NRC बिहार में NDA की पार्टियां अलग-अलग भाषा बोल रही है. एक तरफ BJP CAA और NRC के नाम पर वोट मांग रही है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार लोगों से कह रहे हैं कि किसी में इतना दम नहीं है कि वो हमारे लोगों को देश से बाहर कर दे. अब इसे बीजेपी-जेडीयू के बीच तल्खी माना जाए या फिर ये सिर्फ वोटर को बेवकूफ बनाने की सोची समझी चाल है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार चुनाव में प्रचार के लिए कटिहार आये थे. इसी दौरान उन्होंने कहा,
“CAA (नागरिकता संशोधन कानून) के रूप में मोदी जी को घुसपैठियों की समस्या का समाधान मिल गया है, उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है. केंद्र ने यह भी कहा है कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले किसी भी घुसपैठिये को बाहर फेंक दिया जाएगा. देश की सुरक्षा और संप्रभुता से उलझने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
योगी के इस बयान पर चर्चा शुरू ही हुई थी कि BJP के साथी नीतीश कुमार ने बिना किसी का नाम लिए ही कह दिया कि कौन किसको देश से बाहर करेगा?
बिना नाम लिए योगी पर नीतीश का निशाना
नीतीश ने मुस्लिम बाहुल इलाके किशनगंज में अल्पसंख्यकों के लिए किए गए अपने काम को गिनाते हुए कहा,
“ये कौन दुष्प्रचार करता रहता है, फालतू बात करता रहता है. कौन किसको देश से बाहर करेगा? ऐसा इस देश में किसी में दम नहीं है.सब भारत के हैं, कौन इसको बाहर करेगा साहब? ये सब कैसी बात करते रहते हैं यू हीं.”
नीतीश ने आगे कहा -''जब से आपने मौका दिया है, हमने तो समाज में प्रेम का, भाईचारे का, सद्भावना का माहौल पैदा किया है. सबको एकजुट करने की हमने कोशिश की है. कुछ लोग चाहते हैं समाज में झगड़ा चलता रहे. कोई काम करने की जरूरत नहीं है. और हम तो काम करते रहते हैं. और हमारा मकसद यही है कि जब सबलोग प्रेम से भाईचारे से सद्भावना के साथ रहेंगे, तभी समाज आगे बढ़ेगा. लोग आगे बढ़ेंगे, तरक्की करेंगे."
नीतीश ने अपने बयान से कहीं न कहीं ये संदेश दे दिया है कि वो गठबंधन में अपनी अलग जगह रखते हैं. बता दें कि जब नागरिकता संशोधन बिल पर वोटिंग का मौका था तब नीतीश कुमार की पार्टी ने संसद में BJP का समर्थन किया था, हालांकि जब देश भर में CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था तब नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू नहीं करने का प्रस्ताव पास किया था.
वोटरों को कन्फ्यूज करने का गेम प्लान?
आखिरी चरण के चुनाव में ज्यादातर सीटों पर मुस्लिमों का वोट जीत हार का फैक्टर सेट करते हैं. जिस इलाके में में नीतीश भाषण दे रहे थे, वहां की भाषा भी बंगाली से मिलती जुलती लगती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नीतीश और BJP का नागरिकता कानून पर बयानबाजी आपसी विवाद है या फिर वोटरों को कंफ्यूज करने की कोई रणनीति?
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