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कांग्रेस या BJP, किसके साथ जाने से दुष्यंत को होगा ज्यादा फायदा?

‘’ना बीजेपी, ना कांग्रेस 40 पार करेगी, सत्ता की चाबी JJP के हाथ में होगी.’’

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''न बीजेपी, न कांग्रेस 40 पार करेगी, सत्ता की चाबी JJP के हाथ में होगी.'' ये बातें सिर्फ एक साल पहले जन्मी जननायक जनता पार्टी के चीफ दुष्यंत चौटाला ने कही है. चुनाव के अब तक के रुझान और नतीने भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

अब तक रुझानों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही है, साथ ही अब जेजेपी 'किंगमेकर' के रूप में उभरती हुई दिख रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि चुनाव चिह्न ‘चाबी’ वाली जननायक जनता पार्टी किस पार्टी के ताले की चाबी बनेगी?

अब तक हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी 'अबकी बार 75 पार' का दावा कर रही थी. लेकिन वोटों की गिनती में बड़ा उलटफेर होता नजर आ रहा है. शुरुआती रुझान में बीजेपी 45 के जादुई आंकड़े से दूर नजर आ रही है. ऐसे में जेजेपी के प्रदर्शन पर सबकी नजर है.

क्या हो सकता है जेजेपी का अगला कदम?

90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 सीट चाहिए. ऐसे में अगर जेजेपी 10 सीट भी ले आती है, तो वो 'सौदेबाजी' के रास्ते पर आगे बढ़ सकती है. आइए आपको बताते हैं कि जेजेपी के पास 'किंगमेकर' बनने के लिए क्या-क्या ऑप्‍शन हैं.

बीजेपी के साथ जा सकती है जेजेपी?

अगर मनोहरलाल खट्टर अपना जादू नहीं चला पाते हैं और 46 के आंकड़े से दूर रहते हैं, तो जेजेपी का साथ लेना उसके लिए सबसे बड़ा सौदे का फायदा रहेगा. वहीं जेजेपी के पास बीजेपी के साथ जाने पर अपने वोटरों को ये कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी केंद्र में सत्ता में है, तो उनके साथ जाना सही फैसला है.

साथ ही बीजेपी के साथ जाने पर जेजेपी अपने जाट वोटरों को ये मैसेज दे सकती है कि वो नॉन जाट पॉलिटिक्‍स करने वाली बीजेपी में जाटों की आवाज बुलंद करेगी.

क्या JJP कांग्रेस के साथ जा सकती है?

दूसरी तरफ, कांग्रेस के साथ जाने में जेजेपी का फायदा ये है कि कांग्रेस देश में मजबूत हालत में नहीं है, तो उसके साथ मंत्री पद से लेकर सरकारी कामकाज में ‘सौदेबाजी’ आसानी से की जा सकती है. कांग्रेस को भी सत्ता में वापसी के लिए जेजेपी नाम की ‘बैशाखी’ की जरूरत है.

ऐसे में कांग्रेस को छोड़ बीजेपी के साथ जाकर दुष्यंत चौटाला शायद कोई खतरा मोल न लेना चाहें. क्योंकि उन्हें भविष्य का बड़ा जाट नेता बनना है.

हालांकि कांग्रेस के पास खुद ही जाट नेता के रूप में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मौजूद हैं, ऐसे में कांग्रेस के साथ जाने पर दुष्यंत के लिए भविष्य में चैलेंज बना रहेगा.

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परिवार में फूट और जेजेपी का जन्म

17 नवंबर 2018 को ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल में फूट पड़ गई और अजय चौटाला और अभय चौटाला ने एक-दूसरे से अपना रास्ता अलग कर लिया. बड़े भाई अजय चौटाला ने ये कहकर पार्टी छोड़, “इनेलो और चश्मा (पार्टी चिह्न) मेरे अजीज बिल्लू (अभय चौटाला) को गिफ्ट करता हूं. मैं नई पार्टी बनाऊंगा, जिसका नया झंडा होगा और नया डंडा होगा.”

इसके बाद अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने 9 दिसंबर 2018 को अपनी नई पार्टी ‘जननायक जनता पार्टी’ की नींव रखी.

पूर्व उप प्रधानमंत्री और दादा देवीलाल के नाम के साथ आगे बढ़ी जेजेपी अपने पहले चुनाव, मतलब जींद के उपचुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जेजेपी कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी थी. दुष्यंत चौटाला खुद अपनी सीट से चुनाव हार गए थे. लेकिन अब विधानसभा चुनाव में उसकी उम्मीद जग गई है.

फिलहाल हरियाणा के इस दंगल में दुष्यंत 'किंगमेकर' बनेंगे या 'किंग' ये बस थोड़ी देर में साफ हो जाएगा.

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