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भारत में कब आएगी कोरोना की तीसरी लहर, किस एज ग्रुप को ज्यादा खतरा?

दुनिया के 22 से ज्यादा देशों में आ चुकी है कोरोना की तीसरी लहर

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इन दिनों देश में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है. सरकारी सिस्टम चरमरा सा गया है. बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन और वैक्सीन की कमी से देश के कई राज्य जूझ रहे हैं. इसी बीच सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने कोरोना की तीसरी लहर यानी थर्ड वेव के बारे में भी आगाह कर दिया है. अभी दूसरी लहर का पीक आया ही नहीं और देशभर से विचलित करने वाली तस्वीरें आ रही हैं. तो लोगों के मन में यही सवाल है कि तीसरी लहर कब आएगी और कितनी खतरनाक होगी.

पहले जानते हैं तीसरी लहर के बारे में क्या कहा गया...

केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन ने कहा, ''फेज तीन निश्चित है, लेकिन सर्कुलेट हो रहे वायरस के हाई लेवल को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि फेज तीन किस वक्त आएगा. हमें नई लहरों के लिए तैयार रहना चाहिए.''

विजयराघवन ने कहा है कि नए म्यूटेंट से निपटने के लिए वैक्सीन को अपडेट करना जरूरी था. उनका मानना है कि वायरस ने जब म्यूटेट करना शुरू किया उसके बावजूद इसके संक्रमण को रोकने के लिए लोगों द्वारा अपनाई जा रही सावधानियों में कोई बदलाव नहीं किया गया.

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुंसधान परिषद (CSIR) के डॉयरेक्टर जनरल डॉ. शेखर मांडे ने राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) द्वारा आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम के दौरान कहा है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर से इनकार नहीं किया जा सकता. यदि महामारी की तीसरी लहर आती है तो वह उस चुनौती से कहीं अधिक खतरनाक स्थिति होगी जिसका सामना अब तक देश ने किया है.

  • महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने अपने एक बयान में कहा था कि जुलाई-अगस्त के दौरान महाराष्ट्र तीसरी लहर का सामना कर सकता है.

  • देश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले साल नवंबर में ही अपने फेसबुक पोस्ट में चेतावनी थी उन्होंने लिखा था ‘‘यह दूसरी और तीसरी लहर सुनामी की तरह खतरनाक है. आप सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं, तो इसका प्रकोप फैल जाएगा.’’

तीसरी लहर क्यों खतरनाक हो सकती है

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में जहां सीनियर सिटिजन को ज्यादा खतरा था, वहीं दूसरी लहर में युवा वर्ग ज्यादा चपेट में आया. अब तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है. पीडियाट्रिक्स और इन्फेक्शन डिसीज के एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर 18 से कम आयु वर्ग वालों को तेजी अपने चपेट में ले सकती है. यह काफी गंभीर हो सकती है.

  • इन्फेक्शन डिसीज के एक्सपर्ट डॉ नितिन शिंदे का कहना है कि बच्चों के लिए भी वैक्सीन बहुत जरूरी है. नहीं तो तीसरी लहर में यह आयुवर्ग काफी प्रभावित हो सकता है.

  • महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (MMC) की वाइस प्रेसीडेंट और शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ विंकी रुघवानी का कहना है कि भारत की आबादी 30 फीसदी में लोग 0-18 आयु वर्ग के हैं. तीसरी लहर में इनके चपेट में आने का खतरा ज्यादा है. ऐसे में बच्चों को इससे बचाने का एक अहम तरीका वैक्सीनेशन ही, इससे ही हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त की सकती है.

इकनॉमिक टाइम्स की खबर में वायरोलॉजिस्ट डॉ वी रवि ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को व्यापक स्तर पर प्रभावित करेगी. केंद्र और राज्य सरकारों को अभी से इसके लिए कमर कसने की जरूरत है. ताकि अक्टूबर-दिसंबर में इस परिस्थिति को संभाला जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोरोना की तीसरी लहर पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से बच्चों के वैक्सीनेशन के बारे में भी सोचने के लिए कहा है. गुरुवार को ही देश में कोविड के रिकॉर्ड 4 लाख से ज्यादा (4.12 लाख) मामले सामने आए हैं. वहीं लगभग 4 हजार मौतें भी देखने को मिली है.

दूसरी लहर का पीक कब?

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के एक टीम ने अनुमान लगाया है कि "अगर मौजूदा स्थिति में कोई सुधार नहीं किया जाता है, तो आने वाले सप्ताहों में कोरोना से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो सकती है".

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ,बेंगलुरु के टीम ने एक 'मैथमेटिकल मॉडल' का प्रयोग करते हुए यह अनुमान लगाया है कि अगर हालात यही रहे तो 11 जून तक मरने वालों की संख्या 4,04,000 तक हो सकती है.

वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) ने एक मैथमेटिकल मॉडल का प्रयोग करते हुए दावा किया है कि जुलाई के अंत तक भारत में दस लाख से ज्यादा (10,18,879) लोग कोरोना से जान गंवा देंगे.

  • आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने अपनी नई रिसर्च के मुताबिक बताया कि एक्टिव केसों के लिए पीक की टाइमिंग 14-18 मई और नए केसों के लिए 4-8 मई है. पीक के दौरान एक्टिव केस 38-48 लाख और नए केस 3.4-4.4 लाख होंगे.

  • अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी में महामारी विशेषज्ञ भ्रमर मुखर्जी का कहना है कि मध्य मई के दौरान रोजाना 8-10 लाख केस सामने आ सकते हैं. उन्होंने आशंका जताई कि 23 मई के आसपास रोजाना 4,500 लोग कोरोना से जान गंवा सकते हैं.

  • CSIR के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी के डायरेक्टर डॉ राकेश मिश्रा कहते हैं, “कोविड के मामले में हुआ यह कि कुछ वेरिएंट ज्यादा हावी हो गए हैं और ज्यादा संक्रामक हो गए हैं.”

22 देशों में आ चुकी तीसरी लहर

कोराेना महामारी का तांडव विश्व भर में हो रहा है. दुनिया के 22 से ज्यादा देशों में तीसरी लहर का प्रभाव देखने को मिला है. जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, पोलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, जापान जैसे देशों में नए वैरिएंट की वजह से कोरोना महामारी की नई लहर देखने को मिली है. अमेरिका, ब्राजील, तुर्की जैसे देशों में भी कोरोना की तीसरी लहर ने भयावह प्रकोप दिखाया है.

जॉन हॉपकिन्स के डेटा के मुताबिक दुनिया में इस समय सबसे ज्यादा कोविड प्रभावित देश इस प्रकार हैं.

  • अमेरिका (3,25,58,066)

  • भारत (2,10,77,410)

  • ब्राजील (1,49,30,183)

  • फ्रांस (57,67,541)

  • तुर्की (49,55,594)

तीसरी लहर झेल चुके देशों में क्या हुआ था?

फाइनेंसियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की तीसरी लहर काफी तेजी से और हर जगह फैलती है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने जब तीसरी लहर के कारण लॉकडाउन लगाया था तब खुद वहां के पीएम जीन कैस्टेक्स ने पार्लियामेंट में कहा था कि महज दो सप्ताह में वहां कोविड के मामलों में 55 फीसदी का उछाल आया था जिससे 38 हजार मामले एक दिन में देखने को मिले थे.

  • दो हफ्ते के दौरान ही बेल्जियम में 95 फीसदी, नीदरलैंड्स में 48 फीसदी और जर्मनी में 75 फीसदी उछाल कोविड के मामलों में देखने को मिला था.

  • इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में जब मार्च में लॉकडाउन से ढील देनी शुरु की गई तब उसी दौरान वहां एक बार फिर तेजी मामले बढ़ने लगे अप्रैल में स्थिति और गंभीर हो गई. 18 अप्रैल को वहां 29 हजार नए मामले सामने आए. इसमें से जो संक्रमित हुए थे वे ज्यादातर 15-49 आयुवर्ग के थे. यानि पहले की दो लहरों की तुलना में इस बार युवा ज्यादा चपेट में आए.

  • इटली में जनवरी के दौरान जहां हर सप्ताह लगभग 12 हजार से ज्यादा मामले आते थे वहीं मार्च-अप्रैल में हर सप्ताह 20 हजार से ज्यादा नए मामले दिखने लगे थे.

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