ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन का नहीं, वैक्सीन के सपने का रजिस्ट्रेशन?

दुनिया में वैक्सीन सप्लाई का अरमान रखने वाली सरकार के पास अपने देश के 22.5% लोगों को ही वैक्सीनेट करने का प्लान है

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

कोरोना का भयानक अटैक और उनसे लड़ने के हथियार पूरे नहीं. ऑक्सीजन नहीं, बेड नहीं, वेंटिलेटर नहीं. उम्मीद यही कि किसी तरह वैक्सीन लग जाए तो जान बचे. लेकिन लग रहा है कि देश की ज्यादातर आबादी को सरकार ने इस मोर्चे पर फेल कर दिया है. ब्रेकिंग व्यूज में आज आपको वैक्सीन पर सरकार का गड़बड़ गणित समझाते हैं.

0

हमारी ज्यादातर वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट से आ रही है. उसी सीरम ने बताया है कि उसे आजतक 26 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर सरकार से मिला है. सरकार ने खुद बताया है कि उसने भारत बायोटेक को 7 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. मिलाकर हुए 33 करोड़. डेक्कन हेराल्ड ने कॉमडोर लोकेश बत्रा की आरटीआई की हवाले से बताया है कि सरकार ने 35.1 करोड़ डोज वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. दो डोज के हिसाब से 35 करोड़ डोज का मतलब हुआ 17.5 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन. तमाम उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक

सीरम ने अपने स्टेटमेंट में ही बताया है कि उसके पास 10 करोड़ डोज का अलग ऑर्डर राज्य सरकारों और अस्पतालों के लिए है. यानी 35 और 10 ....45 करोड़.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
चूंकि अभी तक वैक्सीन 18 साल से ऊपर के लोगों को लगना है तो समझने के लिए मान लेते हैं कि 100 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगनी है. 100 करोड़. मतलब हमें 200 करोड वैक्सीन डोज चाहिए. लेकिन 200 करोड़ के अगेंस्ट हमने सिर्फ 45 करोड़ सिक्योर किया है. यानी जितना चाहिए उसका महज 22.5%
ADVERTISEMENTREMOVE AD

45 करोड़ वैक्सीन डोज मतलब 22.5 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन

जबकि वैक्सीन योग्य आबादी है 100 करोड़. यानी सिर्फ 22.5% आबादी के लिए इंतजाम इतनी मात्रा सिक्योर हुई है, मिली नहीं है. 45 करोड़ में से 26 करोड़ डोज अभी मिलने हैं. मई, जून और जुलाई में मिलने की उम्मीद है. विश्व को वैक्सीन सप्लाई करने के अरमान रखने वाली सरकार ने अब तक अपने देश के सिर्फ 22.5 फीसदी लोगों को वैक्सीनेट करने का प्लान बनाया है. ताज्जुब है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इससे कोरोना काबू में आ जाएगा? - नहीं

दुनिया में कोविड के सबसे बड़े एक्सपर्ट में से एक अमेरिका के मशहूर डॉक्टर एंथनी फाउची का कहना है कि 60-70 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगे तो ही कोरोना को काबू में किया जा सकता है. लेकिन हमारी तो योजना ही है जुलाई तक महज 16 फीसदी आबादी को वैक्सीन देने की.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब दो सवाल उठते हैं

  1. सरकार ने जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का टारगेट रखा था, यानी 60 करोड़ डोज वैक्सीन. तो 3 मई तक सिर्फ 22.5 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन का ऑर्डर देकर क्यों बैठी है?
  2. 139 करोड़ की आबादी वाले देश की सरकार सिर्फ 22.5 फीसदी लोगों के लिए वैक्सीन का इंतजाम करके क्यों रुकी हुई है. उसे किस बात का इंतजार है? हम सेकंड वेव के भयंकर चपेट में हैं. लोग मर रहे हैं. आगे की आबादी को वैक्सीन करने का क्या प्लान है? कहां है?
ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक मई को जब 18+ के लिए भी वैक्सीनेशन के दरवाजे खोले गए तो सिर्फ इसी दिन सवा करोड़ के करीब लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. यानी पब्लिक अब वैक्सीन के लिए बेताब है. और सरकार उन्हें वैक्सीन के सपने बेच रही है. स्कूल, दफ्तर में वैक्सीनेशन सेंटर खोले जा रहे हैं. मुफ्त बांटने के ऐलान हो रहे हैं. वैक्सीन घर जाकर देंगे, ऐसा कहा जा रहा है. सच्चाई ये है कि नए लोगों को बहुत कम संख्य में वैक्सीन मिलनी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
केंद्र,राज्यों और अस्पतालों को सीरम से नए ऑर्डर के 21 करोड़ डोज मिलने वाले हैं और भारत बायोटेक से 5 करोड़. यानी कुल 26 करोड़. 3 मई को जारी सरकारी डेटा के मुताबिक कुल 15.72 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए गए हैं. इनमें से 12.83 करोड़ लोगों को सिंगल डोज मिला है और 2.83 लोगों को डबल डोज. यानी जो 26 करोड़ डोज मिलने वाले हैं उनमें से 12.83 करोड़ तो उन्हें मिलना हैं जो पहले से ही सिंगल डोज ले चुके हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

यानी बाकी बचे करीब 15 करोड़ डोज़. यानी कि जुलाई तक महज 7.5 करोड़ नए लोगों को वैक्सीन मिलनी है. हो सकता है सरकार स्पुतनिक से कोई बड़ा करार कर ले. लेकिन उसकी जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं है. और ये करार होता भी है तो क्या स्पुतनिक भारत जैसे बड़े देश की जरूरत पूरा करने की स्थिति में है. क्योंकि उसके 60 देशों में पहले से कमिटमेंट हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये किस तरह की रणनीति है? या अपने ही लोगों के साथ झूठ की राजनीति है? खाली आशा है भरोसा कुछ नहीं. जिम्मेदार कौन है? अदार पूनावाला ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वैक्सीन की कमी के लिए मैं नहीं, सरकारी नीति है जिम्मेदार है. मुझे बेवजह निशाना बनाया जा रहा, हमें जब कोरोना वैक्सीन ऑर्डर ही नहीं मिला था तो हम क्षमता क्यों बढ़ाते?

समझने वाली बात है कि पूनावाला एक कारोबारी हैं. वो क्यों उस उत्पादन का क्षमता निर्माण करेंगे जिसका ऑर्डर उन्हें मिला ही नहीं. कल को सरकार चार दूसरे उत्पादकों से करार कर ले तो सीरम क्षमता निर्माण पर जो खर्च करेगा उसकी भरपाई कौन करेगा?
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पूनावाला ने पहली बार अपनी स्थिति नहीं साफ की है. 4 जनवरी, 2021 को एक इंटरव्यू में पूनावाला ने बताया था उन्हें अब भी सरकार से ऑर्डर का इंतजार है. यानी 16 जनवरी को जब सरकार ने वैक्सीनेशन कैंपेन शुरू किया था तो उसके दो हफ्ते पहले तक सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता को ऑर्डर ही नहीं मिला था. तो जब ऑर्डर ही नहीं था, उसे कैसे पता चलता कि कितनी वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बनानी है. हालात आगे भी नहीं बदले. हाल तक सीरम कह रहा था कि वो क्षमता बढ़ाए कैसे, 3000 हजार करोड़ रुपए चाहिए जो हैं नहीं..

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये सब उस कंपनी के साथ हो रहा था जिसपर देश के लिए ज्यादातर वैक्सीन तैयार करने की जिम्मेदारी थी. आज के टोटल ऑर्डर का हाल देख कह सकते हैं कि हालात अब भी नहीं बदले. ये हाल तब है जब हमारे लिए वैक्सीन का मुख्य सोर्स ही सीरम है. स्पुतनिक को अब अप्रूवल मिला है. फाइजर और मॉडर्ना के लिए आज हम पलक पावड़े बिछाए बैठे हैं लेकिन वो आए नहीं हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अमेरिका ने किसी भी वैक्सीन के ईजाद से पहले सात कंपनियों से करार किया था. उन्हें एडवांस में पैसा दिया था. आज उसके पास जरूरत से ज्यादा वैक्सीन है और हम उनसे मांग रहे हैं. जुमलापसंद जनता को सुनकर अच्छा नहीं लगेगा लेकिन आज हम वैक्सीन निर्यातक से आयातक और अब याचक बन गए हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×