ADVERTISEMENTREMOVE AD

MP Election: कांग्रेस-SP गठबंधन में कहां फंसा पेंच? किसको फायदा-किसको नुकसान?

MP Vidhan Sabha Chunav: 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. नवरात्रि के पहले दिन यानी रविवार (15 अक्टूबर) को कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया. लेकिन इस लिस्ट के सामने आने के बाद राजनीतिक कलह भी सामने आ गई है. 'INDIA' का हिस्सा समाजवादी पार्टी ने दावा किया कि गठबंधन इस तरह काम नहीं करता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन अब सवाल है कि कांग्रेस की लिस्ट से समाजवादी पार्टी को ऐतराज क्यों है? क्या ये 'INDIA' में टूट की तरफ इशारा है? SP मोलभाव क्यों कर रही है? और पिछले चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा था?

कांग्रेस की लिस्ट से समाजवादी पार्टी को ऐतराज क्यों?

दरअसल, एमपी चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी, लेकिन रविवार (15 अक्टूबर) को कांग्रेस ने राज्य की 230 सीटों में 144 पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी.

इसमें से कांग्रेस ने उन नौ सीटों में से चार पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जहां अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. रविवार को समाजवादी पार्टी ने भी 9 प्रत्याशियों की सूची जारी की.

MP Vidhan Sabha Chunav: 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी.

समाजवादी पार्टी ने जारी की 9 प्रत्याशियों की लिस्ट

(फोटो: SP/X)

जिन चार सीटों पर विवाद है उसमें- चितरंगी, मेहगांव, भांडेर और राजनगर शामिल हैं. पिछली बार कांग्रेस ने मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट जीती थी.

भोपाल और लखनऊ में समाजवादी नेतृत्व छतरपुर जिले के बिजावर से उम्मीदवार उतारने को लेकर कांग्रेस से सबसे ज्यादा नाखुश है. यहां पार्टी ने 2018 में जीत हासिल की थी.

द इंडियन एक्सप्रेस से मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा, "कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं. कांग्रेस नेतृत्व के साथ हमारी कुछ बातचीत हुई, लेकिन रविवार को सब कुछ विफल हो गया. हम अपने दम पर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अगले साल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे."

0

क्या ये 'INDIA' में टूट की तरफ इशारा है?

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक वरिष्ठ समाजवादी पार्टी के नेता ने आरोप लगाया कि "कांग्रेस को बीजेपी को हराने में कोई दिलचस्पी नहीं है."

पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “हमने कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत की लेकिन वे बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन करने में दिलचस्पी नहीं रखते थे. ऐसा लगता है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य बीजेपी को नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी को हराना है."

उन्होंने आगे कहा:

"कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए होगा. लेकिन मध्य प्रदेश में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत हुई थी और हम 10 सीटें चाहते थे. वे कम सीटों की पेशकश कर रहे थे और अचानक उन्होंने हमें बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. गठबंधन इस तरह काम नहीं करता."

SP नेता ने कहा कि पार्टी संभवत: मध्य प्रदेश में कुल 30-35 उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, जिस चीज ने एसपी नेतृत्व को "आहत" किया है, वह बिजावर है, जहां चरण सिंह यादव को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले ने उसे और भी अधिक परेशान कर दिया है. चरण सिंह बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता दीप नारायण यादव के चचेरे भाई हैं.

यह दुखद है कि उन्होंने उस सीट पर एक उम्मीदवार की घोषणा की है जिसे हमने 2018 में जीता था और हम चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने हमसे सलाह नहीं की या हमसे बात नहीं की और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया.
समाजवादी पार्टी नेता
ADVERTISEMENTREMOVE AD
दरअसल, बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है और 2018 में यह समाजवादी पार्टी के राजेश कुमार शुक्ला के पास चली गई, जिन्हें "बबलू भैया" के नाम से भी जाना जाता है.

शुक्ला 2020 में कमल नाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के गिरने के बाद बीजेपी में चले गए. समाजवादी पार्टी का दावा है कि यह ऐसी सीट है जहां वह अच्छा प्रदर्शन करेगी.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है. कांग्रेस नेता ने कहा कि SP अपनी क्षमता से अधिक सीटें पाने की कोशिश कर रही है.

मध्य प्रदेश में उनका (समाजवादी पार्टी) कोई आधार नहीं है. वे इतनी अधिक सीटों की उम्मीद कैसे कर रहे हैं? और जिस सीट को लेकर वो परेशान हैं, उनके विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. उम्मीद है कि कुछ काम किया जा सकता है, लेकिन एसपी को ऐसे राज्य में जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है, जहां उनका कोई आधार नहीं है.
पीयूष बबेले, प्रवक्ता, एमपी कांग्रेस

SP का क्या प्लान?

समाजवादी पार्टी ने जिन नौ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की उनमें शामिल हैं: सिरमौर, जहां पूर्व बीजेपी विधायक लक्ष्मण तिवारी उसके उम्मीदवार हैं; निवाड़ी, जहां पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव को टिकट मिला है; राजनगर, जहां बृजगोपाल पटेल, जिन्हें "बबलू पटेल" के नाम से भी जाना जाता है, उम्मीदवार हैं; भांडेर (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित), जहां अहिरवार समुदाय से सेवानिवृत्त जिला जज डी आर राहुल मैदान में हैं; और सीधी (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) जहां विश्वनाथ सिंह मरकाम पार्टी के उम्मीदवार हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पिछले महीने, अखिलेश ने सिरमौर में एक पब्लिक मीटिंग के साथ अपनी पार्टी के मध्य प्रदेश अभियान की शुरुआत की. 1 अक्टूबर को लखनऊ में एक कार्यक्रम में, अखिलेश यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और कांग्रेस बीजेपी को हराने के लिए राज्य में एक साथ चुनाव लड़ें.

वहीं, समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ में भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है. जानकारी के अनुसार, राज्य की 90 में से 40 सीट पर समाजवादी पार्टी लड़ने का विचार कर रही है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इन सीटों पर चुनाव लड़ने का उद्देश्य लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में कड़ा मोलभाव के लिए मजबूर करना था, जहां वह (SP) मजबूत है.

कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन पर जोर क्यों?

दरअसल, पिछले चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई, तो बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के दो विधायकों, एक समाजवादी पार्टी विधायक और चार निर्दलीय विधायकों ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार को बाहर से समर्थन दिया था.

क्विंट हिंदी पर 29 सितंबर 2023 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कोर वोटर यादव और मुस्लिम रहा है, जिससे प्रदेश में सरकार बनती रही है. उसी यादव वोट बैंक को साधने के लिए SP ने मध्य प्रदेश में भी दांव खेला है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमपी में 12 से 14 फीसदी यादव वोट बैंक है. इसी यादव वोट बैंक पर एसपी की नजर है. इसके अलावा अखिलेश ने जो PDA का नारा दिया है, उसको भी फलीभूत करने में लगे हैं. इसके लिए उनका साथ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर 'रावण' दे रहे हैं.

MP Vidhan Sabha Chunav: 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी.

मध्य प्रदेश साल 2003 विधानसभा चुनाव

(फोटोः ECI वेबसाइट)

ADVERTISEMENTREMOVE AD
समाजवादी पार्टी का मेन फोकस यूपी से सटे एमपी के जिलों पर है. बुंदेलखंड में कुल छह जिले हैं. इन छह जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें हैं. साल 2018 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी 17, कांग्रेस को 7 और एसपी-बीएसपी को एक-एक सीट मिली थी.

2018 चुनाव में कांग्रेस-SP का प्रदर्शन कैसा रहा?

2018 एमपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 229 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 114 पर पार्टी को जीत मिली थी. पार्टी का वोट शेयर 41.36 प्रतिशत रहा था.

वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 52 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी. पार्टी उम्मीदवार राजेश उर्फ बबलू शुक्ला ने बिजावर सीट पर कब्जा किया था.

उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार पुष्पेंद्र पाठक को 36714 वोटों के अंतर से हराया था. बिजावर सीट पर एसपी को 67,623 यानी 47% वोट मिले थे.

MP Vidhan Sabha Chunav: 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम साल 2018

(फोटोः चुनाव आयोग वेबसाइट)

हालांकि, 45 सीटों पर समाजवादी पार्टी जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को कुल मतदान में से 4 लाख 96 हजार 25 वोट ही मिले थे. यानी कुल मतदान का सिर्फ 1.30 फीसदी हिस्सा ही पार्टी हिस्से में आया था. इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी को 2018 के चुनाव में नोटा से भी कम वोट मिले थे.

जिन चार सीटों पर विरोध, वहां कैसा रहा प्रदर्शन?

ECI के अनुसार, चितरंगी सीट पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी, पार्टी को यहां पर 27,337 वोट मिले थे और वोट शेयर 17 प्रतिशत था. मेहगांव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी और SP पांचवें, जबकि 2020 के उपचुनाव में SP पांचवें से लुढ़कर 19वें स्थान पर आ गई थी.

MP Vidhan Sabha Chunav: 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली थी.

आदिवासी के घर खाना खाते अखिलेश यादव

(फोटो: @yadavakhilesh)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भांडेर सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल किया था, लेकिन 2020 के उपचुनाव में ये बीजेपी के खाते में चली गई. वहीं राजनगर सीट कांग्रेस ने जीती थी और SP चौथे स्थान पर रही थी. लेकिन 2020 के उपचुनाव में बीजेपी ने कब्जा कर लिया था.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का मानना है कि चुनाव लड़ने से एसपी को फायदा हो या ना हो लेकिन, कांग्रेस को नुकसान जरूर होगा. क्योंकि, यूपी से सटे कुछ जिलों में एसपी का वोट बैंक है, जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है."

कुल मिलाकर देखें तो साफ है कि यूपी की तरह एमपी में समाजवादी पार्टी मजबूत नहीं है. लेकिन पार्टी ने पिछले चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस की झटका दिया था. इस बार भी अखिलेश जिस PDA का नारा देकर आगे बढ़ रहे हैं, उससे कांग्रेस को नुकसान संभव है.

हालांकि, 2003 वाला अपना अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, जिसमें SP सात सीट जीतने में सफल हुई थी, पिछले 3 विधानसभा चुनाव में दोहरा नहीं पाई है. लेकिन क्या इस बार ऐसा संभव है, ये समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव दोनों के लिए बड़ी चुनौती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×