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चुनाव 2019: मध्य प्रदेश की सियासत में दांव पर पांच रियासतें

कांग्रेस ने चार और बीजेपी ने एक राजघराने के सदस्य पर लगाया दांव

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लोकसभा चुनाव 2019 में मध्य प्रदेश की अलग-अलग रियासतों के वारिस भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. कांग्रेस ने जहां चार राजघरानों या रियासतों के प्रतिनिधियों को मैदान में उतारा है, वहीं बीजेपी ने एक पर दांव लगाया है.

राज्य की 29 लोकसभा सीटों पर मुकाबला रोचक है. मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच बीच है. कहीं-कहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) के उम्मीदवार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले चुनाव में राज्य की 29 सीटों में से 27 पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. बाद में एक उपचुनाव में कांग्रेस ने एक और सीट जीत ली थी.

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कांग्रेस ने चार और बीजेपी ने एक राजघराने के सदस्य पर लगाया दांव

राज्य में चुनाव कोई भी हो, रियासतों या यूं कहें राजघरानों के प्रतिनिधि ताल ठोकते नजर आ जाते हैं. इस बार कांग्रेस ने गुना संसदीय सीट से सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि ज्योतिरादित्य सिंधिया, भोपाल से राघौगढ़ रियासत के प्रतिनिधि दिग्विजय सिंह, सीधी से चुरहट रियासत के अजय सिंह, खजुराहो से छतरपुर राजघराने की कविता सिंह को मैदान में उतारा है.

इसके अलावा बीजेपी ने आदिवासी राजघराने से नाता रखने वाली हिमाद्री सिंह पर दांव लगाया है. इन पांच राजघरानों के प्रतिनिधियों में सिर्फ सिंधिया ही ऐसे हैं, जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता है.

1. सिंधिया राजघराने से ज्योतिरादित्य सिंधिया

सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि ज्योतिरादित्य सिंधिया पांचवीं बार गुना संसदीय क्षेत्र से मैदान में हैं. बीते चार चुनाव उन्होंने लगातार जीते हैं. इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार के. पी. यादव से है. यादव कभी सिंधिया के करीबी और उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे. यह संसदीय क्षेत्र सिंधिया घराने के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इसी संसदीय क्षेत्र के शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी की विधायक हैं.

2. राघौगढ़ राजघराने से दिग्विजय सिंह

इन दिनों देश की चर्चित सीटों में से एक भोपाल में राघौगढ़ के प्रतिनिधि दिग्विजय सिंह का मुकाबला बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से है. दोनों उम्मीदवार पहली बार इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. भोपाल संसदीय क्षेत्र पर बीते आठ चुनावों से बीजेपी उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं. कांग्रेस ने साल 1984 में यहां अंतिम बार जीत दर्ज की थी.

दिग्विजय सिंह राज्यसभा सांसद हैं और पूर्व में वह राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं.

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3. छतरपुर राजघराने से कविता सिंह

खजुराहो संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने छतरपुर राजघराने की प्रतिनिधि कविता सिंह को मैदान में उतारा है. कविता सिंह के पति विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा राजनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं. यहां कविता सिंह का मुकाबला बीजेपी के वी.डी. शर्मा से है. परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में यहां बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.

4. चुरहट रियासत के अजय सिंह

सीधी संसदीय क्षेत्र से चुरहट रियासत के प्रतिनिधि और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह पर कांग्रेस ने दांव लगाया है. अजय सिंह का मुकाबला बीजेपी सांसद रीति पाठक से है. आदिवासी प्रभाव वाली इस सीट पर पिछले दो चुनावों से बीजेपी के उम्मीदवार जीते हैं.

अजय सिंह पहली बार इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछला चुनाव उन्होंने सतना से लड़ा था, मगर वहां उन्हें सफलता नहीं मिली थी.

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5. राज गोड़ परिवार की हिमाद्री सिंह

बीजेपी ने शहडोल संसदीय सीट से हिमाद्री सिंह को मैदान में उतारा है. हिमाद्री सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हैं. हिमाद्री का नाता राज गोड़ परिवार से है. हिमाद्री ने उप-चुनाव कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, मगर उन्हें हार मिली थी. उसके बाद वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई और बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया.

राजनीतिक विश्लेषक संतोष द्विवेदी का कहना है, "राजनीतिक दल राजघरानों या रियासतों के प्रभाव के चलते उम्मीदवार तय कर देते हैं, मगर इन परिवारों का असर उतना नहीं है कि सिर्फ घराने के आधार पर जीत मिल जाए. सिंधिया राजघराने का ग्वालियर-गुना में प्रभाव है, इसे नहीं नकारा जा सकता. इस परिवार का राजनीति करने का तरीका औरों से जुदा है, लिहाजा उसी के चलते उन्हें लोग वोट करते हैं न कि सिर्फ राजघराने के कारण."

(इनपुटः IANS)

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