चुनाव में सेना का इस्तेमाल होने पर पूर्व सैनिकों की शिकायत की एक चिट्ठी सामने आई थी, जिस पर अब बवाल शुरू हो चुका है. सेना के कुछ पूर्व अफसरों का कहना है कि उन्होंने ऐसी किसी भी चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, वहीं कुछ अफसर इसे सही करार दे रहे हैं. इस चिट्ठी में 156 पूर्व सेना अधिकारियों का नाम शामिल है.
क्या है विवाद?
इस मामले में विवाद तब शुरू हुआ जब पूर्व जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज ने ऐसी किसी भी चिट्ठी की जानकारी होने से इनकार कर दिया. जबकि उनका नाम चिट्ठी में सबसे ऊपर लिखा गया है. इसके बाद पूर्व वॉइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने भी कहा कि उन्होंने ऐसा कोई लेटर नहीं लिखा है. लेकिन कुछ पूर्व सेना अधिकारियों ने चिट्ठी की बात कबूली है.
जनरल शंकर रॉय चौधरी ने चिट्ठी की बात कबूलते हुए कहा कि सेना की छवि खराब करने की कोशिश हो रही है और सियासी फायदा उठाया जा रहा है. मेजर जनरल हर्षा कक्कड़ ने भी चिट्ठी में साइन की बात कबूली है.
रक्षा मंत्री बोलीं, राष्ट्रपति भवन को कोई लेटर नहीं मिला
पूर्व सैनिकों की ओर से राष्ट्रपति को लिखी गई चिट्ठी पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ''दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने सहमति नहीं दी थी. राष्ट्रपति भवन ने भी कहा है कि उसे ऐसा कोई लेटर नहीं मिला है.''
नेता ले रहे हैं सेना का क्रेडिट
पूर्व सेना प्रमुखों और सैनिकों का कहना है कि नेता सेना के ऑपरेशन का क्रेडिट ले रहे हैं. कुल 156 पूर्व सैनिकों की इस चिट्ठी में नेताओं के सेना को लेकर दिए गए अलग-अलग बयानों का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए सेना का नाम लिया जा रहा है.
इस चिट्ठी में पूर्व सैनिकों ने कहा है कि हम सभी ने युद्ध के मैदान से लेकर देश के कई इलाकों में सालों तक ड्यूटी की है. सभी सैनिक बिना किसी पक्षपात के भारतीय सेना के लिए अपनी ड्यूटी निभाते हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ का भी जिक्र
पूर्व सैनिकों की इस शिकायत में भारतीय सेना को ‘मोदीजी की सेना’ बुलाने वाले योगी आदित्यनाथ का भी जिक्र किया गया है. पूर्व सैनिकों ने लिखा है, हमने नेवल स्टाफ के पूर्व चीफ के साथ मिलकर चुनाव आयोग को भी शिकायत की है. जिसमें यूपी से सीएम योगी आदित्यनाथ समेत सभी गैरजिम्मेदाराना बयानों पर सफाई मांगी गई है.
योगी आदित्यनाथ के ‘मोदीजी की सेना’ वाले बयान पर चुनाव आयोग ने उन्हें अपने भाषणों को लेकर सचेत रहने के लिए कहा था. योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान गाजियाबाद में एक रैली में भारतीय सेना के लिए ‘मोदीजी की सेना’ शब्द का इस्तेमाल किया था
स्ट्राइक का फायदा उठा रहे हैं राजनीतिक दल
पूर्व सैनिकों ने इस लेटर में लिखा है, राजनीतिक दल और नेता मिलिट्री ऑपरेशंस का फायदा उठा रहे हैं. क्रॉस बॉर्डर स्ट्राइक (सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक) का जिक्र करते हैं. यहां तक कि भारतीय सेना को मोदी जी की सेना बुलाते हैं. कुछ इलेक्शन कैंपेन में देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सेना की वर्दी पहनकर निकल रहे हैं. वहीं कुछ लोग अपने चुनावी प्रचार में एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो लगा रहे हैं.
सेना के इन पूर्व अधिकारियों ने लिखी है चिट्ठी
जिस लेटर को लेकर पूर्व सैनिकों की नाराजगी का दावा किया जा रहा है, उसमें जनरल एसएफ रोडरिग्स, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता सहित कई सीनियर अधिकारियों के नाम हैं. इस चिट्ठी में 3 जनरल, 4 एडमिरल, 11 लेफ्टिनेंट जनरल, 3 वॉइस एडमिरल, 15 मेजर जनरल सहित कुछ अन्य अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं.
कांग्रेस ने बोला हमला
पूर्व सैनिकों की राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी पर कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार को जमकर निशाने पर लिया. कांग्रेस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा -
- विंग कमांडर अभिनंदन के फोटो बीजेपी के पोस्टर्स में दिखाई दिए
- योगी ने 'मोदीजी की सेना' बोलकर सेना का अपमान किया
- दुख इस बात का होता है कि बीजेपी पहली बार ऐसा नहीं कर रही, कारगिल युद्ध के बाद भी बीजेपी ने ऐसा किया था
- जिस तरीके से सेना का राजनीतिकरण किया जा रहा है, आज पूर्व सैनिक भी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने पर मजबूर हो गए
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