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अमेरिका में J&J कोरोना वैक्सीन को भी मंजूरी, क्यों बाकियों से खास

क्या जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के खिलाफ भी कारगर है?

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अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने शनिवार को जॉनसन एंड जॉनसन COVID-19 वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है. बता दें कि अमेरिका में इससे पहले दो और COVID-19 वैक्सीन - फाइजर और मॉर्डना - को भी मंजूरी मिल चुकी है.

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जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) वैक्सीन कितनी प्रभावी है?

इस वैक्सीन को जेनसेन फार्मास्युटिकल कंपनीज में विकसित किया गया है और इसने सभी प्राइमरी और सेकेंडरी एंडप्वाइंट्स के साथ फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल्स को पास किया है.

जनवरी के आखिरी हिस्से में, वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स ने उम्मीदजनक नतीजे दिखाए थे. ट्रायल्स अमेरिका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में किए गए थे.

CNN की रिपोर्ट में बताया गया है कि FDA एनालिसिस के मुताबिक, सभी जियोग्राफिकल इलाकों में मध्यम से गंभीर COVID-19 के खिलाफ जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की प्रभावशीलता एक खुराक के कम से कम 14 दिन बाद 66.9% फीसदी थी और कम से कम 28 दिनों के बाद 66.1% थी.

इसके साथ ही एनालिसिस में बताया गया है, ‘’उम्र, नस्ल, एथिनिसिटी, मेडिकल कोमॉर्बिडिटीज, या पहले के SARS-CoV-2 इन्फेक्शन वाले सबग्रुप में सुरक्षा से जुड़ी कोई भी विशेष चिंता सामने नहीं आई.’’

क्या यह कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के खिलाफ भी कारगर है?

कंपनी की ओर से जारी किए गए अंतरिम डेटा से पता चलता है कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस के साउथ अफ्रीका वेरिएंट (जो अब कई देशों में पाया गया है) के खिलाफ 57 फीसदी प्रभावी पाई गई. यह आंकड़ा अमेरिकी के नतीजों से कम था, हालांकि फिर भी FDA की मिनिमम रिक्वायरमेंट (50 फीसदी) से ज्यादा था.

लेकिन FDA एनालिसिस से पता चला है कि वास्तव में, वैक्सीन ने दक्षिण अफ्रीका में 64% की प्रभावकारिता दिखाई थी, जब J&J ने स्टडी में मामलों की अतिरिक्त सिक्वेंसिंग की थी (ट्रायल में लगभग 95% मामले साउथ अफ्रीका वेरिएंट से थे).

अलग-अलग लोकेशन के हिसाब से बात करें तो हल्की से गंभीर बीमारी को रोकने में अमेरिका में इस वैक्सीन की प्रभावकारिता 72% और ब्राजील में 68% से ज्यादा पाई गई. इसने अमेरिका में गंभीर बीमारी के खिलाफ लगभग 86%, दक्षिण अफ्रीका में 82% और ब्राजील में 88% सुरक्षा दी.

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इस वैक्सीन की खास बातें क्या हैं?

जॉनसन एंड जॉनसन COVID-19 की सबसे बड़ी खास बात यह है कि फाइजर और मॉर्डना वैक्सीन की दो खुराक के विपरीत इसकी एक ही खुराक देने की जरूरत होगी. इससे न सिर्फ प्रोडक्शन बल्कि डिस्ट्रीब्यूशन के स्तर पर भी दबाव कम होगा. वहीं वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए भी यह राहत की बात होगी.

वैक्सीन की दूसरी खास बात यह है कि इसे स्टोर करने के लिए स्पेशल फ्रीजर्स जरूरी नहीं होंगे, बल्कि इसे 3 महीने तक रेफ्रिजरेटर टेंपरेचर (2°-8°C) पर स्टोर किया जा सकेगा. इससे भी वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन में आसानी होगी.

कहा यह भी जा रहा है कि यह वैक्सीन -20°C से कम तापमान पर 2 साल तक स्थिर रह सकती है.

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भारत के लिए यह वैक्सीन कितनी अहम हो सकती है?

अगस्त में जेनसन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सार्थक रानाडे ने हैदराबाद-बेस्ड बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोलॉजिकल E के साथ अपनी वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए सहयोग का ऐलान किया था.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पिछले दिनों बायोलॉजिकल E की मैनेजिंग डायरेक्टर के हवाले से बताया था कि कंपनी सालाना जॉनसन एंड जॉनसन COVID-19 वैक्सीन की 60 करोड़ खुराकें बनाने की ओर देख रही है.

ऐसे में अगर इस वैक्सीन को भारत में भी मंजूरी मिलती है तो यह देश की बड़ी जनसंख्या और प्रोडक्शन से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन के स्तर तक के लिए राहत की बात हो सकती है, क्योंकि भारत में अब तक जिन दो COVID-19 वैक्सीन को अनुमति मिली है, उनकी दो खुराकें जरूरी हैं.

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