भारत में लगभग हर रोज कोरोना वायरस के मामले नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. इस बीच, देश के कई हिस्सों में COVID-19 मरीज अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी का सामना कर रहे हैं. इन काबू से बाहर हुए हालात को अंतराराष्ट्रीय मीडिया ने प्रमुखता से कवर किया है.
‘पाबंदियों में काफी जल्दी छूट दूसरी लहर की वजह’
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत में अचानक आई COVID-19 की दूसरी लहर की वजह पाबंदियों में काफी जल्दी छूट देना है.
अखबार ने लिखा है, ‘’हजारों दर्शकों को क्रिकेट मैचों के लिए स्टेडियम भरने की अनुमति दे दी गई; फिल्म थिएटर खोले गए; और सरकार ने कुंभ मेला जैसे धार्मिक समारोहों की अनुमति दे दी, एक त्योहार जिसमें लाखों हिंदू गंगा नदी में स्नान करने के लिए जुटे.’’
‘भारतीय प्रधानमंत्री का अति-आत्मविश्वास’
यूके के गार्जियन में छपे एक संपादकीय में कहा गया है, ‘’देश की विनाशकारी COVID-19 प्रतिक्रिया के पीछे भारतीय प्रधानमंत्री का अति-आत्मविश्वास है.” उसने लिखा है, ‘’उनको (पीएम मोदी को) गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उन गलतियों को सुधारना चाहिए.’’
इसके आगे लिखा गया है कि भविष्य के इतिहासकार मोदी का कठोरता से न्याय करेंगे अगर वह ऐसे विचारों के साथ आगे बढ़ते रहे, जिन्होंने एक विनाशकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को जन्म दिया है.
गार्जियन में किया गया स्थिति का एक विश्लेषण यह भी बताता है कि कैसे COVID-19 की दूसरी लहर के लिए "भारत की प्रतिक्रिया में ब्लाइंडस्पॉट" दूसरे देशों के लिए एक चेतावनी है. लेखक पीटर ब्यूमोंट लिखते हैं कि ताजा लहर "शायद सामाजिक व्यवहार, भारत की स्वास्थ्य प्रणाली और नीतिगत फैसलों में कमजोरी का संयोजन है."
‘सरकार के गलत कदम संकट की वजह’
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक, ''विशेषज्ञों का कहना है कि आत्मसंतोष और सरकार के गलत कदमों ने भारत को एक सफल दिख रही कहानी से दुनिया की सबसे बुरी तरह प्रभावित जगहों की तरफ मोड़ दिया. और महामारी विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि भारत में लगातार नाकामी के वैश्विक प्रभाव होंगे.'' इसमें आगे कहा गया है कि भारत का टीकाकरण अभियान "लेट और झटकों से त्रस्त" है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘’कई फैक्टर्स के चलते, भारत की दूसरी लहर के दौरान (COVID-19 के) मामले बढ़े हैं. स्वास्थ्य प्रोटोकॉल ढीले कर दिए गए, मास्क की अनिवार्यता को छिटपुट रूप से लागू किया गया.’’ रिपोर्ट ने कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालुओं के जुटने को भी मामलों में अचानक बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
बीबीसी ने लिखा है, ''भारत की स्वास्थ्य प्रणाली COVID-19 मामलों में रिकॉर्ड उछाल की वजह से तनाव में है क्योंकि इससे अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर दबाव पड़ रहा है. परिवारों को उनके अपनों के लिए गुहार लगाने के लिए छोड़ दिया जाता है, कुछ मरीजों को घंटों तक इलाज ही नहीं मिलता.''
ऑस्ट्रेलिया के एबीसी ने बताए संकट के पीछे 3 फैक्टर
ऑस्ट्रेलिया के एबीसी ने इस बात का जिक्र किया है भारत में COVID-19 की दूसरी लहर इससे पिछली लहर की तुलना में काफी आक्रामक और घातक है. उसने लिखा है कि बहुत मजबूत विश्वास है कि यह तबाही आसानी से रोकी जा सकती थी. एबीसी के मुताबिक, जो कुछ गलत हुआ उसके पीछे तीन प्रमुख फैक्टर हैं: सरकार की प्रतिक्रिया, सार्वजनिक व्यवहार और वेरिएंट्स.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 24 घंटों में COVID-19 के रिकॉर्ड 346786 कन्फर्म्ड केस सामने आए, जबकि इसकी वजह से 2624 लोगों की जान चली गई. देश में COVID-19 के एक्टिव केस की संख्या 2552940 तक पहुंच चुकी है.
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