लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, अब सभी को नतीजों का इंतजार है. लेकिन इस पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में चुनाव आयोग रहा. अब चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने एक बार फिर आयोग के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी और फटकार लगाने के बाद चुनाव आयोग एक्शन में आया और हेट स्पीच पर कार्रवाई हुई.
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नेताओं के विवादित बयानों पर कार्रवाई करने को कहा था. जिसके बाद चुनाव आयोग ने बीएसपी चीफ मायावती, एसपी नेता आजम खान, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मेनका गांधी पर कार्रवाई की थी. चुनाव आयोग ने इन नेताओं पर कुछ घंटों के चुनाव प्रचार का बैन लगाया था.
नहीं सुना अल्पमत का फैसला
लवासा ने कहा, अगर चुनाव आयोग की फुल कमीशन बैठक में फैसला बहुमत के आधार पर ही होना है और आप अल्पमत की राय को फैसले शामिल नहीं करते हैं, तो अल्पमत की राय का क्या मतलब बनता है? सभी ऐसी बॉडी जिनमें एक से ज्यादा लोग फैसला लेते हैं, उनका काम करने का एक तरीका होता है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और इसे अपनी प्रक्रिया को फॉलो करना चाहिए.
कई मामलों में सहमत नहीं थे लवासा
लवासा ने इससे पहले आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने की बात कही थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि कई मामलों में उनकी राय नहीं सुनी गई. पीएम मोदी और अमित शाह के मामलों में भी लवासा क्लीन चिट दिए जाने को लेकर सहमत नहीं थे. लवासा ने चुनाव आयोग की बैठकों से भी किनारा कर लिया था.
अशोक लवासा के खुद को चुनाव आयोग की बैठकों से अलग करने वाले फैसले के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सामने आकर सफाई दी थी. उन्होंने कहा था, 'यह विवाद ऐसे समय में पैदा हुआ है, जब देशभर में सभी सीईओ (मुख्य चुनाव अधिकारी) और उनकी टीमें कल होने वाले सातवें और अंतिम चरण के मतदान और उसके बाद 23 मई की मतगणना के लिए अपनी तैयारी में जुटी हुई हैं. यह स्पष्ट करना जरूरी है कि यह ईसीआई का एक आंतरिक मामला है और इस संबंध में किसी अनुमान से बचा जाना चाहिए'
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