय संकट बन जाएगा. हमारी सरकार को कुछ करने की जरूरत है.”
हेरिटेज फाउंडेशन थिंक टैंक के जेफ एम स्मिथ ने कहा था कि यह याद करना बहुत जरूरी है कि जब न्यूयॉर्क और अमेरिका के अन्य हिस्से 2020 के अंत में जन स्वास्थ्य आपदा का सामना कर रहे थे तब भारत सरकार ने घरेलू स्तर पर तमाम आलोचनाएं झेलने के बावजूद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर से निर्यात प्रतिबंध हटा लिया था.
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