पहली बार पेरू में पाए गए कोरोना वायरस (Coronavirus) के लैम्बडा वेरिएंट (Lambda variant) के डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा ट्रांसमिसिबल होने की आशंका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 जून को लैम्बडा को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया था, अब यह 25 से ज्यादा देशों में पाया गया है, यूके के स्वास्थ्य विभाग ने 5 जुलाई को एक ट्वीट में इसे लेकर चेतावनी दी थी.
क्या है लैम्बडा वेरिएंट?
लैम्बडा वेरिएंट, जिसे C.37 के तौर पर भी जाना जाता है, B.1.1.1 वंश के अंतर्गत आता है. यह पहली बार अगस्त 2020 में पेरू में पाया गया था और अप्रैल 2021 से देश में पाए गए 81 फीसदी से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार है.
संयोग से, मई के अंत तक, पेरू दुनिया में सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाला देश बन गया.
और किन देशों में फैला है लैम्बडा वेरिएंट?
यह वेरिएंट 25 से ज्यादा देशों में पाया गया है. चिली, अर्जेंटीना और इक्वाडोर में भी इसकी अहम मौजूदगी है. हाल ही में यूके और ऑस्ट्रेलिया में भी इसका पता चला था.
क्या भारत को इससे चिंतित होने की जरूरत है?
भारत में अभी तक लैम्बडा वेरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है. पड़ोसी देशों - जो डेल्टा वेरिएंट के प्रसार से जूझ रहे हैं - में भी इसके मामले दर्ज नहीं हुए हैं.
हालांकि, फ्रांस, जर्मनी, यूके और इटली जैसे देशों - जिनका भारत के साथ यात्रा समझौता है - में यह वेरिएंट दर्ज हुआ है.
हालांकि, पिछले कुछ वक्त से भारत के कई राज्यों में कोरोना पाबंदियों में ढील दी जा रही है, ऐसे में लैम्बडा जैसे किसी वेरिएंट के फैलने के खतरे को भी ध्यान में रखना होगा.
कितना खतरनाक है लैम्बडा वेरिएंट?
चिली में शोधकर्ताओं की ओर से हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि इस वेरिएंट में अल्फा और गामा वेरिएंट (क्रमशः यूके और ब्राजील में पहली बार पाए जाने वाले वेरिएंट) की तुलना में ज्यादा संक्रामकता है.
अध्ययन ने लैम्बडा वेरिएंट के खिलाफ चीनी Sinovac वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी की ओर भी इशारा किया.
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