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पप्पू यादव से लेकर उमर अब्दुल्ला को हराने वाले राशिद तक, कौन हैं जीतने वाले 7 निर्दलीय?

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले दो अंगरक्षकों में से एक बेअंत सिंह के बेटे ने भी चुनाव जीता है.

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चुनाव
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4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आए. बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 290 सीटें जीती हैं. तो वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें हासिल की हैं और अन्य 17 संसद सदस्य (सांसद) किसी भी ब्लॉक का हिस्सा नहीं हैं, जिनमें से सात ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीते. आइए जानते हैं इन 7 निर्दलीय उम्मीदवारों के बारे में..

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कौन हैं ये सात निर्दलीय?

निर्दलयी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वालों की लिस्ट में पहला नाम पंजाब से अमृतपाल सिंह का है. इसके बाद सरबजीत सिंह खालसा, पटेल उमेशभाई बाबूभाई, मोहम्मद हनीफा, राजेश रंजन, विशाल पाटिल और शेख अब्दुल राशिद उर्फ राशिद इंजीनियर इस लिस्ट में शामिल हैं. इनमे से दो नेता अमृतपाल सिंह और राशिद इंजीनियर वर्तमान में जेल में हैं.

7 निर्दलयी कहां से लड़े चुनाव?

अमृतपाल सिंह: पंजाब के खडूर साहिब से कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 197,120 वोटों के अंतर से हराते हुए अमृतपाल सिंह ने जीत हासिल की है. खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे ' का प्रमुख अमृतपाल सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. अमृतपाल सिंह 2012 में अपने परिवार के परिवहन व्यवसाय में शामिल होने के लिए दुबई चला गया था. हाल ही में वह सितम्बर 2022 में भारत लौटा था.

सरबजीत सिंह खालसा: पंजाब के फरीदकोट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को 70053 वोटों के अंतर से हराते हुए सरबजीत सिंह खालसा ने जीत हासिल की है. बता दें, सरबजीत सिंह अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले दो अंगरक्षकों में से एक बेअंत सिंह के बेटे हैं. सिंह के दादा बाबा सुच्चा सिंह भी बठिंडा का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा सदस्य रह चुके हैं.

पटेल उमेशभाई बाबूभाई: पटेल उमेशभाई बाबूभाई इस साल दमन और दीव सीट से चुनाव लड़ रहे थे. इन्होंने बीजेपी के मौजूदा सांसद लालूभाऊ बाबूभाई पटेल को हराया, जो दमन और दीव सीट से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे थे.

मोहम्मद हनीफा : लद्दाख सीट से जीतने वाली हनीफा चौथी निर्दलीय हैं, इससे पहले 1984, 2004 और 2009 के राष्ट्रीय चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवारों ने यहां जीत हासिल की थी.

इस बार हाजी हनीफा जान ने कांग्रेस के सेरिंग नामग्याल और बीजेपी के ताशी ग्यालसन को मात दी.

राजेश रंजन: पप्पू यादव के नाम से मशहूर राजेश रंजन ने पूर्णिया से शानदार जीत हासिल की. जीत के बाद वह अन्य कार्यकर्ताओं से मिलते हुए भावुक नजर आए. राजेश रंजन ने अपनी जन अधिकार पार्टी (JAP) का कांग्रेस में विलय कर दिया था. लोकसभा सदस्य के रूप में कई बार सेवा दे चुके रंजन ने कांग्रेस द्वारा पूर्णिया को उनके सीट बंटवारे के समझौते के तहत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को दिए जाने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ना सही समझा.

विशाल पाटिल: महाराष्ट्र के सांगली से विशाल पाटिल ने जीत हासिल की. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव पाटिल के पोते विशाल ने कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया था क्योंकि कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया था.

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शेख अब्दुल राशिद: शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद वर्तमान में टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. दो बार विधायक रहे पूर्व विधायक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2019 में आतंकी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए.

बारामूला सीट से उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन को चुनाव हराया है.

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