कोरोना वायरस (COVID-19) के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, नीति आयोग के सदस्य और कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख, डॉ वीके पॉल ने कहा कि ये स्थापित करने के लिए अब तक कोई वैज्ञानिक डेटा नहीं है कि नया वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है या वैक्सीन की प्रभावकारिता को कम करता है. डॉ पॉल ने ये भी कहा कि कोविड की लहर के लिए कोई तारीख बताना गलत होगा, क्योंकि वायरस का व्यवहार अप्रत्याशित है.
न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में, डॉ पॉल ने कहा कि एक और लहर कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिसमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन, टेस्टिंग और रोकथाम स्ट्रैटेजी और वैक्सीनेशन रेट शामिल है.
“किसी भी लहर का होना या न होना, हमारे अपने हाथ में है. मेरे विचार से किसी भी लहर के लिए कोई तारीख तय करना उचित नहीं है.”डॉ वीके पॉल, कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख
डॉ पॉल ने कहा कि अगर हम अनुशासित और प्रभावी तरीके से महामारी से निपटते हैं, तो हम किसी भी बड़े प्रकोप से दूर होने की स्थिति में होंगे.
भारत में कोविड की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट के बाद, अब डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले भी सामने आ रहे हैं. इस वेरिएंट पर डॉ पॉल ने कहा कि इसपर वैज्ञानिक डेटा अभी शुरुआती स्टेज में है. उन्होंने कहा, “डेल्टा प्लस वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट में एक म्यूटेशन दिखाई पड़ता है और क्योंकि ये एक नया वेरिएंट है, वैज्ञानिक जानकारी अभी भी शुरुआती स्टेज में है.”
“डेल्टा वेरिएंट में ये म्यूटेशन, ज्यादा संक्रामक या बीमारी की गंभीरता को बढ़ाता है या वैक्सीन के प्रभावकारिता पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव है, ये अभी स्थापित नहीं है और हमें इस जानकारी के के उपलब्ध होने का इंतजार करना चाहिए.”डॉ वीके पॉल, कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख
डेल्टा प्लस की 11 जून को पहचान हुई थी. हाल में इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ के तौर पर वर्गीकरण किया गया. देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक 50 से ज्यादा मामले आ चुके हैं. इस वेरिएंट से संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से आए हैं.
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