वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
विधानसभा चुनाव 2021 के नतीजों से साफ है कि असम में बीजेपी एक बार फिर सरकार बना रही है. बीजेपी को अब असम के अगले मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करना होगा, जो इसलिए चुनौतीपूर्ण काम माना जा रहा है.
बीजेपी की जीत के फैक्टर
- केंद्र की मोदी सरकार का नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर इसी राज्य से काफी विरोध हुआ. हालांकि, विधानसभा चुनाव में हुई वोटिंग में इस विरोध का कोई खास असर नहीं दिखा. वहीं CAA का मुद्दा उठाने वाली कांग्रेस पार्टी और सहयोगी दल इसका कोई खास राजनीतिक फायदा नहीं ले सके.
- सबसे बड़ा फैक्टर यही है कि दो बड़े स्थानीय चेहरों सर्बानंद सोनोवाल और हिमंता बिस्वा सरमा ने बीजेपी को चुनाव में सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
- वेलफेयर स्कीम जैसे अरुणोदय योजना, लड़कियों को स्कूटी देने की योजना, शिक्षकों की बहाली ने बीजेपी के पक्ष में काम किया.
- 'महाजोत' पर्याप्त वोट नहीं बटोर सकी और उनके उठाए गए मुद्दे बीजेपी की स्कीम्स के आगे कमजोर साबित हुए.
अगला CM कौन?
BJP पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का नाम मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर घोषित नहीं किया है.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीजेपी के असम प्रभारी जय पांडे से जब असम के अगले मुख्यमंत्री के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''हमारा संसदीय बोर्ड (इस पर) फैसला करेगा.'' इस बीच, राजनीतिक गलियारों में असम के अगले मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा का नाम भी प्रमुखता से सामने आ रहा है.
जहां सोनोवाल अपनी सरकार के खिलाफ तथाकथित सत्ता विरोधी रुझान को मात देने में कामयाब रहे हैं, वहीं सरमा का कद पिछले कुछ सालों में बीजेपी में और बढ़ा है.
बीजेपी के अंदर की जानकारी रखने वालों के मुताबिक, सोनोवाल की छवि साफ है, लेकिन उनका सरमा जैसा दबदबा नहीं है. सरमा को नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में बीजेपी की अहम कड़ी के तौर पर देखा जाता है और उन्हें अमित शाह का भरोसेमंद नेता माना जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी नेतृत्व को अब सरमा को इनाम देना होगा, जिनसे राज्य और क्षेत्र में पार्टी को लेकर उनके योगदान के लिए शीर्ष पद का वादा किया गया था. पार्टी के सूत्रों ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा इस बात पर फैसला करेंगे कि असम का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इस फैसले को सोनोवाल और सरमा, दोनों के राजनीतिक भविष्य के लिए काफी अहम माना जा रहा है.
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