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बिहार चुनाव: 61% लोगों ने कहा चिराग पासवान और बीजेपी साथ हैं- पोल

बिहार में 61% लोगों ने कहा चिराग पासवान और बीजेपी साथ हैं- पोल

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बिहार चुनाव को लेकर एक अहम बात सामने आई है. यहां के 61 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि चिराग पासवान की लोजपा और बीजेपी एक-दूसरे के साथ काम कर रही हैं. बिहार के विधानसभा चुनावों को लेकर शनिवार को जारी हुए एबीपी-सीवोटर के जनमत सर्वे के अनुसार, 61 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि वास्तव में लोजपा और बीजेपी अंदरुनी तौर पर एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं.

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क्या चुनाव के बाद एलजेपी और आरजेडी हाथ मिलाएंगे?

इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं और राज्य के चुनावों में बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. इस सवाल पर कि चुनाव के बाद चिराग पासवान राजद से हाथ मिलाएंगे या नहीं. इस पर सर्वे में 53.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि चुनाव के बाद राजद और लोजपा हाथ मिला सकते हैं जबकि 46.7 प्रतिशत ने इसका नकारात्मक जबाव दिया.

क्या एलजेपी के बाहर होने से बीजेपी को नुकसान होगा ?

अधिकांश लोगों को यह भी लगता है कि लोजपा के बाहर होने से बीजेपी गठबंधन को नुकसान होगा. सर्वे में 59.3 प्रतिशत ने कहा कि इससे बीजेपी गठबंधन को नुकसान होगा, जबकि 40.7 प्रतिशत ने इससे इनकार किया.

असली एनडीए कौन है इस पर भी मतदाता के मन में भ्रम है. 42.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि भले ही लोजपा एनडीए से बाहर चली गई है, फिर भी असली एनडीए, बीजेपी और लोजपा हैं. वहीं 57.3 फीसदी ने कहा कि बीजेपी-जदयू गठबंधन ही असली गठबंधन है.

क्या बीजेपी और एलजेपी को लेकर वोटर में भ्रम है?

एक तरफ जहां चिराग पासवान ने बिहार चुनाव में अकेले जाने का फैसला किया है, वहीं दूसरी ओर वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं और चुनावों के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन करने की बात कर रहे हैं. क्या इसे लेकर मतदाता में भ्रम की स्थिति है, इस पर 57.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां इसे लेकर भ्रम की स्थिति है, जबकि 42.3 प्रतिशत ने कहा कि ऐसा कोई भ्रम नहीं है.

यह सर्वे 30,678 लोगों पर 1 अक्टूबर से 23 अक्टूबर के बीच किया गया है. वहीं पिछले 12 हफ्तों में ट्रैकर द्वारा कुल 60 हजार से अधिक लोगों को बतौर सैंपल इसमें शामिल किया गया है. इसके अलावा सर्वे 243 विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर रहा है और इसमें त्रुटि का मार्जिन राज्य स्तर पर प्लस/माइनस 3 प्रतिशत और क्षेत्रीय स्तर पर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत है.

इसमें इस्तेमाल किया गया डेटा ज्ञात जनगणना आंकड़ों पर आधारित है. सर्वे में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हुए मतदान के अलावा लिंग, आयु, शिक्षा, ग्रामीण/शहरी, धर्म और जाति आदि का डेटा शामिल है.

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