केंद्र ने कोरोना टीकाकरण के लिए इस्तेमाल हो रहे कोविन पोर्टल के हैक होने से जुड़ी रिपोर्ट्स को खारिज किया है. उसने कहा है कि प्रथम दृष्टया ये रिपोर्ट्स फर्जी लग रही हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि पोर्टल सुरक्षित डिजिटल वातावरण में टीकाकरण डेटा स्टोर करता है.
हालांकि, बयान में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय और टीकाकरण पर अधिकार प्राप्त समूह (ईजीवीएसी) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स’ टीम से मामले की जांच करवा रहे हैं.
इस बीच, समूह (कोविन) के प्रमुख डॉ आरएस शर्मा ने कहा है कि कोविन को कथित रूप से हैक किए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रहीं रिपोर्ट्स पर सरकार का ध्यान गया है और जिस डेटा लीक होने का दावा किया जा रहा है, वो कोविन पर जुटाया ही नहीं गया था.
डार्क लीक मार्केट ने किया था डेटा लीक होने का दावा
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, डार्क लीक मार्केट नामक एक हैकर ग्रुप ने दावा किया था कि उसके पास लगभग 15 करोड़ भारतीयों का डेटाबेस है, जिन्होंने कोविन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत किया है और वो इसको 800 डॉलर में रीसेल कर रहा है, क्योंकि उसने मूल रूप से डेटा लीक नहीं किया.
मामले पर साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर ने क्या कहा?
स्वतंत्र साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया ने आईएएनएस से कहा, "कोविन को हैक नहीं किया गया है क्योंकि तथाकथित हैकिंग समूह फर्जी लीक की लिस्टिंग कर रहा है. यह एक बिटकॉइन घोटाला है और लोगों को इन हैकर्स का शिकार नहीं होना चाहिए. कोविन डेटा सुरक्षित है."
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