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भारत में आधिकारिक नंबर से दोगुनी कोरोना मौतें? कई रिपोर्ट में दावा

डॉ. आशीष झा के मुताबिक, भारत में COVID से हर रोज कम से कम 25000 मौतें हो रही हैं

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भारत में COVID-19 की वजह से होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. अब यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूशन (IHME) के एक एनालिसिस में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में मौत के जो आंकड़े बताए गए हैं, उससे दोगुने से ज्यादा मौत हुई हो सकती हैं. इसके साथ ही गुजरात समेत कई राज्यों के अखबार लगातार दिखा रहे हैं कि किस तरह सरकारी और असली आंकड़ों में बड़ा अंतर हो सकता है.

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IHME के एनालिसिस के मुताबिक, भारत में 3 मई तक COVID-19 की वजह से 2,21,181 मौतें दर्ज हुई थीं, जबकि तब तक असल आंकड़ा 6,54,395 मौतों का होने का अनुमान है.

कई मीडिया रिपोर्ट ने उठाए भारत के आंकड़ों पर सवाल

हाल ही में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मिशिगन यूनिवर्सिटी में महामारी एक्सपर्ट भ्रमर मुखर्जी, जिन्होंने भारत के हालात पर करीबी नजर बनाई हुई है, ने कहा, ‘’यह (भारत का) डेटा का पूरी तरह से कत्ल है. हमने जो भी मॉडलिंग की हैं, उनके आधार पर हम मानते हैं कि मौतों की सही संख्या उससे 2 से 5 गुनी है, जो बताई जा रही है.’’

अखबार ने बताया कि गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़े श्मशान घाट पर, लगातार लाशें जल रही हैं. वहां के एक कर्मचारी सुरेश ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ऐसा होता नहीं देखा. भले ही बड़ी संख्या में लोग COVID-19 की वजह से मर रहे हैं, लेकिन सुरेश ने मृतकों के परिवारों को जो पेपर स्लिप दी हैं, उनमें यह वजह नहीं लिखी है.

उन्होंने बताया, ''बीमारी, बीमारी, बीमारी...यह वो है, जो हम लिखते हैं.'' जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों है तो उन्होंने बताया कि उनके बॉस ने उनको ऐसा करने का निर्देश दिया है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने 16 अप्रैल का एक उदाहरण देकर बताया कि COVID-19 की वजह से मौतों की ‘वास्तविक संख्या’ और सरकारी आंकड़ों में कैसे बड़ा अंतर है. अखबार के मुताबिक, उस दिन गुजरात सरकार के हेल्थ बुलेटिन में 78 मौतों की जानकारी दी गई थी, जबकि 7 शहरों - अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वड़ोदरा, गांधीनगर, जामनगर और भावनगर - में COVID-19 प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए 689 बॉडी को या तो जलाया गया था या दफनाया गया था.

गुजरात के अखबार दिव्य भास्कर ने पिछले साल के मुकाबले डेथ सर्टिफिकेट की संख्या में भारी उछाल और COVID-19 से मौतों के सरकारी आंकड़े का इस तरह जिक्र किया है कि उससे भी आधिकारिक आंकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं. अखबार ने लिखा है कि राज्य में साल 2020 में 1 मार्च से 10 मई तक 58 हजार डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए थे. जबकि 2021 में इसी अवधि में 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए. पिछले साल के मुकाबले इस अवधि में 65085 ज्यादा डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए. वहीं सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस साल 1 मार्च से 10 मई तक 4218 लोगों की मौत COVID-19 से हुई. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अचानक इतनी बड़ी संख्या में बाकी मौतें कैसे हो गईं?

गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी आंकड़ों में अंतर की खबरें सामने आई हैं.

NYT के मुताबिक, अप्रैल में मध्य प्रदेश के भोपाल में अधिकारियों ने 13 दिनों में COVID-19 से संबंधित 41 मौतें होने की बात बताई थी, लेकिन शहर के मुख्य COVID-19 श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में किए गए अखबार के सर्वे से पता चला कि उस दौरान 1000 से ज्यादा मौतें हुई थीं.

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थानीय मीडिया के मुताबिक, 15 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच COVID-19 की वजह से 150 से ज्यादा मौतें हुई थीं, जबकि राज्य ने इसका आधे से भी कम आंकड़ा बताया था.

बात उत्तर प्रदेश की करें तो NDTV की एक रिपोर्ट में लखनऊ का भी ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिलता है, जिसके मुताबिक, अप्रैल में 7 दिनों की एक अवधि में COVID-19 से मौतों का सरकारी आंकड़ा 124 का था, जबकि अंतिम संस्कार के रिकॉर्ड्स से पता चला कि उस दौरान 400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थानीय मीडिया के मुताबिक, 15 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच COVID-19 की वजह से 150 से ज्यादा मौतें हुई थीं, जबकि राज्य ने इसका आधे से भी कम आंकड़ा बताया था.

पूरे देश में COVID-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र की सूरत भी ऐसी ही दिखती है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 25 अप्रैल को पुणे में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने 47 और पुणे म्यूनिसिपल कोर्पोरेशन (PMC) ने 55 मौतें होने की जानकारी दी थी, जबकि PMC के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में हर दिन करीब 170 बॉडी का अंतिम संस्कार हुआ है, जिनमें से औसतन 120 COVID पीड़ितों की रही हैं.

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IHME के एनासिलिस में भारत के अलावा और भी देश का जिक्र

IHME के एनासिलिस में भारत के अलावा और भी कई देशों का जिक्र है, जहां मौतों के आंकड़े कम दर्ज होने की आशंका जताई गई है.

एनालिसिस में कहा गया है कि 3 मई तक COVID-19 की वजह से

  • अमेरिका में 5,74,043 मौतें दर्ज हुईं, जबकि 905289 मौतें होने का अनुमान है
  • मैक्सिको में 217694 मौतें दर्ज हुईं, जबकि 617127 मौतें होने का अनुमान है
  • ब्राजील में 408680 मौतें दर्ज हुईं, जबकि 595903 मौतें होने का अनुमान है
  • यूके में 150519 मौतें दर्ज हुईं, जबकि 209661 मौतें होने का अनुमान है
  • रूस में 109334 मौतें दर्ज हुईं, जबकि 593610 मौतें होने का अनुमान है
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भारत में COVID से हर रोज कम से कम 25000 मौतें: डॉ. आशीष झा

हाल ही में अमेरिका के जानेमाने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट आशीष के. झा ने भी भारत में COVID-19 के चलते होने वाली मौतों के आधिकारि आंकड़ों पर सवाल उठाए थे.

डॉक्टर झा ने 9 मई को ट्वीट कर कहा था कि भारत में दिन रात काम कर रहे और लकड़ी की कमी का सामना कर रहे श्मशानों को देखकर लगता है कि हर रोज COVID-19 से मौत का आंकड़ा कम से कम 25 हजार का है.

‘’गैर-महामारी वर्ष 2019 के दौरान, एक दिन में लगभग 27000 भारतीयों की मौत हो रही थी. श्मशान हर दिन मौत के इस स्तर को संभाल रहे थे. अतिरिक्त 4000 मौतों से उन पर इतना असर नहीं पड़ेगा. देशभर के श्मशान सामान्य क्षमता से 2-4 गुना काम कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा है, ''ऐसे में अनुमान है कि भारत में हर रोज 55 से 80 हजार लोगों की मौत हो रही है. अगर आप मौतों की बेसलाइन 25-30 हजार मानें तो COVID से हर रोज 25 से 50 हजार अतिरिक्त मौत होने की आशंका है, 4000 नहीं.''

भारत में आंकड़ों में अंतर की बड़ी वजह क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, किसी मौत को COVID-19 से संबंधित दर्ज किया जाना चाहिए, अगर यह बीमारी मौत की वजह बनी हो या इसका उसमें योगदान रहा हो, भले ही उस व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी हो, जैसे कि कैंसर. लेकिन भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसा होता नहीं दिख रहा.

ऐसा ही एक उदाहरण रूपल ठक्कर नाम की एक महिला के केस से सामने आया था. COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद 48 वर्षीय ठक्कर को 16 अप्रैल को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अचानक ही उनके ऑक्सीजन का स्तर गिर गया. अगले दिन उनकी मौत हो गई.

हालांकि, अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट में ठक्कर की मौत का कारण ''अचानक हुआ कार्डिऐक अरेस्ट'' बताया. जब भारत के अखबारों में यह मामला छपा, तब जाकर अस्पताल ने COVID-19 को भी वजह बताते हुए दूसरा डेथ सर्टिफिकेट जारी किया.

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