झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 (Jharkhand Assembly Election 2024) की सरगर्मियां तेज है. पहले चरण की 43 सीटों के लिए नामांकन खत्म हो गया है. भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (INDIA) में कुछ सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है. वहीं इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार फाइनल नहीं कर पाई है.
चलिए आपको बताते हैं कि INDIA और NDA में किस तरह से सीट शेयरिंग हुई. कहां-कहां बागी परेशानी का सबब बने हैं, तो जयराम महतो के ताल ठोकने से कैसे दोनों गठबंधन के लिए मुसीबत बढ़ गई है? इसके साथ ही बताएंगे कि इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
INDIA गठबंधन में मतभेद?
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बनी INDIA गठबंधन ने झारखंड में भी एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि, इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और CPI(ML) शामिल हैं. लेकिन कुछ सीटों को लेकर गठबंधन में मतभेद है.
चुनाव ऐलान के बाद JMM के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि INDIA गठबंधन सभी 81 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा,
''पिछली बार हम, कांग्रेस और आरजेडी साथ लड़े थे. इस बार लेफ्ट पार्टी भी गठबंधन का हिस्सा हैं. तय किया है कि 70 सीटों पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) चुनाव लड़ेंगे. बची हुई 11 सीटों पर अन्य सहयोगी (आरजेडी और वाम दल) लड़ेंगे.''
इस घोषणा के बाद आरजेडी ने नाराजगी जाहिर की. हालांकि, पिछली बार 7 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी ने इस बार 6 उम्मीदवारों का ही ऐलान किया है. दूसरी तरफ CMI (ML) और जेएमएम के बीच भी कुछ सीटों को लेकर अभी तक बात नहीं बन पाई है.
जेएमएम ने 43 उम्मीदवारों का ऐलान किया है. पार्टी ने 24 विधायकों को टिकट दिया है. लिस्ट में 3 मुस्लिम और 8 महिला प्रत्याशी हैं. कांग्रेस ने अब तक 28 प्रत्याशी उतारे हैं. 14 विधायकों पर फिर से भरोसा जताया है. आरजेडी ने 6 कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी की है, जबकि CPI (ML) ने 3 उम्मीदवारों का ऐलान किया है.
वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा कहते है, "जेएमएम आदिवासी प्रभाव वाली सीटों के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी अपना विस्तार करने की कोशिश कर रही है. पिछले चुनाव में पार्टी ने कई ऐसी सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो उसकी सीट नहीं थी. जैसे- गढ़वा, गिरिडीह. बाद में गांडेय सीट पर कल्पना सोरेन ने जीत दर्ज की. ये सब रिजर्व सीट नहीं है."
2019 विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने 30, कांग्रेस ने 16 और आरजेडी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. जेएमएम ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस के खाते में 6 सीटें आई थी.
इन सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन में मतभेद:
धनवार में जेएमएम और CPI(ML) आमने-सामने है. लेफ्ट पार्टी ने राजकुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं जेएमएम ने मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए निजामुद्दीन अंसारी को टिकट दिया है.
जमुआ सीट को लेकर भी पेंच फंसा है. यहां से जेएमएम ने केदार हाजरा को टिकट दिया है. जबकि CPI(ML) ये सीट छोड़ना नहीं चाहती है और पार्टी ने अशोक पासवान को टिकट दिया है. 2019 में पासवान 9 फीसदी वोटों के साथ चौथे नंबर पर रहे थे.
"माले भले ही सिर्फ अपने बल पर एक दो सीट निकलने की क्षमता रखता हो, लेकिन गंठबंधन में रहने या निकलने से पांच छह सीट पर उसका असर पड़ सकता है."अनुज सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस और आरजेडी के लिए विश्रामपुर सीट विवाद की वजह बन गया है. लालू यादव की पार्टी ने नरेश प्रसाद सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि कांग्रेस ने यहां से सुधीर कुमार चंद्रवंशी को टिकट दिया है.
छतरपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी राधाकृष्ण किशोर के खिलाफ आरजेडी नेता विजय राम ने नामांकन दाखिल किया है.
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, "आरजेडी का बिहार में एक बड़ा वोट बैंक हो सकता है, पर झारखंड में बहुत संभावनाएं नहीं दिखती हैं. पलामू, चतरा के कुछ सीटों को छोड़ दिया जाए तो आरजेडी के लिए बहुत संभावनाएं नहीं दिखती हैं."
इसके साथ ही वो कहते हैं, "दोस्ताना फाइट जितना ज्यादा होगा, बीजेपी को उतना ज्यादा फायदा होगा. अगर इंडिया गठबंधन में कोई बिखराव होता है तो उसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलता है."
समाजवादी पार्टी का बागियों पर दांव
झारखंड विधानसभा चुनाव में एक और दिलचस्प बात देखने को मिल रही है. राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी (एसपी) 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. टिकट कटने से नाराज दूसरे दलों के कई नेताओं ने एसपी का दामन थामा है, जिन्हें पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है.
पलामू लोकसभा सीट से आरजेडी प्रत्याशी रहीं ममता भुइयां को एसपी ने छतरपुर से प्रत्याशी बनाया गया है. गढ़वा सीट से गिरिनाथ सिंह को टिकट दिया है. वहीं मनिका और बरही से क्रमशः रघुपाल सिंह और उमाकांत अकेला की कांग्रेस में बात नहीं बनी तो इन्होंने एसपी का दामन थाम लिया है. इसके अलावा छतरपुर, हुसैनाबाद, जमशेदपुर-पश्चिम और पूर्वी समेत कई सीटों पर एसपी ने प्रत्याशी उतारे हैं.
इसके अलावा, इस चुनाव में दलबदल का बोलबाला है. टिकट की आस में कई नेताओं ने दूसरी पार्टियों का झंडा थामा है.
इस पर सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, "झारखंड में पहली बार चुनाव के मद्देनजर इतने बड़े पैमाने पर नेताओं का दल-बदल हुआ है. इस बार के चुनाव में कई दिग्गज नेताओं ने या तो टिकट के आस में पार्टी बदली या फिर अपने राजनीतिक भविष्य के लिए."
NDA में भी खटपट!
"पिछले और इस बार के चुनाव में जो सबसे बड़ा फर्क है वो है बीजेपी के साथ AJSU का साथ आना," ये मानना है वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा का.
वो आगे कहते हैं, "AJSU के एक संगठित पार्टी है. महतो समुदाय के नेता के रूप में सुदेश महतो ने अपनी पहचान बनाई है. हालांकि, युवाओं का तबका जयराम महतो के साथ भी है, लेकिन ये वोट में कितना तब्दील होगा ये निर्भर करेगा."
NDA गठबंधन के तहत बीजेपी 68, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) 10, जनता दल यूनाइटेड (JDU) 2 और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने अब तक 66 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है.
पार्टी ने 18 विधायकों पर फिर भरोसा जताया है. जबकि दूसरे दलों से आए आठ चेहरों को टिकट दिया है तो वहीं तीन उन चेहरों पर दांव चला है, जो लोकसभा चुनाव में हार गए थे. लिस्ट में 12 महिलाओं के नाम हैं.
बीजेपी ने साहेबगंज की बरहेट सीट से अभी तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. इस सीट से हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं.
AJSU ने अब तक 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है. पार्टी प्रमुख सुदेश महतो सिल्ली से चुनाव लड़ेंगे. पिछली बार गोमिया से चुनाव जीतने वाले लंबोदर महतो पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है. चिराग पासवान की पार्टी LJP(R) ने चतरा से जनार्दन पासवान और जेडीयू ने जमशेदपुर पश्चिम और तमाड़ से क्रमशः सरयू रॉय और गोपाल कृष्ण पातर को टिकट दिया है.
झारखंड में AJSU की पकड़ अच्छी मानी जाती है. 2019 विधानसभा चुनाव में 53 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा था. हालांकि, जीत सिर्फ दो सीटों पर मिली थी, लेकिन पार्टी 9 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी.
इन सीटों को लेकर एनडीए में मतभेद:
टुंडी सीट को लेकर मतभेद: यह सीट बीजेपी के कोटे में गई है, लेकिन AJSU भी इसपर दावेदारी पेश कर रही है. अभी तक इसपर उम्मीदवार का फैसला नहीं हो पाया है.
दूसरी तरफ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने NDA गठबंधन से अलग 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. दरअसल, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी गठबंधन के तहत प्रदेश में चुनाव लड़ना चाहती थी. लेकिन टिकट बंटवारे पर बात नहीं बनने के बाद पार्टी अकेले मैदान में कूद गई है.
HAM ने चतरा से मनोज भुइंया, मनिका से अतुल कुमार सिंह, लातेहार से उपेंद्र भुइंया, डाल्टनगंज से अजीमुद्दीन अंसारी, विश्रामपुर से विनीत कुमार, छतरपुर से अनिल मांझी, हुसैनाबाद से सुभद्रा देवी और पांकी से सुभाष कुमार को टिकट दिया है.
सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, "2019 में बीजेपी और आजसू का गठबंधन टूटने से INDIA गठबंधन की पार्टियों को फायदा मिला. लेकिन इस बार जयराम महतो के रूप में तीसरा विकल्प सामने आया है."
बता दें कि पिछले चुनाव में बीजेपी ने 79 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 25 पर जीत हासिल की थी. वहीं AJSU को 53 में से सिर्फ दो सीटों पर ही सफलता मिली थी. बीजेपी और AJSU को क्रमशः 12 और 3 सीटों का नुकसान हुआ था.
आदिवासी के लिए आरक्षित 28 सीटों में से बीजेपी सिर्फ दो सीटों- तोरपा और खूंटी में ही जीत पाई थी.
जयराम महतो का बढ़ता कद
जयराम महतो की झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) पार्टी प्रदेश में तेजी से उभरी है. लोकसभा चुनाव में जयराम ने दम दिखाया था. JLKM ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें गिरिडीह, रांची, हजारीबाग, कोडरमा और धनबाद जैसी प्रमुख सीटें शामिल थीं. पार्टी को जीत तो नहीं मिली, लेकिन 6 सीटों पर JLKM प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे.
जयराम महतो ने गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 3.47 लाख वोटों के साथ उन्होंने अपने राजनीतिक कद का अहसास करा दिया था.
प्रदेश के जातीय समीकरण से उनके राजनीतिक प्रभाव और कद में और बढ़तोरी हो सकती है. वे कुर्मी जाति से आते हैं. 15 फीसदी से ज्यादा कुर्मी मतदाता हैं, वो 32-35 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. प्रदेश की राजनीति में आदिवासियों (26 फीसदी) के बाद इस जाति को सबसे प्रभावशाली माना जाता है.
सिल्ली, रामगढ़, मांडू, गोमिया, डुमरी, ईचागढ़ जैसी सीटों पर कुर्मी मतदाता बहुसंख्यक हैं. इन सीटों पर जयराम महतो की पार्टी का सुदेश महतो की AJSU पार्टी से सीधा मुकाबला होगा. सुदेश महतो भी कुर्मी समुदाय से आते हैं. ऐसे में देखना होगा कि कुर्मी मतदाता किसका समर्थन करते हैं. हालांकि, वोट कटने से INDIA गठबंधन को फायदा हो सकता है.
JLKM ने अब तक 74 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया है. जयराम महतो डुमरी और बेरमो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.
अनुज सिन्हा कहते हैं, "महतो बेल्ट में जयराम जो वोट लाएंगे, वो जीत और हार का समीकरण बदल सकता है. उनकी पार्टी समीकरण बदलने की क्षमता रखती है."
हालांकि, सुरेंद्र सोरेन का मानना है कि "लोकसभा और विधानसभा चुनाव- दोनों के अलग-अलग समीकरण होते हैं. दोनों का अलग-अलग एजेंडा होता है. ऐसे में जयराम महतो कितने बड़े फैक्टर साबित होंगे ये तय करेगा कि आजसू और बीजेपी के गठबंधन को कितना फायदा और कितना नुकसान होता है."
स्थानीय नीति एक बड़ा मुद्दा
बीजेपी हेमंत सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगा रही है. गठबंधन की सरकार को "ठगबंधन" बता रही है.
हालांकि, जानकार अब चुनाव में भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद से आदिवासियों में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है. ऐसे में ये मुद्दा अब गौण हो गया है.
दूसरी तरफ जेएमएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाते हुए आदिवासी अस्मिता और विक्टिम कार्ड का लोकसभा चुनाव में सफल प्रयोग विधानसभा चुनाव में भी दोहराने की तैयारी में है.
हालांकि, जानकार चुनावों में स्थानीय नीति को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. जयराम महतो की राजनीति का आधार भी यही मुद्दा है.
सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, "इसी नीति को लेकर झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार घिरती रही है. अगर हेमंत सोरेन जेल नहीं जाते तो युवाओं का एक बड़ा कुनबा उनके विरोध में खड़ा था. स्थानीय नीति नहीं बनेगी तो नियोजन नहीं होगा, नौकरियां नहीं मिलेंगी. जयराम महतो इसी आंदोलन की उपज हैं. झारखंड में झारखंडी कौन- ये तमाम दलों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है."
बता दें कि झारखंड में 13 नवंबर को 43 सीटों पर पहले चरण का मतदान होना है. वहीं 38 सीटों पर 20 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होना है. 23 नवंबर को नतीजे आएंगे.
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