- प्रोड्यूसर- बादशा रे
- वीडियो एडिटर- दीप्ती रामदास
- कैमरा- नीरज गुप्ता
कश्मीर की बात छिड़ते ही फौज, आतंकवादी, एनकाउंटर या पत्थरबाज जैसे शब्द जहन में आते हैं. लेकिन घाटी के उस तनावग्रस्त माहौल में एक युवा अपनी बात अलग अंदाज में कहता है. उसका नाम है मुअज्जम भट्ट. उम्र-25 साल, पेशा- एक्टर, लेखक और रैपर.
‘मेरा रैप कश्मीर के हालात का दस्तावेज’
मुअज्जम ‘कॉन्शयस रैप’ लिखते हैं. यानी वो रैप जिसमें शराब, पार्टी या नाच-गाने की नहीं बल्कि समाज के हालात या जिंदगी के फलसफे की बात कही जाती है. मुअज्जम कहते हैं,
यहां (कश्मीर में) जो कुछ हो रहा है, मेरा रैप उसका दस्तावेज है. मैं उसे आम इंसान के नजरिये से लिखकर इतिहास में अपना योगदान देना चाहता हूं कि उसे कश्मीर में क्या-क्या देखना पड़ता है.मुअज्जम भट्ट, रैपर, कश्मीर
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कश्मीर में फौज भारी तादाद में मौजूद है. लेकिन लोगों की दिलचस्पी चुनावों में नहीं दिखती.
आप किसी प्रोसेस में हिस्सा ले रहे हैं, तो जब तक भरोसा नहीं होगा, काम नहीं बनेगा. मुझे लगता है कि कश्मीरियों का भरोसा चुनाव में नहीं है. ये कल की बात नहीं है. ये काफी सालों से लोगों के दिमाग में बैठ गया है और इसकी अपनी बहुत सारी वजह हैं.मुअज्जम भट्ट, रैपर, कश्मीर
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में फौज की कार्रवाई बढ़ी है. आर्टिकल-370 और 35A को हटाने की बातें हो रही हैं. लेकिन मुअज्जम इस सख्ती को सही नहीं मानते.
मुझे लगता है कि सबको साथ लेकर चलने की राजनीति सबसे सही इलाज है. एक रेडिकलाइज्ड सेक्शन है समाज का जो अलग जा चुका है. एक सेक्शन मुख्यधारा की पॉलिटिक्स की तरफ जा रहा है. बीच वाला सेक्शन न इस तरफ है, न उस तरफ. सरकार उन सबको मिलाकर अगर एक समाधान निकाल सकती है तो वो एक बहुत ही अच्छा कदम होगा.मुअज्जम भट्ट, रैपर, कश्मीर
मुअज्जम का रैप
मुअज्जम के रैप में कश्मीरियों का दर्द छलकता है-
संजीदा ये हालत है, अपनी रियासत की
पुलिस की बेरहमी ,गंदी सियासत भी
जगह ये इबादत की
थी दिलों में शफकत
ये वादी रूहानी थी
अब तो बस नफरत और मौसम तूफानी है
खून की रवानी और जाया जवानी है
हम सब जवानों की कितनी कुर्बानी है
दरकार ये सरकार भी बन कर बेगानी है
बैठी हुई जैसे एकदम अनजानी है
इन सब हालात से नाकाम ये हुक्मरान है
झूठे ये इंसान हैं मौत पे भी खामोश
तो कैसे शैतान है ये सोचो और देखो
इन कातिलों को रोको
जो खिदमत के नाम पे ये करते मजाक है
क्या किस्मत में अपनी ये लिखे अजाब है
पर खुद भी तो हम धोखेबाजी में शामिल हैं
क्या सच में हम लोग आजादी के काबिल हैं
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)