ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुफ्त से ₹1200 :वैक्सीन के लिए कितना भुगतान करना होगा?

अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक द्वारा जारी मूल्यों में जीएसटी जुड़ा है कि नहीं.

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारत बायोटेक लिमिटेड ने अपने स्वदेशी वैक्सीन ,कोवैक्सीन की कीमत राज्यों के लिए ₹600 प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए ₹1200 प्रति डोज रखा है. कोवैक्सीन, जिसका विकास सरकार द्वारा वित्त पोषित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से हुआ है, की कीमत कोविशिल्ड से अधिक है. कोविशिल्ड, जो कि एस्ट्रेजनेका वैक्सीन का भारतीय संस्करण है, का आविष्कार यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड द्वारा और भारत में उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज्यों के लिए खरीद मूल्य

  • कोविशिल्ड: ₹400 प्रति डोज
  • कोवैक्सीन: ₹600 प्रति डोज

निजी अस्पतालों के लिए खरीद मूल्य

  • कोविशिल्ड:₹600 प्रति डोज
  • कोवैक्सीन:₹1200 प्रति डोज
अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक द्वारा जारी मूल्यों में जीएसटी जुड़ा है कि नहीं.

दोनों वैक्सीन डबल डोज वाली है.

वर्तमान में भारत में केवल दो वैक्सीन उपलब्ध है जिन्हें केंद्र सरकार खरीद रही है और सरकारी अस्पतालों( मुक्त) तथा निजी अस्पतालों (प्रतिडोज 150 ₹ तक) के माध्यम से नागरिकों को लगाने के लिए राज्यों को उपलब्ध करा रही है.

कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड और उच्च स्तर तक शुद्ध वैक्सीन है जिसके कारण उसका उत्पादन महंगा है. भारत बायोटेक ने यह बात 24 अप्रैल को मूल्यों की जानकारी देते हुए कही. उसके अनुसार प्रोडक्ट डेवलपमेंट, उत्पादन और क्लिनिकल ट्रायल से जुड़े सारे खर्चों को कंपनी ने आंतरिक संसाधनों से पूरा किया है.

सीरम इंस्टीट्यूट ने 21 अप्रैल को बयान जारी करते हुए कहा था कि वैश्विक वैक्सीन मूल्यों को देखते हुए हम यह आश्वस्त करते हैं कि हमारी वैक्सीन विश्व की अन्य वैक्सीन की अपेक्षा सस्ती है.

यह दोनों निजी कंपनियां है और वैक्सीन उत्पादन की लागत की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं है, ना ही उनके लाभांश की जानकारी. दोनों कंपनियां अपने उत्पादन क्षमता का प्रसार कर रही है ताकि घरेलू और निर्यात मांगों को पूरा कर सकें.

नये पात्रता के बाद एक अनुमान के अनुसार लगभग 80 से 90 करोड़ भारतीय अब वैक्सीनेशन नेशन के लिए पात्र हैं. 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के भारतीय अब वैक्सीनेशन के पात्र हैं.

इस जनसंख्या को वैक्सीनेट करने के लिए भारत को 170 से 180 करोड़ डोज की जरूरत होगी. को-विन डाटा के अनुसार अभी तक 13.81 करोड़ डोज लगा दिए गए हैं, जिनमें सिर्फ 2.10 करोड़ भारतीयों को ही दोनों डोज लगा है .

0

आपको कितना भुगतान करना होगा?

संक्षेप में...

हेल्थ केयर,फ्रंटलाइन वर्कर्स:

  • सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीन, केंद्र सरकार के सौजन्य से, पहले से ही प्रक्रिया में है.

45 से अधिक उम्र वाले:

  • सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीन, केंद्र सरकार के सौजन्य से, प्रक्रिया में है.

18 से 45 वर्ष उम्र वाले:

  • कुछ राज्यों ने कहा है कि वह वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करवाएंगे, संभवतः सरकारी अस्पतालों में. इसकी शुरुआत 1 मई से होगी.
  • कुछ अन्य राज्य रियायती दर पर वैक्सीन उपलब्ध करवा सकते हैं , संभवतः सरकारी अस्पतालों में, शुरुआत 1 मई से होगी.
  • कुछ राज्यों में पूरा खर्च नागरिकों को स्वयं वहन करना पड़ सकता है

1 मई के बाद कोई भी नागरिक कोविशिल्ड के लिए ₹600 और कोवैक्सीन के लिए 1200 रुपए भुगतान कर के निजी अस्पतालों, जहां वैक्सीनेशन हो रहा हो, में वैक्सीन लगवा सकता है .निजी अस्पताल उन वैक्सिनों का आयात भी कर सकते हैं जिन की मंजूरी भारतीय अथॉरिटी ने दे दी है.

परंतु यह सब वैक्सीन की आपूर्ति पर निर्भर करेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन आपूर्ति की स्थिति

वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की मिलाकर क्षमता 12 करोड़ डोज प्रति महीना है. घोषित क्षमता प्रसार के बाद जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 20 करोड़ डोज प्रतिमाह तक हो सकती है.

भविष्य में फीजर,मोडेर्ना और J&J कि वैक्सीने भी आयात होकर आ सकती है. उनके मूल्यों का अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि उनका करार विभिन्न देशों से अलग अलग है. रिपोर्टों के मुताबिक उनका मूल्य $2 से $35 तक हो सकता है.

जून तक रूस का स्पूतनिक v का आयात डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज लिमिटेड करने लगेगी और अनुमानतः $10 या 750 रुपए प्रति डोज के मूल्य में बेचेगी. रूस ने दूसरे फार्मा कंपनियों से भी स्पूतनिक के भारत में उत्पादन के लिए करार किए हैं, परंतु उसकी समय सीमा अभी ज्ञात नहीं है

काडिला हेल्थ केयर लिमिटेड भी भारत में उत्पादन करने के इच्छुक है, जब उसको अपने वैक्सीन की मंजूरी मिल जाएगी

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चिंता के दो मुद्दे

सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के द्वारा मूल्यों की घोषणा ने दो मुद्दे उठाए हैं:

राज्य और केंद्र के लिए अलग-अलग मूल्य

अभी तक दोनों उत्पादक केंद्र सरकार को 150₹ प्रतिरोज के मूल्य पर आपूर्ति कर रहे हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार उस वैक्सीन को सरकारी अस्पतालों को मुफ्त और निजी अस्पतालों को 150₹ में उपलब्ध करा रही है. यह चलता रहेगा.

हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट ने एक मीडिया इंटरव्यू में यह इशारा किया था कि केंद्र सरकार को भी वैक्सीन के लिए ₹400 प्रति डोज देना पड़ सकता है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ट्वीट के माध्यम से यह जताया है कि वह 150₹ प्रति डोज मूल्य पर ही खरीदती रहेगी.

भारत बायोटेक द्वारा मीडिया में दिए गए बयान से संकेत मिलता है कि वह केंद्र सरकार को 150₹ प्रति डोज पर ही वैक्सीन आपूर्ति करते रहेगी. उसने यह भी बयान दिया है कि निर्यात वह $15 से $20 प्रति डोज पर करेगी.

राज्यों को सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन खरीदने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे मूल्य से दुगना भुगतान करना होगा और भारत बायोटेक से खरीदने के लिए केंद्र सरकार से 4 गुना ज्यादा भुगतान करना होगा. जहां केंद्र सरकार ने 30 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी ली है वही राज्यों को दुगना भार सहते हुए उससे ज्यादा जनसंख्या को वैक्सीनेट करना होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

टैक्स को लेकर अस्पष्टता

अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक द्वारा जारी मूल्यों में जीएसटी जुड़ा है कि नहीं. दोनों उत्पादकों ने अपने वक्तव्य में टैक्स का जिक्र नहीं किया था.

इससे पहले राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 9 मार्च को संसद में कहा कि केंद्र सरकार सीरम इंस्टीट्यूट को टैक्स मिलाकर ₹210 प्रति डोज भुगतान कर रही है.

24 अप्रैल को केंद्र सरकार ने आयात किए जाने वाले वैक्सिनों और दूसरे अन्य आवश्यक मेडिकल आयातों जैसे ऑक्सीजन टैंक आदि पर से कस्टम ड्यूटी माफ कर दिया था.

अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक द्वारा जारी मूल्यों में जीएसटी जुड़ा है कि नहीं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन की अब तक की कहानी

भी तक पूरा वैक्सीनेशन केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. सिर्फ हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 से अधिक उम्र वाले लोग ही वैक्सीनेशन के लिए पात्र हैं .

पिछले सप्ताह के पॉलिसी चेंज के बाद 18 या उससे ज्यादा उम्र के लोग भी 1 मई से वैक्सीन के लिए पात्र हो जाएंगे. यह जिम्मेदारी अब राज्य सरकारों की होगी. वैक्सीन उत्पादकों को भी खुले बाजार में वैक्सीन को बेचने की मंजूरी मिल गई है -जहां निजी संस्थान, जैसे कॉरपोरेट और निजी अस्पताल, वैक्सीन खरीद सकेंगे .

कई राज्यों ने मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कही है. कई कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों और समुदायों को वैक्सीनेट करने की बात कही है.

सीरम इंस्टीट्यूट ने कॉरपोरेट और निजी व्यक्तियों से गुजारिश की है कि वह राज्य स्वास्थ्य तंत्र और निजी स्वास्थ्य तंत्र के माध्यम से ही वैक्सीन ले.

अपने बयान में उसने कहा कि चार-पांच महीने में वैक्सीन बाजार में खुले में मिलने लगेंगे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×