सोमवार, 3 जनवरी से 15 से 18 उम्र के बच्चों को Covid19 वैक्सीन लग रहा है. मौजूदा वक्त में कोवैक्सीन ही मात्र एक ऐसा टीका है, जो बच्चों को दिया जा रहा है. आइए जानते हैं कि यह बच्चों के लिए कितना असरदार होगा...
बच्चों के लिए कोवैक्सिन को कैसे मंजूरी दी गई?
भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सिन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा बच्चों में आपातकालीन उपयोग के लिए अप्रूव किया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत बायोटेक ने 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल का रिजल्ट सब्मिट किया है.
सेन्ट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने बच्चों पर इसको प्रयोग में लाने की सिफारिश की है.
क्लीनिकल ट्रायल कब किया गया था?
क्लीनिकल ट्रायल जून और सितंबर 2021 के महीनों के बीच किए गए थे.
कितने बच्चों पर ट्रायल किए गए?
क्लीनिकल ट्रायल 2 से 18 वर्ष की उम्र के 525 बच्चों पर किए गए थे.
उन्हें 175 बच्चों के तीन समूहों में बांटा गया था.
12-18 साल
6-12 साल
2-6 साल
बच्चों के लिए कोवैक्सीन की क्या खुराक है?
तीनों आयु वर्ग के बच्चों को 28 दिनों के अंतराल पर 0.5 मिली कोवैक्सिन दिया गया, जो युवाओं को दी जाने वाली डोज के बराबर है.
क्या कोवैक्सीन बच्चों के इम्यून रिस्पॉन्स में सुधार लाती है?
बच्चों को कोवैक्सीन का डोज देने के पहले और बाद में इम्यून रिस्पॉन्स की तुलना इस प्रकार थी...
युवाओं की तुलना में बच्चों में एन्टीबॉडी रिस्पॉन्स अधिक था.
औसतन बच्चों ने एडल्ट्स की तुलना में 1.7 गुना अधिक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी विकसित की.
मायोकार्डिटिस या ब्लड क्लॉट्स के कोई मामले सामने नहीं आए.
क्या कोवैक्सीन बच्चों के लिए सुरक्षित है?
बच्चों को कोवैक्सिन के डोज देने के बाद कोई मौत या प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया. खून के थक्के या मायोकार्डिटिस के कोई मामले सामने नहीं आए.
क्या बच्चों में Covaxin के कोई साइड इफेक्ट बताए गए हैं?
मामलों में रिपोर्ट किया गया सबसे आम साइड इफेक्ट है वैक्सीन लगवाने की जगह पर दर्द होना.
भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि कुल 374 मामलों में या तो हल्के या मध्यम गंभीरता के लक्षण पाए गए, जिनमें से 78.6 प्रतिशत एक दिन के अंदर ही सॉल्व गए. बयान में कहा गया है कि इंजेक्शन की जगह पर दर्द होना सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव था.
डीसीजीआई ने कट-ऑफ उम्र 12 साल क्यों तय की?
अभी तक इके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि डीसीजीआई ने कट ऑफ उम्र 12 क्यों निर्धारित की, जबकि 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल सफल रूप से किया गिया गया.
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