यूपी की लगभग आधी सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. बाकी बची सीटों के लिए चुनाव प्रचार में हर पार्टी के स्टार फेस अपना पूरा दमखम लगाते दिख रहे हैं. लेकिन पूर्वी यूपी की बात करें तो यहां कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो स्टार तो नहीं लेकिन अपने इलाके में काफी दबदबा रखते हैं. ऐसे नेताओं को बाहुबली नेता कहा जाता है. आपराधिक छवि के बावजूद ये नेता लोगों में काफी पॉपुलर हैं. इसीलिए इस लोकसभा चुनाव में भी ये किसी भी पार्टी के समीकरण बना या बिगाड़ सकते हैं.
पूर्वी यूपी के हर चुनाव में कई सीटों पर ऐसे बाहुबली नेताओं का असर दिखता है. जानिए इस चुनाव में कितना असर छोड़ पाएंगे ये बाहुबली नेता और कैसे बिना किसी बड़ी पार्टी के कायम रखते हैं अपना वजूद.
खबर को सुनने के लिए यहां क्लिक करें
यहां बोलता है मुख्तार अंसारी का सिक्का
पूर्वी यूपी में कई बाहुबली नेता हैं, जिनका असर अभी तक कई इलाकों में दिखता है. इनके नाम का सिक्का आज भी चलता है. मुख्तार अंसारी भी ऐसे ही एक बाहुबली नेता हैं, जिनका पूर्वी यूपी के वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर और मऊ में आज भी अच्छा खासा दबदबा है. अपराध के जगत से राजनीति का सफर तय करने वाले अंसारी मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार विधायक हैं. अंसारी पर हत्या, किडनैपिंग और फिरौती के कई मामले दर्ज हैं.
इस लोकसभा चुनाव में गाजीपुर से मुख्तार अंसारी के भतीजे शोएब अंसारी उर्फ मन्नू अंसारी ने चुनावी पर्चा भरा था, लेकिन अंत में नाम वापस ले लिया. इस सीट पर बीजेपी ने मनोज सिन्हा को उतारा है. अब सिन्हा का सीधा मुकाबला गठबंधन उम्मीदवार मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी से है
अतीक अहमद की साख
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में बाहुबली नेता अतीक अहमद का एक समय में काफी बोलबाला हुआ करता था. हालांकि आज भी उन्हें पसंद करने वालों की कमी नहीं है. साल 2004 में अतीक अहमद फूलपुर से चुनाव जीतकर सांसद बने थे. समाजवादी पार्टी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया था. अतीक ऐसे बाहुबली नेता हैं, जिनका पूरे पूर्वी यूपी में नाम चलता है. अतीक अहमद पर भी कई सालों से गंभीर अपराधों के मुकदमे चल रहे हैं. इसी के चलते वो फिलहाल जेल में बंद हैं.
अतीक अहमद ने इस लोकसभा चुनाव में वाराणसी से नामांकन दाखिल कर लिया है. जेल में रहते हुए वो चुनाव लड़ेंगे.अतीक वाराणसी सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देंगे. वाराणसी में उनका अच्छा खासा मुस्लिम वोट बैंक है, ऐसे में अतीक पीएम मोदी के हजारों वोट काट सकते हैं
राजा भैया ने उतारे उम्मीदवार
बाहुबली नेताओं का जिक्र हो और राजा भैया की बात न हो ऐसा होना मुमकिन नहीं है. राजा भैया पूर्वी यूपी के एक बड़े बाहुबली नेता हैं. यूपी के प्रतापगढ़ और उसके आसपास के जिलों में राजा भैया का खूब नाम चलता है. राजा भैया की चुनावी रैलियों में भीड़ देखकर ही उनके विपक्षी नेता ताकत का अंदाजा लगा लेते हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले राजा भैया ने अपनी पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) का ऐलान कर दिया. इसके बाद अपने उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतार दिए. राजा भैया ने प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. जिसके बाद बाकी पार्टियों को अपने सियासी समीकरण बिगड़ने का डर सताने लगा है. क्योंकि इन दो सीटों पर राजा भैया का अच्छा-खासा दबदबा है.
बृजेश सिंह का भी बड़ा नाम
पूर्वांचल में आज भी लगभग हर दूसरे गांव में बृजेश सिंह के किस्से सुनने को मिल जाते हैं. माफिया से राजनीति में आने वाले एक बड़े बाहुबली नेता बृजेश सिंह पर सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों में भी संगीन मामले दर्ज हैं. लेकिन यहां भी क्राइम का पॉलिटिक्स कनेक्शन आसानी से जुड़ गया. बाहुबली बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी के किस्से भी काफी दिलचस्प हैं. वर्चस्व की लड़ाई में दोनों नेताओं के बीच कई गैंगवॉर हुई.
बृजेश सिंह का यूपी के चंदौली, जौनपुर और वाराणसी में काफी दबदबा है. पहले कहा जा रहा था कि वो अपने किसी रिश्तेदार को चुनाव लड़वा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
हालांकि पिछले कुछ समय से ज्यादातर बाहुबली नेता अपनी वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इनकी लोकप्रियता में कहीं न कहीं कमी आई है. पहले जहां कई पार्टियां बाहुबली नेताओं को अपनी जीत का अहम हिस्सा मानती थीं, वहीं आज सभी पार्टियां ऐसे नेताओं से किनारा कर रही हैं. यही वजह है कि बाहुबली नेता या तो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं या फिर किसी छोटे दल के साथ जुड़कर राजनीति में खोई जमीन तलाशने में जुटे हैं
जौनपुर से बीएसपी सांसद रहे धनंजय सिंह, आजमगढ़ से सांसद रहे रमाकांत यादव उनके भाई उमाकांत यादव, मित्रसेन यादव, मुन्ना बजरंगी, अरुण शंकर शुक्ला और बाल कुमार पटेल जैसे बाहुबली नेता भी यूपी की राजनीति में खास असर रखते हैं.
क्यों पसंद करते हैं लोग?
बाहुबली नेताओं पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं. अपनी दबंग इमेज बनाने के लिए वो ऐसे अपराधों को अंजाम देते हैं. लेकिन यही दबंग इमेज उन्हें लोगों के सामने पॉप्युलर भी बना देती है. लोग उनके इसी अंदाज के चलते उन्हें पसंद करते हैं. जिन गरीबों का अपने बड़े नेताओं और प्रशासन से भरोसा उठता है, वो अंत में न्याय के लिए ऐसे ही बाहुबलियों की शरण में जाते हैं. बाहुबली नेता भी खुलकर अपने लोगों की मदद करते हैं. यही वजह है कि लोगों के बीच उनकी खास पहचान बन जाती है. हालांकि इसकी आड़ में कई आपराधिक गतिविधियां भी चलती हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)