बड़ी जीत के साथ कर्नाटक में वापसी करने वाली कांग्रेस पार्टी ने आज राज्य में सरकार बना ली है. जहां सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने आज एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, वहीं कांग्रेस के 'संकटमोचक' कहे जाने वाले डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) डिप्टी सीएम बनें. इसी के साथ कुल 8 विधायकों ने भी मंत्रीपद की शपथ ली.
ये 8 विधायक कौन हैं? जानिए.
डॉ जी परमेश्वर
परमेश्वर एक दलित नेता हैं, जिन्हें कर्नाटक में लेफ्ट-हैंड और राइट-हैंड दोनों दलितों के बीच स्वीकृति मिली है. उन्होंने तुमकुर जिले के कोराटागेरे से जीत हासिल की है. कर्नाटक में, दलित वोट इस बार कांग्रेस के पक्ष में आ गए हैं. इसके 2018 की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक होने की गणना की गई है. दलित वोटों का प्रभाव सबसे अधिक हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में दिखाई दिया, जहां कांग्रेस की लहर दिखी है.
के एच मुनियप्पा
पूर्व केंद्रीय मंत्री केएच मुनियप्पा ने बेंगलुरु ग्रामीण की देवेनहल्ली विधानसभा सीट पर 4,631 वोटों से जीत हासिल की है. मुनियप्पा लगभग तीन दशक तक लोकसभा सांसद रहे हैं. उन्होंने कोलार लोकसभा सीट से 1991 में जीत हासिल की थी. 2019 विधानसभा चुनावों में वो इस सीट से चुनाव हार गए. केएच मुनियप्पा राज्य में कांग्रेस के लिए एक और दलित चेहरा साबित होंगे.
केजे जॉर्ज
मूल रूप से केरल के नेता, केजे जॉर्ज ने पहले गृह, परिवहन, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, और आवास और शहरी विकास जैसे विभागों को भी संभाला है. इस बार, जॉर्ज ने सर्वज्ञनगर निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के पद्मनाभ रेड्डी को 55,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया है. 73 वर्षीय जॉर्ज 2013 में अपनी जीत के बाद से इस निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा कर रहे हैं.
एमबी पाटिल
मल्लनगौड़ा बसनगौड़ा पाटिल इस साल कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण लिंगायत नेता बन गए हैं. वैसे तो लिंगायत समुदाय के वोटर परंपरागत रूप से बीजेपी के लिए मतदान करते रहे हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में इस जाति समूह ने मध्य कर्नाटक और मुंबई कर्नाटक क्षेत्रों की प्रमुख सीटों पर कांग्रेस का समर्थन किया है. एमबी पाटिल पांचवीं बार बीजापुर जिले के बाबलेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं.
सतीश जारकीहोली
यमकानमाद्री से 2023 में चौथी बार चुने गए विधायक सतीश जारकीहोली वाल्मीकि समुदाय के आदिवासी नेता हैं. वह एक चीनी व्यापारी हैं और उनके भाई रमेश जारकीहोली, जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे, इस साल गोकक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए. जारकीहोली एक बिजनेस फैमली है जो कई गन्ने की खेती और चीनी प्रसंस्करण संयंत्रों के मालिक हैं.
प्रियांक खड़गे
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने चित्तपुर विधानसभा सीट से 13 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है. वो इस सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं. खड़गे इससे पहले सिद्धारमैया सरकार और एचडी कुमारस्वामी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं.
रामलिंगा रेड्डी
रामलिंगा रेड्डी ने बीटीएम लेआउट विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार केआर श्रीधर के खिलाफ जीत हासिल की है. उनकी जीत कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस अनुभवी नेता ने 2008 में परिसीमन द्वारा सीट बनाने के बाद लगातार दो बार बीजेपी को बीटीएम लेआउट सीट पर हराया है. 2018 में अपनी जीत के साथ, वह आठवीं बार विधायक बने हैं.
उनकी बेटी सौम्या रेड्डी बीजेपी द्वारा पुनर्मतगणना की मांग के बाद जयनगर निर्वाचन क्षेत्र में 16 मतों के मामूली अंतर से हार गई थीं. अपनी हार के बाद सौम्या रेड्डी ने दोबारा मतगणना की मांग के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया लेकिन उनके अनुरोध को मंजूर नहीं किया गया.
बीजी जमीर अहमद खान
बीजी जमीर अहमद खान 50 हजार के ज्यादा वोटों से चमराजपेट विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं. ये चौथी बार है जब इस सीट पर लोगों ने उन्हें विधायक चुना है. खान पूर्व मंत्री रह चुके हैं और सिद्धारमैया के करीबी भी कहे जाते हैं. फिर से अपनी कैबिनेट में शामिल कर सिद्धारमैया ने खान को अल्पसंख्यक मुस्लिम चेहरा बनाया है.
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