केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि लोगों को वैक्सीन मुफ्त में क्यों नहीं दिए जा रहे हैं. न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने यह टिप्पणी तब की जब उनके सहयोगी न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने 7 मई को टीकाकरण के संबंध में इस मुद्दे को स्वत: उठाया था.
केंद्र ने मांगा जवाब देने का वक्त
कोर्ट ने बताया कि भले ही इस पर 34,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन केंद्र के पास भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश के रूप में 54,000 करोड़ रुपये हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फेडरल्जिम को देखने का वक्त नहीं है.
हालांकि, केंद्र के वकील ने बताया कि नीतिगत मुद्दा होने के कारण उन्हें कुछ और समय की जरूरत है. अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए मामले को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हाल ही में कहा था कि खुले बाजार से टीके खरीदने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. केरल में कराए गए वैक्सीनेशन के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 20 लाख से अधिक लोगों ने टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं, जबकि 63 लाख से अधिक लोगों ने टीके का सिर्फ पहला डोज ही लिया है.
सोमवार को केंद्र ने इससे संबंधित एक मुद्दे पर कहा कि इसने अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 21.80 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराकें (21,80,51,890) प्रदान की हैं. इनमें मुफ्त और राज्यों द्वारा प्रत्यक्ष खरीद दोनों ही शामिल हैं.
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