कोरोना का कहर अब शहरों के अलावा गांवों में दिखने लगा है. कानपुर से 50 किलोमीटर दूर तहसील घाटमपुर का परास गांव कानपुर की सबसे बड़ी ग्रामसभा है. अकेले इस गांव की आबादी 10 हजार है. लेकिन कोरोना के कारण पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. हर कोई खौफजदा है. इसका कारण है कि गांव में पिछले 15 दिन में ही करीब 30 लोगों की कोरोना से मौत हो गई.
पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों की भीड़
इस पूरे खौफ और गांव के माहौल को लेकर निवासी संदीप शुक्ला का कहना है कि, यहां पंचायत चुनाव हुआ. हमारा गांव जिला पंचायत के दायरे में आता है .जिला पंचायत में 70 से 75 गांव लगते हैं. चुनाव के दौरान प्रत्याशी भीड़ के साथ गांव मे आते रहे. घर-घर जाकर सबके पैर छूना ये लगातार चलता रहा. जिसके बाद 16 तारीख से लगातार 28 तारीख तक गांव में 3 से 4 मौतें होती रहीं. प्रशासन ने सैनिटाइजेशन भी करवाया. इन मौतों का कारण दूर-दूर से लोगों का यहां आना है.
इसी परास गांव की एक गली के घरों में तो एक साथ 8 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए. ये पुष्टि टेस्टिंग के बाद हुई कि गांव में अभी 14 लोग कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन ज्यादातर घरों में लोग बीमार हैं. बुखार-खांसी के साथ अचानक सांस उखड़ना आम बात है.
गांव में टेस्टिंग नहीं होती, जिन लोगों की टेस्टिंग में कोरोना की पुष्टि हुई, उनका सिर्फ नाम पता लिख लिया गया, दवा तक नहीं दी गई और वो कोरोना संक्रमित गांव में ऐसे ही घूम रहे हैं, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.
सिर्फ एक दिन हुई कोरोना की जांच
पारस गांव के नवनिर्वाचित प्रधान रामचंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि, यहां जांच नहीं हो रही है, यहां पर पूरी ग्राम सभा में कोरोना की जांच होनी चाहिए. क्योंकि स्थिति बहुत खराब है. यहां पर 30 मौतें हुईं हैं. सिर्फ एक दिन जांच हुई, उसके बाद कोई नहीं आया.
इसी गांव के निवासी आशुतोष शुक्ला का कहना है कि,
इस गांव मे 10 से 12 हजार की आबादी में केवल एक बार गांव मे टेस्टिंग की गई. किसी एक जगह बैठकर 40 से 50 लोगों को टेस्ट किया गया. जिसमें इसी गांव के 15 लोग कोविड पॉजिटिव निकले. अगर जब 12 हजार लोगों की टेस्टिंग होगी तो निश्चित तौर पर पंद्रह सौ के करीब लोग पॉजिटिव निकलेंगे मेरा ऐसा मानना है.
आशुतोष ने बताया कि, गांव के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की ड्यूटी हटाकर कानपुर में लगा दी गई. जिसके बाद स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा रहता है. जिससे गांव वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जो प्राइवेट डॉक्टर थे, उन्होंने जब देखा महामारी फैल रही है तब वो गांव के लोगों को मरता हुआ छोड़कर चले गए. अगर टेस्टिंग नहीं हुई तो गांव की स्थिति और भयवाह होगी.
चिकित्सा अधिकारी ने किया आरोपों से इनकार
इस पूरे मामले को लेकर जब चिकित्सा अधीक्षक घाटमपुर कैलाश चन्द्र से बात की गई तो उनका कहना है कि परास गांव मे 15 बुजुर्ग लोगों की मृत्यु स्वतः हुई है. उन्होंने कहा, हमें विधायक और SDM साहब के द्वारा जानकारी मिली थी कि वहां कैंप लगाना है .बुजुर्गों समेत कई लोग बुखार से पीड़ित हैं. जांच भी कराई गई. वहां पर बुखार से 15 से 20 लोग खत्म हुए हैं. उसमें मैंने जब देखा 15 बुजुर्ग लोगों की मृत्यु स्वतः हुई है. 2 से 4 लोग पॉजिटिव हुए थे. जिन्हें कानपुर एडमिट कराया गया था. बाद मे उनकी तबीयत खराब होने पर उनकी मौत हो गई. सबसे बड़ी बात गांव मे कोई भी व्यक्ति वैक्सीनेशन के लिए आगे नहीं आ रहा. पूरी टीम बैठी रही लेकिन कोई नहीं आया. अभी गांव की स्थिति खराब बनी हुई है. अब फिर जाएंगे जैसा SDM साहब का आदेश होगा.
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