ADVERTISEMENTREMOVE AD

बच्चों को कोरोना से सबसे कम खतरा, पहले खोलें जाएं प्राइमरी स्कूल- एक्सपर्ट्स

COVID-19: भारत दुनिया के उन मात्र चार से पांच देशों में से एक है जहां 1.5 साल से स्कूल बंद हैं

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

55 से अधिक डॉक्टरों, शिक्षाविदों और चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के एक समूह ने मुख्यमंत्रियों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों और केंद्र को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि, बच्चों को स्कूलों में वापस लाने की "तत्काल" आवश्यकता है. इसलिए पहले प्राथमिक छात्रों के लिए और बाद में उच्च स्तर के छात्रों के लिए कक्षाएं फिर से शुरू करनी चाहिए.
विशेषज्ञों ने यह सुझाव इस बात का हवाला देते हुए कहा है कि "छोटे बच्चों को COVID-19 से संक्रमित होने का सबसे कम खतरा है".

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या दिए गए हैं सुझाव

● स्कूल खोलने का समर्थन करने के लिए वैश्विक सबूत हैं और सरकारों को तत्काल स्कूल खोलने और व्यक्तिगत रूप से कक्षाएं फिर से शुरू करने पर विचार करना चाहिए.

● स्कूलों को बंद करने के खामियाजे को स्वीकार करते हुए, हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि स्कूल फिर से खोलने के मुद्दे को "जीवन बनाम शिक्षा" के मुद्दे के रूप में खेला जा रहा है.

● शिक्षा नहीं मिलने से गरीबी और कुपोषण जैसे अत्यधिक दीर्घकालिक नुकसान होते हैं.

● भारत, दुनिया के उन मात्र चार से पांच देशों में से एक है जहां इतने लंबे समय (1.5 साल) से स्कूल बंद हैं.

● स्कूल खोलने के लिए बच्चों का टीकाकरण कोई शर्त नहीं है. दुनिया में कहीं भी 12 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है, लेकिन स्कूल खुले हैं.
टीकाकरण का उद्देश्य गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकना है.

● यूएसए से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की तुलना में COVID-19 से मौत उसका दसवां हिस्सा है.

● बच्चों को टीकाकरण का लाभ वयस्कों के मुकाबले बहुत कम है. परीक्षणों के बाद भी, टीकों के दुर्लभ और दीर्घकालिक प्रभाव अज्ञात ही रहेंगें.

● डेल्टा वेरिएंट के डर को ध्यान में रखते हुए, लेटर में कहा गया है, "डेल्टा संस्करण को पहली बार भारत में रिपोर्ट किया गया था, और दो-तिहाई से अधिक भारतीय आबादी पहले ही इस वायरस के संपर्क में आ चुकी है, जिसमें 6-17 वर्ष की आयु के बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हैं."

● सीरोसर्वे के अनुसार, 60-80 प्रतिशत भारतीय बच्चों को प्राकृतिक संक्रमण हो चुका है.

● अध्ययनों से पता चला है कि स्कूल का COVID-19 प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान नहीं है.

● वयस्क और बच्चे स्कूलों को छोड़कर कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं; गैर-स्कूल सेटिंग्स में आक्रामक परीक्षण भी स्कूलों के समान सकारात्मक परिणाम प्रकट कर सकते हैं.

● यह देखते हुए कि स्कूल खोलना एक बहुत ही गतिशील प्रक्रिया होगी, एक्सपर्ट्स ने सरकारों से "उचित योजना के साथ अब स्कूल खोलने का आग्रह किया और यदि मामलों में भारी वृद्धि होती है, तो उन्हें फिर से बंद करना अंतिम उपाय माना जा सकता है.

0

सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को साथ आने की अपील

इस लेटर में आग्रह किया गया है कि, बच्चों को स्कूल वापस लाने की तत्काल आवश्यकता है. चूंकि छोटे बच्चों को कम से कम जोखिम होता है, इसलिए हम आपसे आग्रह करते हैं कि आईसीएमआर (ICMR) की सिफारिशों के अनुसार, प्राथमिक स्कूलों को पहले खोलें फिर उच्च कक्षाओं को खोलने की अनुमति दें.
हम सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से, हमारे बच्चों की खातिर साथ आने की आशा करते हैं. इस लेटर पर हस्ताक्षर करने वालों में देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के कई डॉक्टर और शिक्षाविद शामिल हैं. साथ ही 'शिक्षा आपातकाल पर राष्ट्रीय गठबंधन' नामक एक संगठन भी शामिल है, जिसमें तमाम लोग और संस्थाएं शामिल हैं, जो लोगों में स्कूल बंद से होने वाले खामियाजे के बारे में जागरूकता करने का काम करते हैं, साथ ही स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने की वकालत करता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×