ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक साल, 34 लाख नौकरियां और बेरोजगारी खत्म, कितना मुमकिन है ये वादा

राहुल गांधी ने किया है 34 लाख नौकरियां देने का वादा

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर अपनी पार्टी के मैनिफेस्टो में एक ऐसा वादा किया, जिसे सुनकर देश के लाखों युवाओं में एक उम्मीद जगी है. ये वादा है 34 लाख नौकरियों का.

राहुल गांधी ने मेनिफेस्टो जारी करने के दौरान कहा कि वो देशभर में खाली पड़े लाखों पदों को सिर्फ एक साल में भरने का काम करेंगे. लेकिन सवाल ये है कि जो काम पिछले पांच साल में केंद्र में मौजूद एनडीए सरकार नहीं कर पाई, क्या वाकई वो काम एक साल में पूरा हो सकता है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कांग्रेस के मेनिफेस्टों में नौकरियों का वादा

कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में न्यायपालिका और संसद के सभी 4 लाख खाली पद मार्च 2020 तक भरने का वादा किया है. इसके अलावा कहा गया है कि कांग्रेस राज्य सरकारों को शिक्षा-स्वास्थ्य और स्थानीय निकायों (ग्राम पंचायत, नगर निकाय) के लिए बजट रिलीज करने से पहले शर्त रखेगी कि इन विभागों में खाली पड़े करीब 20 लाख पदों को प्राथमिकता से भरा जाए.

10 लाख सेवा मित्रों की नियुक्ति

कांग्रेस ने 10 लाख सेवा मित्रों की नियुक्ति का भी वादा किया है. मेनिफेस्टो में कहा गया है कि स्थानीय निकायों में राज्य सरकारों के साथ मिलकर 10 लाख सेवा मित्रों की नियुक्ति करेंगे, जिनका काम सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना होगा.

राहुल गांधी ने इसी तरह 4 लाख न्यायपालिका और संसद, 20 लाख शिक्षा, स्वास्थ्य और नगर निकाय, 10 लाख सेवा मित्रों को मिलाकर कुल 34 लाख नए रोजगार देने की बात कही है.

राजनीतिक दल भले ही रोजगार के मुद्दे पर अपने मेनिफेस्टों में जो भी वादे करें, लेकिन देश में रोजगार का हाल किसी से छिपा नहीं है.

देश की बड़ी यूनिवर्सिटीज का हाल

न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एचआरडी मिनिस्ट्री के हवाले से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की कई यूनिवर्सिटीज में सैकड़ों पद खाली हैं, जिन्हें सरकारें या तो चाहकर भी नहीं भर पा रहीं, या फिर भरना ही नहीं चाहती हैं. यहां देखिए कुछ यूनिवर्सिटीज में खाली पदों का हाल-

  • ओडिशा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कुल 88 प्रतिशत पद खाली हैं
  • इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में 67 प्रतिशत पत फिलहाल खाली पड़े हैं
  • पढ़ने के लिए सबसे बेहतर मानी जाने वाली दिल्ली यूनिवर्सटी में भी लगभग 47 प्रतिशत पद खाली हैं
  • जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में भी 34 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली हैं
ADVERTISEMENTREMOVE AD

NSSO की रिपोर्ट ने खोली पोल

हाल ही में नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की लीक हुई एक रिपोर्ट ने रोजगार के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले 45 साल में रोजगार की हालत सबसे ज्यादा खराब है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 की बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद अभी सबसे ज्यादा है. इस रिपोर्ट के मीडिया में आने के बाद नीति आयोग को सामने आकर सफाई देनी पड़ी थी. उनका कहना था कि ऐसा कोई भी डेटा सरकार की तरफ से रिलीज नहीं हुआ है.

राहुल गांधी बेरोजगारी के इसी डेटा को देखते हुए खाली पड़े लाखों पदों को भरने का वादा कर एक मास्टर स्ट्रोक खेला है. इस डेटा को सरकार की नाकामी बताते हुए वो अपनी हर चुनावी रैली में बेरोजगारी का जिक्र कर रहे हैं. हालांकि युवाओं को हर पार्टी एक बार फिर बड़े वोट बैंक की तरह देख रही है
ADVERTISEMENTREMOVE AD

CMIE की रिपोर्ट में बेरोजगारी दर बढ़ने की बात

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की रिपोर्ट ने भी बेरोजगारी दर बढ़ने की बात पर मुहर लगाने का काम किया. इसमें बताया गया था कि फरवरी 2019 में भारत में बेरोजगारी दर 7.2 फीसदी तक पहुंच गई, जो सितंबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरी खोई थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अन्य सेक्टरों में नौकरियों का हाल

संसद में साल 2018 में रोजगार को लेकर दिए गए डेटा के अनुसार लगभग सभी सेक्टरों को मिलाकर 20 लाख से भी ज्यादा पद खाली हैं. बताया गया था कि शिक्षा विभाग में 10 लाख से भी ज्यादा पद खाली हैं. इसके अलावा पुलिस में करीब 5 लाख से ज्यादा, रेलवे में दो लाख से ज्यादा, आंगनबाड़ी में 2 लाख से ज्यादा, स्वास्थ्य विभाग में डेढ़ लाख, अर्धसैनिक बलों के 60 हजार से ज्यादा पद, एम्स में 21 हजार से ज्यादा और कोर्ट में 5 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. जिन्हें अभी तक भरा नहीं गया है.

मेनिफेस्टो में राहुल गांधी ने इन लाखों पदों को भरने की डेडलाइन तो दे दी है, लेकिन एक साल में इतने पदों को भर पाना लगभग नामुमकिन है. अगर सही तरीके से सभी विभागों में भर्तियां और उनका रिजल्ट आता है तो लाखों युवाओं की बेरोजगारी की समस्या दूर हो सकती है
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आखिर क्यों नहीं भर पाते हैं लाखों पद?

हर साल लाखों पदों पर भर्तियां निकाली जाती हैं, लेकिन इसके बाद भी इतने लाख पद आखिर कैसे खाली रह जाते हैं? ये सवाल शायद आज देश का हर बेरोजगार पूछ रहा है. दरअसल लगभग हर दूसरी भर्ती में कुछ ऐसा होता है जिससे इसके रिजल्ट या फिर आयोजन पर ही सवाल उठने लगते हैं. कई बार पेपर लीक के बाद मामला कई महीनों या फिर साल तक कोर्ट में चला जाता है. जिससे लाखों छात्र अधर में ही लटक जाते हैं. ऐसे ही कई कारणों से ये पद कई सालों तक खाली ही रहते हैं. राजनीतिक पार्टियां और सरकार को बेरोजगारी और रोजगार का खयाल चुनाव से कुछ ही महीने पहले आता है. इससे जुड़ा डेटा की चर्चा भी चुनाव के दौरान ही होती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×