केरल विधानसभा चुनाव 2021 में लेफ्ट के गठबंधन (LDF) ने जबरदस्त जीत दर्ज की है और 4 दशक पुराना इतिहास बदल दिया है. राज्य में 1980 के बाद से अब तक कोई भी पार्टी या गठबंधन लगातार दूसरी बार जीतकर नहीं आया था. लेकिन अब ये कीर्तीमान सीएम पिनाराई विजयन के नाम दर्ज हो गया है. वो अब केरल राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और एक और कार्यकाल बतौर सीएम पूरा करेंगे.
केरल की राजनीति लंबे वक्त से कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन - यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) - और सीपीएम के नेतृत्व वाले - लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ)- के इर्द-गिर्द ही रही है. इस बार भी चुनावी मुकाबला मुख्य तौर पर इन दोनों के बीच रहा. लेकिन एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक ही लेफ्ट गठबंधन यहां सरकार बनाने में कामयाब दिख रही है.
1977 में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई थी
केरल में इसके पहले साल 1977 में किसी पार्टी/गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की थी, जब कांग्रेस की अगुवाई वाले फ्रंट (जिसमें तब सीपीआई भी शामिल थी) ने चुनाव जीता था. इसके बाद 1980 के विधानसभा चुनाव से सत्ता बदलने का जो ट्रेंड शुरू हुआ, वो अभी तक नहीं टूटा था. एक बार लेफ्ट एक बार कांग्रेस गठबंधन केरल में सत्ता में आते थे.
यह समय जीत का जश्न मनाने का नहीं: विजयन
चुनाव जीतने के बाद पिनाराई विजयन ने मीडिया से बात की. उन्होंने कहा-
केरल ने LDF के पक्ष में फैसला दिया है. परन्तु यह समय जीत का जश्न मनाने का नहीं है क्योंकि कोविड संक्रमण बढ़ रहा है. यह समय कोविड संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ने का है.पिनाराई विजयन, मुख्यमंत्री, केरल
इस बार के चुनाव के जरिए बीजेपी ने भी केरल में अपना कद बढ़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला. केरल के पिछले विधानसभा चुनाव (2016) में बीजेपी राज्य की कुल 140 में से 98 सीटों पर उतरी थी और उसे महज 1 सीट पर ही जीत मिली थी. लेकिन इस बार तो बीजेपी को एक सीट भी मिलती नहीं दिख रही है.
बता दें कि एलडीएफ गठबंधन में सीपीएम ने 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि बाकी 55 सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टियां लड़ी थीं. लेफ्ट खेमे ने गुड गवर्नेंस, विकास, जनकल्याण, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के दम पर चुनाव लड़ा था.
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