कोरोना की दूसरी वेव में कई नई चीजें देखने को मिली हैं, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के बाद अब लोग सीटी स्कैन को लेकर भागदौड़ कर रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा था कि इससे कोरोना की सटीक जानकारी मिल रही है, इसीलिए लोगों ने सीटी स्कैन के लिए कोशिशें शुरू कर दीं. लेकिन इसी बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने सामने आकर ये दावा किया कि हल्के लक्षण वाले मरीजों में सीटी स्कैन खतरनाक साबित हो सकता है. साथ ही कहा था कि ये 300 चेस्ट एक्स-रे के बराबर है. लेकिन अब इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) ने गुलेरिया के इस दावे को खारिज कया है.
IRIA ने गुलेरिया के बयान पर जताई हैरानी
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, IRIA की तरफ से एक बयान जारी कर बताया गया है कि दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का बयान मिसलीडिंग और कंफ्यूजन पैदा करने वाला है. साथ ही जो उन्होंने सीटी स्कैन को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि एक सीटी स्कैन 300 से ज्यादा एक्स-रे के बराबर होता है, वो तर्क काफी पुराना और गलत है. साथ ही IRIA ने कहा है कि एक सीनियर डॉक्टर के ऐसे बयान से वो हैरान और निराश हैं.
IRIA की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सीटी स्कैन कोरोना की गंभीरता का पता लगाने के अहम है. इससे पता चलता है कि बीमारी कितनी ज्यादा है. साथ ही बताया गया कि सीटी स्कैन उस केस में मदद करता है जब मरीजों का आरटी-पीसीआर टेस्ट कोरोना के म्यूटेंट, लो वायरल लोड और टेक्निकल एरर के चलते नेगेटिव आता है.
सही इलाज मिलने में मदद करता है सीटी स्कैन
रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन ने बताया है कि सीटी स्कैन खासतौर पर उन मरीजों के लिए मददगार साबित होता है, जिनकी हालत गंभीर हो. साथ ही सीटी स्कैन से बीमारी के प्रोग्रेस का भी सटीक अंदाजा लगता है. बयान में कहा गया है कि सीटी स्कैन फेफड़ों में इंफेक्शन का आसानी से पता लगाता है. जिससे समय रहते इलाज करना आसान हो जाता है.
क्या बोले थे डॉ गुलेरिया?
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों से आरटी-पीसीआर टेस्ट के अलावा मरीज सीटी स्कैन करवाने के लिए जा रहे हैं. जिसके बाद कई जगहों से ऐसी खबरें सामने आईं हैं कि लैब और हॉस्पिटल सीटी स्कैन का ओवर चार्ज कर रहे हैं. इसी बीच एम्स के डायरेक्टर ने बयान दिया कि कम लक्षण वाले मरीजों के लिए सीटी स्कैन फायदा कम और नुकसान ज्यादा कर सकता है. गुलेरिया ने कहा था,
''जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं. इससे बाद में कैंसर होने की आशंका बढ़ सकती है.''
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