राजधानी दिल्ली में रोजाना करीब 300 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो रही है. लेकिन अब तक केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर मुद्दा नहीं सुलझ पाया है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार दिल्ली को पहली बार 700 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन मिली. 5 मई को ऑक्सीजन की 730 मीट्रिक टन सप्लाई होने के बाद लगा कि अब कोर्ट के आदेश के मुताबिक रोजाना दिल्ली को इतनी ही ऑक्सीजन मिलेगी और पिछले कई दिनों से चल रही समस्या का हल हो जाएगा.
लेकिन ऐसा हुआ नहीं, दिल्ली में 6 मई को 577 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई हुई. यानी कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मिल पाया. इस बात के दो मतलब हैं, पहला ये कि दिल्ली के अस्पतालों और मरीजों को अब भी ऑक्सीजन के लिए भागदौड़ करनी पड़ सकती है. वहीं दूसरा मतलब ये है कि केंद्र और दिल्ली के बीच इस महामारी के दौर में भी ये झगड़ा सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है.
700 MT ऑक्सीजन मिलने के बाद केजरीवाल की PM को चिट्ठी
अब आपको बताते हैं कि दिल्ली सरकार ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलने के बाद क्या कहा था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 5 मई को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें इस सप्लाई के लिए धन्यवाद दिया गया. लेकिन ये चिट्ठी धन्यवाद के लिए कम और इसमें लिखी दूसरी लाइन के लिए ज्यादा थी. चिट्ठी में आगे लिखा गया था कि दिल्ली को ऐसे ही रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई मिले और इसमें कोई कटौती नहीं की जाए.
इतना ही नहीं, दिल्ली के सीएम शायद पहले से ये जानते थे कि ऑक्सीजन की सप्लाई में फिर से कटौती हो सकती है, तो इससे पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर दी. जिसमें कहा गया कि, अगर दिल्ली को केंद्र की तरफ से रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलती है तो करीब 9 हजार से ज्यादा ऑक्सीजन बेड तैयार कर दिए जाएंगे. साथ ही केजरीवाल ने कहा कि ऐसा होने पर दिल्ली में एक भी मरीज ऑक्सीजन की कमी से नहीं मरेगा.
‘केंद्र ने अगले ही दिन कम कर दी ऑक्सीजन’
अब अगले ही दिन यानी 6 मई को दिल्ली में ऑक्सीजन की कुल 577 मीट्रिक टन सप्लाई हुई. यानी 700 मीट्रिक टन के वादे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऑक्सीजन 700 मीट्रिक टन नहीं पहुंचा. इस पर दिल्ली के विधायक और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि,
“दिल्ली को ऑक्सीजन की कुल जरूरत 976 मीट्रिक टन की है जबकि 6 मई को सिर्फ 577 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिली है, केंद्र सरकार से दिल्ली को कुल मांग की 59 फीसदी ऑक्सीजन ही मिली है. हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 5 मई को केंद्र सरकार ने 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी लेकिन अगले ही दिन 153 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कम दी. केंद्र सरकार से मांग है कि 5 मई की तरह रोजाना 730 टन से अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएं, ऑक्सीजन में गिरावट का असर दिल्ली के अस्पतालों पर पड़ सकता है”
अब ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली सरकार लगातार केंद्र पर हमलावर है. जब भी अरविंद केजरीवाल सामने आते हैं तो वो हमेशा धन्यवाद के ही लहजे में केंद्र को घेरने की कोशिश करते हैं. ऐसे में जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, तो दिल्ली सरकार खुलकर केंद्र से सवाल पूछ रही है. यहां तक कि पिछले कुछ दिनों से रोजाना दिल्ली में ऑक्सीजन बुलेटिन जारी किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें मजबूर न करें
अब ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि एक बार फिर दिल्ली में कम ऑक्सीजन दी गई है, तो इस पर कोर्ट ने फिर केंद्र को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें सख्त रवैया अपनाने पर मजबूर मत कीजिए.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा कि कल ही आपने हलफनामा देकर ये बताया कि दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है, लेकिन आज कम ऑक्सीजन दिया गया, हम फिर से साफ कर रहे हैं कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई होना चाहिए. जस्टिस शाह ने केंद्र को याद दिलाया कि हमने पहले ही ये निर्देश दिया था कि अगले आदेश तक दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया जाए.
तो कुल मिलाकर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच ये पेच सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. इस पूरे झगड़े के बीच दिल्ली में रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत जारी है. साथ ही अस्पतालों में भी बेड्स की समस्या बनी हुई है. अब आगे देखना होगा कि कोर्ट की इस फटकार के बाद क्या ये मसला सुलझ पाता है या फिर नहीं.
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