Lok Sabha Election 2024: दिल्ली में चिलचिलाती गर्मी शहर की लगातार दौड़ती धमनियों के साथ घुलमिल गई है. ऐसे में यहां की हलचल भरी गलियों में राजनीतिक पार्टियों के बैनर और झंडे लोकसभा चुनाव 2024 के आगामी छठे चरण का संकेत दे रहे हैं. यहां छठे चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे.
राजनीतिक रैलियों के शोर से पहले दिल्ली के अंदर पार्टियों के चुनाव कैंपेन का पहला संकेत ऑटो-रिक्शा पर चिपके पोस्टरों में ही देखने को मिल रहा था- नेताओं की बड़ी-बड़ी तस्वीरों के साथ सरकारी योजनाओं का प्रचार करने वाले पोस्टर.
ऑटो-रिक्शा के साथ ये विज्ञापन शहर की भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर घूमते हैं, प्रत्येक राजनीतिक मोर्चे द्वारा की गई पहल के बारे में जागरूकता फैलाते हैं.
हालांकि, ऑटो चालक खुद के वाहन पर जिन योजनाओं का प्रचार करते हैं, उनके बारे में वे एक जुदा तस्वीर पेश करते हैं.
इनमें से कुछ के जवाबों में आशा है, यह देखते हुए कि कैसे कुछ योजनाओं ने उनके रोजमर्रा के जीवन को वास्तविक रूप से लाभान्वित किया है, जिससे उन्हें वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य देखभाल, या उनके बच्चों के लिए शिक्षा प्रदान की गई है. वहीं कुछ दूसरे लोग संशय में रहते हैं. उनका कहना है कि भले ही योजनाएं कागजों पर खुशहाल तस्वीर पेश करती हैं, लेकिन जमीन पर प्रभाव न्यूनतम रहा है. कुछ लोगों ने उदासीनता दिखाते हुए हमारे सवालों को टाल दिया.
ऑटो-रिक्शा चालकों के बीच दृष्टिकोण में इतना विरोधाभास है कि यह सरकारी प्रयासों और उन्हें बढ़ावा देने का काम करने वालों की रोजमर्रा की वास्तविकताओं के बीच जटिल संबंधों को उजागर करता है.
दवाई-इलाज का खर्च उठा पाना संभव हो पा रहा?
अपने ऑटो-रिक्शा के पीछे लगे योजना के विज्ञापन के बारे में पूछे जाने पर 42 वर्षीय मनोज कुमार ने कहा, "मेरी पत्नी को शुगर की बीमारी है और उसे नियमित रूप से दवाओं की जरूरत होती है. जनऔषधि योजना के कारण, हमारे लिए जीवन बहुत आसान हो गया है."
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) योजना 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार के दौरान शुरू की गई. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सस्ती कीमतों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए इसे फिर से शुरू किया गया था.
पिछले 16 वर्षों से दिल्ली में ऑटो-रिक्शा चला रहे मनोज कुमार ने कहा, "हालांकि ये जेनेरिक दवाएं होती हैं, लेकिन वे अत्यधिक सब्सिडी वाली रेट पर आती हैं, लगभग 50-60 प्रतिशत सस्ती."
उन्होंने कहा, "मान लीजिए कि मुझे 180 रुपये की कोई दवा बाहर से मिलती है. वही दवा यहां मुझे सिर्फ 55 रुपये में मिलती है. यह योजना इतना प्रभावी है."
मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में पूरे भारत में 10,607 केंद्र या जनऔषधि केंद्र चालू हैं. इसके अलावा PMBJP योजना में लगभग 1,965 दवाओं और 293 सर्जिकल वस्तुएं मिलती हैं.
हालांकि, एक अन्य ऑटो-रिक्शा चालक, 55 वर्षीय जगदीप सिंह के पास बताने के लिए एक अलग कहानी थी.
जगदीप सिंह ने कहा, "मैंने अपनी पत्नी के लिए जनऔषधि केंद्र से 250 रुपये में विटामिन डी की गोलियां खरीदीं. मूल कीमत 450 रुपये थी. हालांकि, बाद में मुझे पता चला कि पैक में आधी से भी कम गोलियां थीं."
जगदीप सिंह को दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर चलने की उम्मीद है.
"बुराड़ी में हमारी कॉलोनी में 15 साल पहले सड़कें, फुटपाथ तक नहीं था. अब, AAP के काम के कारण, यह दक्षिणी दिल्ली के किसी भी आवासीय इलाके जितना अच्छा है."जगदीप सिंह
इस बीच, 53 वर्षीय सुजीत गुप्ता, जो पिछले 45 वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे हैं, विपक्षी गुट, INDIA ब्लॉक के लिए वोट करने के इच्छुक हैं.
पिछले 10 वर्षों में केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के किए कामों की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने द क्विंट को बताया, "मोहल्ला क्लीनिक एक ऐसा कार्यक्रम है जो एक आशीर्वाद बन गया है. मैं नियमित रूप से अपने परिवार के लिए मुफ्त चिकित्सा जांच और दवाओं का लाभ उठाता हूं."
दिल्ली सरकार का प्रमुख स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम, मोहल्ला क्लीनिक, हर इलाके में एक किफायती क्लीनिक के शुरुआती वादे के साथ जुलाई 2015 में लॉन्च किया गया था. 23 अगस्त 2023 तक, 533 क्लीनिक स्थापित किए जा चुके हैं. उनकी आधिकारिक साइट के अनुसार, प्रत्येक 60,000 लोगों पर एक मोहल्ला क्लीनिक है.
'दिल्ली में कोई विकास नहीं'
48 वर्षीय दुर्गानंद के ऑटो-रिक्शा के हुड पर बीजेपी के बुनियादी ढांचे के मेगाप्रोजेक्ट का एक पोस्टर पाया जा सकता है.
पोस्टर में पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुस्कुराते चेहरे हैं और यह उनकी "डबल इंजन सरकार" का प्रचार करता है. यह विशेष रूप से अयोध्या के राम मंदिर और सात राज्यों में लगभग 31,000 करोड़ रुपये की आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विज्ञापन करता है.
"पिछले 10 वर्षों में, दिल्ली को छोड़कर उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है. ऐसा इसलिए है क्योंकि AAP सरकार अक्षम है."दुर्गानंद
मूल रूप से बिहार के रहने वाले दुर्गानंद 1982 से दिल्ली में रह रहे हैं. उन्होंने कहा, "इस समय, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी राज्य सरकार सत्ता में आई है. जो भी विकास हुआ है वह केंद्र सरकार के तहत हुआ है."
इस बीच, 40 वर्षीय अनिल कुमार ने द क्विंट को गर्व से बताया, "मेरे दोनों बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं और मुझे इससे ज्यादा खुशी नहीं हो सकती."
AAP सरकार का शिक्षा बजट 2014-15 में 6,554.82 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 16,574.62 करोड़ रुपये हो गया, जो कुल बजट का 21.03 प्रतिशत है.
दिल्ली के 2023-24 आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में पंद्रह नए सरकारी स्कूल खोले गए.
अनिल कुमार 15 वर्षों से अधिक समय से द्वारका के डाबरी में रह रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "200 यूनिट बिजली सब्सिडी योजना शहर के मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी एक वरदान रही है. अब जब गर्मी का मौसम अपने चरम पर है , हम बिल की चिंता किए बिना पंखा चला सकते हैं."
इस बिजली सब्सिडी योजना के तहत, राज्य सरकार उन घरों को मुफ्त बिजली प्रदान करती है जो 200 यूनिट से कम खपत करते हैं, और उन घरों को 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है जो प्रति माह केवल 201-400 यूनिट का उपयोग करते हैं. 2023-24 के बजट में, सरकार ने बिजली सब्सिडी के लिए 3,250 करोड़ रुपये अलग रखे और संशोधित अनुमान में अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये दिए, जिससे कुल आवंटन 3,350 करोड़ रुपये हो गया.
चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा नहीं?
15 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाउन में एक अनोखे रोड शो का नेतृत्व किया. यह किसी AAP नेता द्वारा उस निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने का पहला उदाहरण था, जहां उनके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.
पार्टी सदस्यों और मीडिया के साथ केजरीवाल ने चांदनी चौक में इंडिया ब्लॉक गठबंधन का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस नेता जय प्रकाश अग्रवाल का समर्थन किया. अनुभवी राजनीतिज्ञ अग्रवाल का लक्ष्य बीजेपी के प्रवीण खंडेलवाल को हराकर अपनी पुरानी सीट दोबारा हासिल करना है.
जैसे ही रैली गुजरी, केजरीवाल और राहुल गांधी के साथ जेपी अग्रवाल के आदमकद पोस्टरों से ढका हुआ एक रिक्शा सामने खड़ा था.
जबकि स्टीयरिंग व्हील के पीछे बैठा एक युवा ड्राइवर, 20 वर्षीय सत्येन्द्र बघेल ने कहा कि वह वोट नहीं डालेगा. उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के मूल निवासी, सत्येन्द्र बघेल ने अपने वोटर आईडी कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया था, और वह इस चुनाव की मतदाता सूची का हिस्सा नहीं है.
उसने स्वीकार किया कि उसे मतदान प्रक्रिया में कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि, उसने कहा कि मौजूदा AAP सरकार के कामकाज में उसे कोई खामी नहीं मिली.
फिर भी कुछ लोगों के लिए मतदान एक लोकतांत्रिक अधिकार है, उनके अस्तित्व के लिए जीवन रेखा है. उन्हीं में से एक हैं 52 साल के शशिकांत पांडे.
शशिकांत पांडे ने कहा, "मेरा यहां दिल्ली में एक निजी कनेक्शन है. लेकिन मेरी बहन को इलाहाबाद में उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर मिला. वह मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाती थी. यह योजना फायदेमंद रही है क्योंकि यहां गैस सिलेंडर हमें 1,000 रुपये में मिलता है. मेरी बहन इस योजना के तहत केवल 400 रुपये से 450 रुपये में इसका लाभ उठा सकती है."
मई 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) वंचित परिवारों को एलपीजी सिलेंडर प्रदान करती है. इस योजना को अगस्त 2019 में उज्ज्वला 2.0 के रूप में फिर से लॉन्च किया गया था, जिसके तहत प्रवासी परिवारों पर विशेष जोर देने के साथ पीएमयूवाई योजना के तहत 1.6 करोड़ एलपीजी कनेक्शन का अतिरिक्त आवंटन किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 9 मई 2024 तक, मूल योजना में 10.3 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे.
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्यों पर टिप्पणी करते हुए, पांडे ने कहा कि एक समय कट्टर समर्थक होने के बावजूद उन्हें AAP सरकार से कोई उम्मीद नहीं है.
उन्होंने कहा, "ऑटो चालकों के हमारे समुदाय ने तब अन्ना हजारे के कारण केजरीवाल का समर्थन किया था, लेकिन अब AAP विवादों और घोटालों के जाल में फंस गई है."
25 मई को, दिल्ली में रिकॉर्ड 1.52 करोड़ पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)