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हिमाचल प्रदेश चुनाव परिणाम: कांग्रेस को पूर्ण बहुमत, कौन बन सकता है मुख्यमंत्री?

हिमाचल कांग्रेस क्या सुखविंदर सिंह सुक्खू पर खेलेगी दांव?

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कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. 40 सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी को चार साल में बीजेपी पर पहली एकल चुनावी जीत मिली है. लेकिन, पार्टी अभी भी मुख्यमंत्री फेस को लेकर जद्दोजहद में है. हालांकि, पार्टी ने कई मतभेदों के बावजूद एकजुट तरीके से चुनाव लड़ा. अब चुनौती इस बात पर आम सहमति बनाने की होगी कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए और किसी तरह के विभाजन को रोका जाए. ऐसे में आइए हिमाचल के कुछ संभावित मुख्यमंत्रियों के बारे में जानते हैं, जिसे प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता की कमान मिल सकती है.

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सुखविंदर सिंह सुक्खू

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुक्खू हमीरपुर ने जिले की नादौन सीट से जीत दर्ज की है. इस निर्वाचन क्षेत्र से यह उनकी चौथी जीत है. वह पार्टी का एक मजबूत ठाकुर चेहरा हैं और हमीरपुर जिले में धूमल परिवार के लिए एक प्रतिद्वंद्वी भी हैं. 58 वर्षीय नेता को शीर्ष पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा है.

मुकेश अग्निहोत्री

मौजूदा विधानसभा में विपक्ष के नेता अग्निहोत्री ने ऊना जिले की हरोली सीट से जीत दर्ज की है. द क्विंट ने चुनाव प्रचार के दौरान हरोली का दौरा किया था और पाया कि अग्निहोत्री इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं. मतदाताओं का कहना है कि उन्होंने बहुत से बुनियादी काम किए हैं और COVID-19 लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद की है. हालांकि, वह एक ब्राह्मण हैं. हिमाचल प्रदेश में अब तक केवल एक ही ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहा है. बीजेपी के शांता कुमार. बाकी सभी सीएम, ठाकुर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में परंपरागत रूप से मुख्यमंत्री पहाड़ी सीटों से रहे हैं.

प्रतिभा सिंह

मंडी सांसद और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह इस चुनाव में कांग्रेस की कप्तान थीं. हालांकि, उन्होंने यह सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि राज्य इकाई एकजुट रहे. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी ने क्विंट को बताया कि चुनाव उनके नाम पर लड़ा जाएगा. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या एक बार फिर वीरभद्र सिंह के परिवार को सीएम पद मिलेगा? उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण सीट से जीते हैं, लेकिन सीएम बनने के लिए थोड़ा जूनियर हो सकते हैं . पीसीसी प्रमुख होने के नाते प्रतिभा सिंह के पास अन्य नेताओं की तुलना में अधिक विधायकों का समर्थन हो सकता है, लेकिन वह विधायक नहीं है, इसलिए किसी अन्य विधायक को अपनी सीट खाली करनी होगी, ताकि वह विधानसभा में प्रवेश कर सकें. साथ ही उन्हें मंडी सांसद के पद से भी इस्तीफा देना होगा. यह देखना होगा कि क्या कांग्रेस एक और उपचुनाव कराने का जोखिम उठाएगी?

कांगड़ा जिले के एक विधायक

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के एक वर्ग के भीतर यह भावना है कि मुख्यमंत्री कांगड़ा से होना चाहिए, जो 15 विधानसभा क्षेत्रों के लिए सबसे बड़ा जिला है. अगर यही मापदंड है तो धर्मशाला विधायक सुधीर शर्मा या कांगड़ा जिले के किसी अन्य वरिष्ठ विधायक पर कांग्रेस की तरफ से विचार किया जा सकता है. पार्टी कांगड़ा जिले में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. इसने 2017 में धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाया था.

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