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दुष्यंत चौटाला की सुरक्षा बढ़ाई गई, BJP के साथ बना रहे हैं सरकार

दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी से मिलाया हाथ

Published
चुनाव
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हरियाणा में बीजेपी को समर्थन देने के बाद अब जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख दुष्यंत चौटाला की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. साथ मिलकर सरकार बनाने की घोषणा के तुरंत बाद चौटाला की सुरक्षा में बढ़ोतरी की गई. इसके अलावा उनके सिरसा और हिसार के घरों पर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है.

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दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा में अपनी नई पार्टी के साथ शानदार डेब्यू किया. उन्हें पहले ही चुनाव में 10 विधानसभा सीटें मिलीं. नतीजों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर चौटाला किंग मेकर की भूमिका में आ गए. जिसके बाद सभी की नजरें उन पर टिकी थीं. लेकिन आखिरकार उन्होंने बीजेपी का दामन थामने का फैसला किया.
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जेजेपी से डिप्टी सीएम

दुष्यंत चौटाला की सुरक्षा अभी और भी बढ़ाई जा सकती है, क्योंकि वो हरियाणा के डिप्टी सीएम भी हो सकते हैं. बीजेपी ने गठबंधन की घोषणा करते हुए ये भी बताया कि जेजेपी से ही हरियाणा का डिप्टी सीएम होगा. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि चौटाला खुद डिप्टी सीएम बनेंगे या फिर अपने किसी नेता को ये जिम्मेदारी सौंपेंगे. कैबिनेट में सीट बंटवारे पर फिलहाल कोई ऐलान नहीं हुआ है.

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अमित शाह के घर हुई बैठक के बाद किया ऐलान

जेजेपी अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला शुक्रवार शाम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करने उनके घर पहुंचे. इस मुलाकात की भूमिका तैयार करने में बीजेपी के युवा नेता और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का हाथ रहा . सबसे पहले दुष्यंत चौटाला अनुराग ठाकुर के घर पर पहुंचे, फिर वहां से वह गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर पहुंचे हैं. बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन की बातचीत बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में हुई.

दुष्यंत चौटाला ने चुनाव नतीजों के तुरंत बाद अपने पत्ते नहीं खोले थे लेकिन शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उनके लिए कोई पार्टी अछूत नहीं है, उससे अटकलें लगने लगीं कि बीजेपी से बातचीत होने पर वह उसे समर्थन दे सकते हैं. इसके बाद से बीजेपी ने भी दुष्यंत चौटाला के लिए दरवाजे खोलने शुरू किए थे.

बता दें कि बीजेपी हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के जादुई आंकड़े 46 से 6 सीट पीछे रह गई थी. इसके बाद जेजेपी ने शुक्रवार की रात बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया. जेजेपी का गठन प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी रही इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से पारिवारिक विवादों के बाद हुआ.

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