Lok Sabha Election 2024 Result: देश की जनता ने अपना जनादेश सुना दिया है. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में किसी भी पार्टी को अकेले के दम पर बहुमत नहीं मिला है. भले ही बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन, एनडीए 272 के जादुई आंकड़े के पार नजर आ रही है, अगली मोदी सरकार नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की कृपा पर टिकी होगी.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, एसपी समेत विपक्षी गुट इंडिया ब्लॉक की पार्टियां अपने शानदार प्रदर्शन का जश्न मना रही हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि आखिर लेफ्ट की पार्टियों ने कैसा परफॉर्म किया है. 2019 के मुकाबले सीट और वोट शेयर में सुधार हुआ या नहीं? चलिए आपको बताते हैं.
4 राज्य की 9 सीटों पर लेफ्ट का कब्जा
लेफ्ट की पार्टियों ने इन लोकसभा चुनावों में संयुक्त रूप से अपने प्रदर्शन में सुधार किया है और वे चार राज्यों में नौ सीटें हासिल करने में सफल रही हैं. CPI(M) ने तमिलनाडु (2), केरल (1) और राजस्थान (1) में चार सीटें जीतीं, जो 2019 में जीतीं तीन सीट से अधिक है. जबकि CPI ने तमिलनाडु में पिछली बार की तरह ही दो सीटें जीती हैं. वहीं CPIML(लिबरेशन) ने बिहार में दो सीटें जीतीं हैं.
बिहार: CPIML(लिबरेशन) के राजा राम सिंह काराकाट की हॉट सीट जीतने में सफल रहे. उनकी यह जीत बड़ी है क्योंकि यहां से एनडीए से कद्दावर नेता उपेन्द्र कुशवाहा और भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह मैदान में थे. राजा राम सिंह ने यहां एक लाख से अधिक वोटों के मार्जिन से जीत दर्ज की है.
बिहार की आरा सीट से पार्टी के एक अन्य उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के आरके सिंह को लगभग 60,000 वोटों के अंतर से हराया है.
गौरतलब है कि CPIML(लिबरेशन) ने दो दशक के अंतराल के बाद लोकसभा में वापसी की है. पार्टी के अब तक दो लोकसभा सांसद बने हैं. जयंत रागोपी ने 1991 से 2004 तक कार्बी आंगलोंग सीट का प्रतिनिधित्व किया, जबकि रामेश्वर प्रसाद 1989 में आरा से जीते थे.
तमिलनाडु: यहां CPI ने दो सीटों, तिरुपुर और नागपट्टिनम पर जीत हासिल की है. तिरुपुर में मौजूदा सांसद के. सुब्बारायण एक लाख से अधिक वोटों से जीते हैं जबकि नागपट्टिनम से सेल्वाराज वी ने 2 लाख से अधिक वोट से बाजी मारी है. 2019 के चुनाव में भी CPI ने तमिलनाडु की इसी दो सीट से जीत हासिल की थी.
इसके अलावा तमिलनाडु में जीत हासिल करने वाली दूसरी लेफ्ट पार्टी CPI(M) है. डिंडीगुल से आर सच्चिनाथनम ने 42,000 से अधिक वोटों से चुनाव जीता है जबकि मदुरै से पार्टी के नेता एस वेंकटेशन को 2 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल हुई है.
केरल: केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन है. यहां सीपीआई (एम) केवल एक सीट अलपुझा जीत पाई है. यहां से पार्टी उम्मीदवार के राधाकृष्णन 20,000 वोटों के अंतर से जीतने में कामयाब रहे. इसके अलावा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) के एनके प्रेमचंद्रन ने कोल्लम में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीएम के एम मुकेश को 1.5 लाख से अधिक वोटों से हराया है.
राजस्थान: सीपीएम ने राजस्थान में राजनीतिक विश्लेषकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि सीकर से उसके उम्मीदवार आमराराम ने 72,000 से अधिक वोटों से चुनाव जीता है.
2019 से प्रदर्शन में सुधार
2019 के लोकसभा चुनावों में मुख्य लेफ्ट पार्टियों, CPI और CPI(M) ने मिलकर कुल वोटों का लगभग 2.33% हिस्सा पाया था. इसबार इन दोनों पार्टियों का वोट शेयर मामूली बढ़कर 2.52% हो गया है. 2019 में इन दोनों ने मिलकर 5 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था लेकिन इस बार दोनों ने मिलाकर 6 सीटें जीती हैं. जबकि लेफ्ट की अन्य दो पार्टी CPIML(लिबरेशन) ने 2 और RSP ने 1 सीट जीती हैं.
लेफ्ट को अपने पुराने गढ़ बंगाल, केरल, त्रिपुरा में मिली बुरी हार
लेफ्ट फ्रंट की मुख्य पार्टियों, CPI और CPI(M) ने अपने पुराने दबदबे वाले राज्यों में निराशाजनक प्रदर्शन किया है. केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा से मिलाकर उसका सिर्फ एक नेता लोकसभा जाएगा.
केरल में इसके कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार जैसे राज्य के पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक और पूर्व राज्य स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा हार गए हैं.
CPI(M) ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी के हाथों हराने से पहले लगभग 34 वर्षों तक शासन किया था. इसबार लोकसभा चुनावों में CPI(M) और उसके सहयोगी लगभग साफ हो गए हैं और राज्य में केवल 5% वोट हासिल कर पाए हैं. 2019 के चुनावों में भी यहां लेफ्ट फ्रंट कोई भी सीट नहीं जीत सका था और उसका वोट शेयर 6.33% था.
त्रिपुरा में भी लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ी है. यहां की दोनों लोकसभा सीटों पर बीजेपी विजयी हुई है.
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