अमेरिका के खाद्य और दवा प्रशासन (FDA) ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन के इमर्जेंसी यूज की अनुमति दे दी है. इस अनुमति के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ''हमारे देश ने एक चिकित्सा चमत्कार हासिल किया है. हमने महज नौ महीने में एक सुरक्षित और प्रभावी दवा दी है.''
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान में कहा, ‘‘फाइजर-बायोएनटेक COVID-19 वैक्सीन को मिली मंजूरी मुश्किल वक्त में उम्मीद की एक किरण है. हम इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के आभारी हैं.’’
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बता दें कि फाइजर की वैक्सीन को ब्रिटेन, कनाडा और बहरीन जैसे देश पहले ही मंजूरी दे चुके हैं.
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फाइजर COVID-19 वैक्सीन से जुड़ी 5 बड़ी बातें:
- फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर ने 18 नवंबर को ऐलान किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन फेज 3 ट्रायल्स के फाइनल एनालिसिस में 95 फीसदी प्रभावी पाई गई.
- फाइजर वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह टेक्नोलॉजी ह्यूमन सेल्स को कोरोना वायरस के सरफेस प्रोटीन बनाने के जेनेटिक निर्देश देकर काम करती है, जिससे वास्तविक वायरस को पहचानने के लिए इम्यून सिस्टम प्रशिक्षित होता है.
- 90 साल की ब्रिटिश महिला मार्गरेट कीनन मंगलवार को, ट्रायल के बाहर फाइजर COVID-19 वैक्सीन शॉट लगवाने वाली दुनिया की पहली व्यक्ति बन गईं. ब्रिटेन में वृद्धाश्रमों में रहने वाले लोग, वहां के कर्मचारी, 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों को पहले फेज में वैक्सीन की खुराक दी जा रही है.
- लोगों को इस वैक्सीन की दो खुराक दी जाएंगी. पहली खुराक के 21 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाएगी.
- फाइजर वैक्सीन को शून्य से 70 डिग्री नीचे के तापमान पर रखना होगा और इसे विशेष बक्से में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाएगा. एक बार आपूर्ति हो जाने पर इसे पांच दिनों तक फ्रिज में रखा जा सकता है.
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टॉपिक: कोरोनावायरस
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