सबसे पहले भारत में पाया जाने वाला कोरोना का डेल्टा वेरिएंट दुनिया के कई देशों के लिए चिंता का सबब बन चुका है. अब इसे लेकर एक स्टडी सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि यूके में पाए गए एल्फा वेरिएंट के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. साथ ही ये भी बताया गया है कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन का असर भी कम करता है.
इंफेक्शन का डबलिंग रेट भी ज्यादा
यूके के केंट पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) की रिपोर्ट में बताया गया है कि, बाकी वेरिएंट्स के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट काफी संक्रामक है. स्टडी में कहा गया है कि एल्फा वेरिएंट के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट में इंफेक्शन का डबलिंग रेट भी ज्यादा है. भारत में राज्यों के लॉकडाउन लगाने से पहले 3.4 दिन का डबलिंग रेट था, जो डेल्टा वेरिएंट के आने के बाद करीब 11.5 तक पहुंच गया.
वैक्सीन के असर को करता है कम
PHE की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में पाया गया डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन के असर को भी कम करने का काम करता है. साथ ही जिन लोगों ने अपनी पहली ही डोज ली है, उनमें ये वेरिएंट अपना असर दिखा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि "अल्फा की तुलना में डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन का असर कम करता है, इसके लिए इंग्लैंड और स्कॉटलैंड ने एक एनालिसिस किया है. पहली खुराक के बाद अगर डेल्टा वेरिएंट किसी को संक्रमित करता है तो ये जोखिम बढ़ा सकता है.
हालांकि अगर किसी व्यक्ति ने वैक्सीन की दोनों डोज ली हैं तो इसमें डेल्टा वेरिएंट इतना जोखिम भरा नहीं हो सकता है. लेकिन एल्फा वेरिएंट के मुकाबले ये वैक्सीन के असर को कम करेगा.
बता दें कि भारत में डेल्टा वेरिएंट ने अप्रैल और मई के महीने में काफी ज्यादा संक्रमण फैलाने का काम किया. जिसके बाद तमाम एक्सपर्ट्स ने माना कि कोरोना की दूसरी वेव के लिए डेल्टा वेरिएंट ही जिम्मेदार है. इस दौरान भारत में हजारों लोगों की मौत हुई और लाखों लोग रोजाना कोरोना संक्रमित हुए.
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