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पूनम सिन्हा, राजनाथ सिंह या प्रमोद कृष्णम- क्या है लखनऊ का मिजाज?

देश को सबसे ज्यादा लोकसभा सीट देने वाली उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ग्राउंड रिपोर्ट

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चुनाव
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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

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माना जाता है कि देश की सत्ता उसे ही हासिल होती है जिसके पास उत्तर प्रदेश का साथ होता है. बात हो रही है देश को सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें देने वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की.

लखनऊ सीट पर 1991 से बीजेपी का कब्जा है, तो क्या इस बार भी राजनाथ ही यहां से कमल खिलाएंगे, या फिर एसपी-बीएसपी के मजबूत गठबंधन की बदौलत शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा रफ्तार पकड़ते हुए आगे निकल जाएंगी.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, यानी सियासत के प्रदेश की राजधानी. इसे अटल की कर्मभूमि और तहजीब की नगरी माना जाता है. देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह अब अटल की विरासत संभाल रहे हैं.

लखनऊ के रहने वाले अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि लखनऊ में बीजेपी का टाइम है. क्योंकि वो अकेला बाकी सब साथ हैं. कोशिश में तो सब लगे हैं बाकी मौके की नजाकत है. हो सकता है बीजेपी को तीनों पार्टियां मिलकर पछाड़ दें. चुनाव में चीजें एक दिन में बदल जाती है.

शमील शमशीर कहते हैं कि राजनाथ सिंह का कोई विरोध नहीं. पिछली बार उन्हें 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि उनके सामने आम आदमी पार्टी ने जावेद जाफरी के रूप में शिया कैंडिडेट खड़ा किया था. इसके बावजूद शिया मुसलमानों ने राजनाथ सिंह करो वोट दिया था. लेकिन योगी जी के बयानों की वजह से लग रहा है बीजेपी को समर्थन नहीं मिलेगा.

बता दें कि 1991 के बाद से लखनऊ सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. एसपी-बीएसपी लखनऊ में कभी नहीं जीती. इस बार विपक्षी दलों को लखनऊ में उम्मीद दिख रही है.

शशि कांत मिश्रा बताते हैं कि 1991 से लेकर अब तक लखनऊ लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है और अभी फिलहाल केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी इनकी सरकार है. अगर विकास की बात करें तो उस तरह से विकास नहीं हो पाया है जैसा होना चाहिये. बात बेरोजगारी की करें तो बेरोजगारी भी उसी तरह से चल रही है और शिक्षा कि दिशा में भी कुछ खास नहीं हो पाया.


SP-BSP गठबंधन ने पूनम सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को मैदान में उतारा है. दोनों की तरफ से राजनाथ सिंह को चुनौती मिल रही है.

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