Karnataka Elections: कांग्रेस नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के नाम का कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के रूप में ऐलान हो गया है जबकि कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) उनकी डिप्टी का जिम्मा संभालेंगे. इसके साथ-साथ परदे के पीछे कर्नाटक के कैबिनेट के लिए नामों को फाइनल करने का काम चल रहा है.
माना जा रहा है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के पास प्रमुख पोर्टफोलियो रहेंगे. साथ ही यह उम्मीद की जा रही है कि इनके अलावा कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेताओं को राज्य में नई सरकार बनने पर विभाग मिल सकते हैं.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के 135 विधायकों में से कैबिनेट में शामिल होने के लिए जिन शीर्ष नेताओं के नाम सामने आए हैं, वे यहां हैं.
जी परमेश्वर
परमेश्वर एक दलित नेता हैं, जिन्हें कर्नाटक में लेफ्ट-हैंड और राइट-हैंड दोनों दलितों के बीच स्वीकृति मिली है. उन्होंने तुमकुर जिले के कोराटागेरे से जीत हासिल की थी. कर्नाटक में, दलित वोट इस बार कांग्रेस के पक्ष में आ गए हैं. इसके 2018 की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक होने की गणना की गई है. दलित वोटों का प्रभाव सबसे अधिक हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में दिखाई दिया, जहां कांग्रेस की लहर दिखी है.
एमबी पाटिल
मल्लनगौड़ा बसनगौड़ा पाटिल इस साल कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण लिंगायत नेता बन गए हैं. वैसे तो लिंगायत समुदाय के वोटर परंपरागत रूप से बीजेपी के लिए मतदान करते रहे हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में इस जाति समूह ने मध्य कर्नाटक और मुंबई कर्नाटक क्षेत्रों की प्रमुख सीटों पर कांग्रेस का समर्थन किया है. एमबी पाटिल पांचवीं बार बीजापुर जिले के बाबलेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं.
एमबी पाटिल के पास जल संसाधन विभाग ही रहने की उम्मीद है. उन्होंने पिछली सिद्धारमैया सरकार में यही विभाग संभाला था.
केजे जॉर्ज
मूल रूप से केरल के नेता, केजे जॉर्ज को बेंगलुरू विकास पोर्टफोलियो मिलने की उम्मीद है. जैसे उन्होंने पिछली बार इस विभाग को संभाला था. उन्होंने पहले गृह, परिवहन, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, और आवास और शहरी विकास जैसे विभागों को भी संभाला है.
इस बार, जॉर्ज ने सर्वज्ञनगर निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के पद्मनाभ रेड्डी को 55,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया है. 73 वर्षीय जॉर्ज 2013 में अपनी जीत के बाद से इस निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा कर रहे हैं.
केएन राजन्ना
नायक समुदाय के एक आदिवासी नेता, राजन्ना ने 1989 में बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और बाद में जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए. 2008 में वह कांग्रेस में चले गए और मधुगिरी निर्वाचन क्षेत्र से दो बार हार गए. हालांकि, 2023 में, उन्होंने मधुगिरी निर्वाचन क्षेत्र से जेडी(एस) के एमसी वीरभद्रैया के खिलाफ जीत हासिल की है. उन्हें समाज कल्याण पोर्टफोलियो दिए जाने की उम्मीद है.
सतीश जारकीहोली
यमकानमाद्री से 2023 में चौथी बार चुने गए विधायक सतीश जारकीहोली वाल्मीकि समुदाय के आदिवासी नेता हैं. वह एक चीनी व्यापारी हैं और उनके भाई रमेश जारकीहोली, जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे, इस साल गोकक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए. जारकीहोली एक बिजनेस फैमली है जो कई गन्ने की खेती और चीनी प्रसंस्करण संयंत्रों के मालिक हैं.
सतीश जारकीहोली को इंडस्ट्रीज पोर्टफोलियो मिलने की उम्मीद है.
रामलिंगा रेड्डी
रामलिंगा रेड्डी ने बीटीएम लेआउट विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार केआर श्रीधर के खिलाफ जीत हासिल की है. उनकी जीत कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस अनुभवी नेता ने 2008 में परिसीमन द्वारा सीट बनाने के बाद लगातार दो बार बीजेपी को बीटीएम लेआउट सीट पर हराया है. 2018 में अपनी जीत के साथ, वह आठवीं बार विधायक बने हैं.
रामलिंगा रेड्डी को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) पोर्टफोलियो मिलने की उम्मीद है.
उनकी बेटी सौम्या रेड्डी बीजेपी द्वारा पुनर्मतगणना की मांग के बाद जयनगर निर्वाचन क्षेत्र में 16 मतों के मामूली अंतर से हार गई थीं. अपनी हार के बाद सौम्या रेड्डी ने दोबारा मतगणना की मांग के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया लेकिन उनके अनुरोध को मंजूर नहीं किया गया.
यूटी खादर
तटीय कर्नाटक क्षेत्र में भगवा लहर के बीच भी कांग्रेस के यूटी खादर ने मंगलुरु सीट बरकरार रखी है. यूटी खादर एक वरिष्ठ मुस्लिम नेता हैं, जिनकी पारिवारिक जड़ें केरल तक फैली हुई हैं. यूटी खादर को सिद्धारमैया के 2013 के मंत्रिमंडल में भी जगह मिली थी. यूटी खादर को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग मिलने की उम्मीद है.
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