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बिहार चुनाव: दो ओपिनियन पोल दिखा रहे NDA की जीत, लेकिन उलटफेर संभव

दो सर्वों में, नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA के लिए आसान जीत के अनुमान सामने आए हैं.

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Elections 2020) के पहले फेज की वोटिंग 28 अक्टूबर को होनी है. इससे पहले पिछले एक हफ्ते में दो अहम ओपिनियन पोल्स के अनुमान सामने आए हैं.

CVoter ने 24 अक्टूबर को अपने ताजा सर्वे का डेटा जारी किया, उससे पहले लोकनीति CSDS ने भी 20 अक्टूबर को सर्वे के आंकड़े जारी किए थे. दोनों सर्वे में, नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए आसान जीत के अनुमान सामने आए हैं.

हालांकि, इन ओपिनियन पोल्स से विपक्षी दलों के ‘महागठबंधन’ के समर्थक सहमत नहीं हैं. उनकी दलील है कि पहले भी कई बार ओपिनियन और एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए हैं.

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ऐसे में इन पोल्स को लेकर किसी भी तरह के फैसले से बचते हुए, यह आर्टिकल आपको इन सवालों का जवाब देने की कोशिश करेगा:

  • बिहार चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल्स के अनुमान क्या हैं?
  • इन पोल्स से कौन सी बड़ी तस्वीर निकलकर सामने आ रही है?
  • आने वाले हफ्तों में किन फैक्टर्स पर नजर रहेगी?

CVoter और CSDS ओपिनियन पोल्स बिहार के बारे में क्या कहते हैं?

  • वोट शेयर की बात करें, तो CVoter सर्वे NDA को 8 पर्सेंटेज प्वाइंट की बढ़त देता है, जबकि CSDS सर्वे उसे 6 पर्सेंटेज प्वाइंट की बढ़त देता है.
  • महागठबंधन के लिए वोट शेयर को लेकर दोनों सर्वे के अनुमान आसपास ही हैं: CVoter सर्वे में 35 फीसदी और CSDS में 32 फीसदी.
  • हालांकि, NDA के वोट शेयर को लेकर दोनों सर्वे के अनुमानों में बड़ा अंतर है: CVoter सर्वे में 43 फीसदी और CSDS में 36 फीसदी.
  • अन्य के वोट शेयर की बात करें तो CVoter सर्वे गैर-NDA, गैर-महागठबंधन दलों को 23 फीसदी वोट शेयर देता है, वहीं CSDS सर्वे में यह आंकड़ा 30 फीसदी का है.
  • CVoter ने LJP के लिए 4 फीसदी वोटों का अनुमान लगाया है, वहीं CSDS ने 6 फीसदी का.
अगर सीटों की बात करें, तो CVoter ने NDA को 147, महागठबंधन को 87, LJP को 4 और अन्य को 6 के आसपास सीटें दी हैं. CSDS ने NDA को 138, महागठबंधन को 93, LJP को 6 और अन्य को 9 सीटें दी हैं.
  • मुख्यमंत्री पद को लेकर पसंद की बात करें, तो NDA के नीतीश कुमार और महागठबंधन के तेजस्वी यादव के बीच CVoter पोल में, CSDS पोल से ज्यादा अंतर है.
  • चिराग पासवान और सुशील मोदी ने भी CVoter पोल में अच्छा प्रदर्शन किया है.
  • एक और बड़ा अंतर ये है कि CVoter पोल में 54 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को मुख्य चुनावी मुद्दे के तौर पर चुना है, जबकि CSDS पोल में यह आंकड़ा 20 फीसदी ही है. CSDS पोल में 29 फीसदी के आंकड़े के साथ ‘विकास’ वोटरों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है.
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दोनों सर्वे से कौन सी बड़ी तस्वीर सामने आती है?

कई अंतर होने के बावजूद, दोनों पोल्स से एक जैसे कुछ व्यापक ट्रेंड भी सामने आए हैं:

  • गठबंधन के अनुकूल समीकरण बैठने का फायदा NDA को मिलता दिख रहा है.
  • लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद RJD की अगुवाई वाला गठबंधन अपना आधार हासिल करते हुए नजर आ रहा है. तेजस्वी यादव, यादव और मुस्लिमों के RJD के मूल वोट पर पकड़ बनाए दिख रहे हैं, शायद वह इससे थोड़ा आगे भी बढ़ सकते हैं.
  • एंटी-इन्कम्बेंसी के बावजूद, कुर्मी, ईबीसी और महादलितों के बीच नीतीश कुमार का मूल समर्थन थोड़ी लीकेज के साथ बरकरार दिख रहा है.
  • LJP, JDU को नुकसान पहुंचती दिख रही है. CVoter पोल से इस बात को मजबूती मिलती है, जो इसे BJP से 14 सीट और 3 पर्सेंटेज प्वाइंट वोट कम देता है.
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इन फैक्टर्स पर रहेगी नजर

  • CSDS पोल और CVoter के एक पुराने पोल ने संकेत दिए कि 20 फीसदी से ज्यादा वोटरों ने अभी भी कुछ तय नहीं किया.
  • CVoter के मुताबिक, बिहार की 243 में 57 विधानसभा सीटें अभी भी मार्जिन ऑफ एरर के अंदर हैं - मतलब यह कि यहां टॉप दो पार्टियों के बीच का अंतर 3 पर्सेंटेज प्वाइंट या उससे कम है.

फिलहाल NDA को इन 57 में से 31 सीटों पर बढ़त हासिल है, जबकि महागठबंधन को इनमें से 20 सीट पर बढ़त हासिल है. ऐसे में, इन सीटों की वजह से अनुमानों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. हालत ये भी हो सकती है कि NDA बहुमत का आंकड़ा भी न छू पाए या ऐसा भी हो सकता है कि उसे अनुमान से ज्यादा सीटें भी मिल जाएं.

LJP के फैक्टर की बात करें तो यह पार्टी राज्य की लगभग आधी सीटों पर लड़ रही है. इसने ज्यादातर ऐसी सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जहां BJP लड़ रही है. ऐसे में BJP को LJP के वोटरों से फायदा हो सकता है, लेकिन उसकी सहयोगी पार्टियों JDU, HAM और VIP के लिए ऐसा होता नहीं दिख रहा.

कुछ सीटों पर ऐसा भी हो सकता है कि BJP के वोटर JDU को दरकिनार कर LJP को वोट कर दें.

BJP के कई नेता भले ही LJP को लेकर सफाई दे रहे हों, लेकिन पीएम मोदी की तरफ से LJP की आलोचना न करना, PM के चेहरे वाले कई ऐड में नीतीश कुमार का चेहरा शामिल न होना, इस तरह के पहलू अभी भी BJP-JDU के संबंध को लेकर तमाम अटकलों को जिंदा रखे हुए हैं.

युवा वोटरों पर नजरें रहेंगी. इन वोटरों का एक बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार से साफ तौर पर नाखुश दिखता है. RJD की पिछली सरकारों पर जब NDA निशाना साधती है, तो युवा वोटरों के उसकी वजह से प्रभावित होने की संभावना भी कम ही होती है, क्योंकि उस वक्त की बातें उनकी यादों से बाहर हैं.

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