केंद्र सरकार ने शनिवार को उस रिपोर्ट का खंडन किया है जिसमें कयास लगाया गया था कि देश में COVID-19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से ‘‘पांच से सात गुना’’ तक ज्यादा हो सकती है.
सरकार ने कहा है कि यह कयास महामारी विज्ञान संबंधी सबूतों के बिना महज आंकड़ों के आकलन पर आधारित है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बिना नाम लिए यह रिपोर्ट पब्लिश करने वाली पत्रिका पर निशाना साधा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंत्रालय ने द इकनॉमिस्ट की ओर से प्रकाशित लेख को कयास लगाने वाला, बिना किसी आधार वाला और भ्रामक करार दिया है.
मंत्रालय ने कहा है कि पत्रिका में जिन स्टडी का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया गया है वे किसी भी देश या क्षेत्र के मृत्युदर का पता लगाने के लिए विधिमान्य टूल्स नहीं है. इसके साथ ही मंत्रालय ने कई कारण गिनाए हैं, जिनकी वजह से जिन स्टडी का इस्तेमाल पत्रिका ने किया है, 'उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.'
मंत्रालय ने कहा कि पत्रिका ने जिस तथाकथित सबूत का हवाला दिया है, वो वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लाफलर की स्टडी मानी जाती है. इसके आगे कहा गया है, ‘’वैज्ञानिक डाटाबेस जैसे पबमेड, रिसर्च गेट आदि में इंटरनेट पर रिसर्च स्टडी की तलाश की गई लेकिन यह नहीं मिली, स्टडी करने के तरीके की जानकारी भी पत्रिका ने उपलब्ध नहीं कराई.’’
बयान में कहा गया है, ‘‘जो एक और सबूत दिया गया कि वो तेलंगाना में बीमा दावों के आधार पर की गई स्टडी है, लेकिन समीक्षा किया गया वैज्ञानिक आंकड़ा ऐसी स्टडी को लेकर नहीं है.’’
मंत्रालय ने कहा है,‘‘दो और अध्ययन पर भरोसा किया गया है जिन्हें चुनाव विश्लेषण समूह ‘प्रश्नम’ और ‘सी वोटर’ ने किया है जो चुनाव नतीजों का पूर्वानुमान और विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं. वे कभी भी जन स्वास्थ्य रिसर्च से जुड़े नहीं हैं. चुनाव विज्ञान के अपने क्षेत्र में भी, चुनाव नतीजों का अनुमान लगाने के लिए उनके तरीके कई बार सटीक नहीं रहे हैं.’’
बयान में कहा गया है कि अपने खुद के प्रस्तुतीकरण में, पत्रिका कहती है कि इस तरह के अनुमानों को अस्पष्ट और अक्सर अविश्वसनीय स्थानीय सरकारी आंकड़ों से, कंपनी के रिकॉर्ड से और मृत्युलेख जैसी चीजों के विश्लेषण से निकाला गया है.
मंत्रालय ने कहा है कि सरकार कोविड आंकड़ों के प्रबंधन के मामले में पारदर्शी है, मौतों की संख्या में विसंगति से बचने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई 2020 में दिशानिर्देश जारी किए थे.
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