11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के बाद भारत की दो प्रमुख मतदान एजेंसियों - CSDS और C-Voter के पूर्वानुमानों में बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरा है. पिछले पूर्वानुमानों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस को बहुमत से थोड़ा ज्यादा या थोड़ा कम सीट मिलने की संभावना थी. लेकिन ताजा रुझान बताते हैं कि ये अनुमान कुछ ज्यादा ही था.
13 अप्रैल को The Asian Age में ‘Is It Disadvantage BJP After First Phase of Polling?’ शीर्षक से छपे एक आलेख में CSDS के निदेशक डॉक्टर संजय कुमार ने इन नतीजों का जिक्र किया है:
- “पहले चरण में उत्तर प्रदेश में आठ सीटों पर वोटिंग हुई, जिनमें सिर्फ गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में बेहतर टर्न आउट हुए. इन सीटों पर दो केन्द्रीय मंत्री – वीके सिंह तथा महेश शर्मा अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं.”
- “बाकी छह लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा थी. इन सीटों पर 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में कम मतदान हुए हैं.”
- “मेरा मानना है कि बीजेपी को महज इन दो सीटों पर बढ़त मिलेगी और बाकी सीटों पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.”
- “अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को पहले चरण के मतदान में छह सीटें कम मिलेंगी. 11 अप्रैल को जिन सीटों पर वोट पड़े, 2014 के चुनाव में वो सभी सीट बीजेपी के पास थे.”
कुमार के विश्लेषण में बीजेपी के लिए पिछले पूर्वानुमानों की तुलना में संख्या तथा गुणवत्ता – दोनों ही आधारों को ध्यान में रखा गया है.
इस आलेख के ठीक एक हफ्ता पहले The Asian Age में छपे एक अन्य आलेख में संजय कुमार ने “advantage BJP”, यानी “बीजेपी को बढ़त” का अनुमान लगाया था. एक ही हफ्ते में
“advantage BJP” का अनुमान बदलकर “disadvantage BJP” बन गया और अपने पीछे सवालों का जखीरा छोड़ गया.
अब सीटों की संख्या के मामले में CSDS के लिए कुमार के दोनों पूर्वानुमानों की तुलना करते हैं.
11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान से कुछ ही दिन पहले CSDS ने अनुमान लगाया था कि उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से बीजेपी के खाते में 32-40 सीटें जा सकती हैं. ये संख्या उत्तर प्रदेश में सीटों की कुल संख्या का 40-50 फीसदी है. लेकिन 13 अप्रैल को छपे आलेख के मुताबिक कुमार ने भविष्यवाणी की है कि पहले चरण के मतदान वाले 8 सीटों में से 6 सीटों पर बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ सकता है. अगर बाकी चरणों में मतदान का यही रुख रहा, तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी की संख्या 20-25 सीटों पर सिमट सकती है.
द क्विंट ने डॉक्टर संजय कुमार से पूछा कि क्या वाकई उन्होंने अपने पूर्वानुमानों में बीजेपी के सीटों की संख्या पहले से कम की है? उनका जवाब था, “मेरा पुराना आलेख (6 अप्रैल को) मुख्य रूप से CSDS के सर्वे पर आधारित था, जिसमें मैंने कहा था कि बीजेपी को बढ़त प्राप्त है. दूसरा आलेख (13 अप्रैल को) पहले चरण में मतदाताओं के टर्न आउट पर आधारित है.”
बीजेपी समर्थक मतदान को लेकर अन्य दलों की तुलना में अधिक उत्साही दिख रहे हैं. दूसरी ओर महागठबंधन की पार्टियों के वोट तय हैं और वो पूरी तरह अंकगणित पर निर्भर करते हैं, रासायनिक जोड़-घटाव पर नहीं. लिहाजा अगर टर्न आउट कम हुआ है, तो इसका मतलब है कि बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में नतीजे उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं.डॉक्टर संजय कुमार, निर्देशक, CSDS, द क्विंट से
संजय कुमार को अपने आकलन पर भरोसा है, जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में पहले चरण में हुए मतदान के बाद बीजेपी को आठ में से छह सीटों का नुकसान झेलना पड़ सकता है.
टर्न आउट आंकड़ों के आधार पर कुमार ने उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार और महाराष्ट्र की सीटों का भी आकलन किया है.
“बिहार और महाराष्ट्र में पहले चरण में हुए मतदान में टर्न आउट नहीं बढ़ा. ये संकेत है कि बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे के मुताबिक बिहार के नतीजे बीजेपी के पक्ष में एकतरफा थे. लेकिन जिन चार सीटों पर पहले चरण में मतदान हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि हर सीट पर कड़ा मुकाबला है.” डॉक्टर कुमार ने द क्विंट को बताया.
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बारे में भी संजय कुमार का आकलन है कि जिस प्रकार बीजेपी की उम्मीदों के अनुरूप अनुमान लगाए गए थे, नतीजे उतने अच्छे नहीं हो सकते हैं.
इस महीने के आरम्भ में हुए सर्वे में CSDS ने इन दोनों राज्यों में एनडीए के क्लीन स्वीप की भविष्यवाणी की थी. बिहार की 40 सीटों में से 28-34 सीट तथा महाराष्ट्र के 48 में से 42 सीट बीजेपी के खाते में दिखलाई गई थीं.
दिलचस्प बात है कि पिछले कई सालों से चुनावी सर्वे करने वाली CSDS ने पहली बार सीटवार भविष्यवाणी की है. अब तक CSDS अपने सर्वे में वोट शेयर तथा अन्य मुख्य रुझानों का पूर्वानुमान लगाता रहा है, लेकिन सीटवार ब्योरा देने से हमेशा दूर रहा है. सीटवार ब्योरा चेन्नई मैथेमैटिकल इंस्टीट्यूट देता रहा है.
ऐसा नहीं कि सिर्फ CSDS के ही पूर्वानुमानों में बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरा है. एक और प्रमुख एजेंसी – Cvoter ने अपने ताजा सर्वे में कहा है कि एक महीने के भीतर नरेन्द्र मोदी सरकार की approval rating में 19 अंकों की गिरावट आई है. 26 फरवरी को बालाकोट स्ट्राइक के बाद मोदी सरकार की approval rating अपने चरम पर थी.
7 मार्च को मोदी सरकार की approval rating 62.06 फीसदी थी. 22 मार्च तक थोड़ी कमी के बावजूद रेटिंग 50 फीसदी से ऊपर थी. लेकिन पहले चरण के चुनाव के एक दिन बाद, यानी 12 अप्रैल को मोदी सरकार की approval rating गिरकर 43.25 फीसदी हो गई. यानी करीब पांच हफ्तों में रेटिंग में 19 फीसदी की गिरावट आई.
CVoter के मुताबिक, फिलहाल मोदी सरकार की approval rating “पुलवामा हमले” से पहले के बराबर है.
बीजेपी की स्थिति सर्वे के पूर्वानुमानों से भी बदतर हो सकती है
पहले चरण के मतदान में टर्न आउट को लेकर डॉक्टर संजय कुमार के आकलन और C-Voter के सर्वे के आधार पर कुछ नतीजे निकाले जा सकते हैं:
- बालाकोट स्ट्राइक के बाद करीब एक महीने तक मोदी की लोकप्रियता बढ़ी. अधिकांश चुनाव-पूर्व सर्वे की तैयारियां मार्च में की गई थीं. जाहिर है लोकप्रियता के रुझान पहले चरण के मतदान से पहले हुए सर्वे में झलक रहे थे.
- लेकिन जैसा CVoter ट्रैकर बता रहा है, बालाकोट स्ट्राइक से प्राप्त लोकप्रियता धूमिल पड़ चुकी है और मोदी फैक्टर उम्मीदों के अनुरूप काम नहीं कर रहा है.
- उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी, जहां मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार माना जाता है, गठबंधन गणित, जाति, उम्मीदवारों के चयन और स्थानीय मुद्दों के कारण उनकी लोकप्रियता में कमी आई है.
- उत्तर प्रदेश में गठबंधन का गणित महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है, जबकि डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक बिहार और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख राज्यों में सीटवार चुनावी लड़ाई है. बीजेपी के लिए ये बुरी खबर है. इसका अर्थ है कि इन दो राज्यों में approval rating और गठबंधन गणित में मजबूती के बावजूद विपक्ष को स्थानीय या जातिगत मुद्दों के कारण अधिक सीट प्राप्त हो सकते हैं.
- मतदान से पहले के सर्वे में एनडीए को 260-280 सीट जीतते हुए दिखाया गया था. अगर C-Voter और डॉक्टर संजय कुमार के अनुमान सही निकले, तो अंतिम नतीजे उससे भी काफी कम हो सकते हैं.
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