पश्चिम बंगाल में अपना प्रदर्शन सुधारने की कोशिश में जुटी बीजेपी को एक अस्वाभाविक सहयोगी मिल गया है. बताया जा रहा है जमीनी स्तर पर सीपीएम के कार्यकर्ता चुपचाप बीजेपी की मदद कर रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सीपीएम के ये कार्यकर्ता ममता बनर्जी की टीएमसी को रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी पहले की तुलना में टीएमसी का अच्छे से मुकाबला करती दिख रही है. माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में इस बार बीजेपी के वोट शेयर में बड़ा उछाल आ सकता है.
हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के पास उत्तर भारत समेत दूसरे राज्यों जैसा मजबूत संगठन नहीं है. इस वजह से पार्टी जमीनी स्तर पर टीएमसी और यहां तक कि प्रभावहीन दिख रही कांग्रेस और लेफ्ट के मुकाबले कमजोर है.
बीजेपी के चुनावी प्रबंधकों ने सहजता से स्वीकारा है कि वे अप्रत्याशित सहयोगियों से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं. इन सहयोगियों में जमीनी स्तर के सीपीएम कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
सीपीएम के जमीनी कार्यकर्ता टीएमसी के कथित उत्पीड़न और उसकी बढ़ती ताकत की वजह से उसे रोकने की कोशिश में हैं. इस कोशिश में ये कार्यकर्ता भगवा खेमे के साथ हाथ मिलाने से भी नहीं हिचक रहे हैं.
बताया जा रहा है कि जिन वॉर्डों में लेफ्ट जीतने की हालत में नहीं है, वहां के सीपीएम कार्यकर्ता चुपचाप बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं. इसे समझने के लिए कोलकाता उत्तर संसदीय क्षेत्र का उदाहरण लेते हैं. इस क्षेत्र में 1862 पोलिंग बूथ हैं. बीजेपी यहां टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को हराने की कोशिश में है, लेकिन उसके कार्यकर्ताओं की पहुंच केवल 500 बूथों तक है.
यहां बीजेपी के चुनावी प्रबंधक कुछ इलाकों में डोर टु डोर कैंपेनिंग के लिए चुपचाप सीपीएम कार्यकर्ताओं मदद ले रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच इस बात पर भी अलिखित समझौता हुआ है कि वोटिंग के दिन जिन बूथों पर बीजेपी के एजेंट ना हों, वहां सीपीएम के कार्यकर्ता निगरानी रखें.
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