मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Election 2023) कितना अहम है इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बीजेपी ने चुनाव के ऐलान से पहले ही अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी है. इस लिस्ट में एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन केंद्रीय मंत्री का नाम है. मतलब केंद्र सरकार में मंत्री अब राज्य में विधायक बनेंगे. यही नहीं इस चुनाव की अहमियत इससे भी लगा सकते हैं कि 4-4 सांसदों को भी मैदान में उतारा गया है. मतलब दूसरी लिस्ट में कुल 7 सांसद हैं, जो विधायकी का चुनाव लड़ेंगे.
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 39 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है. ऐसे में समझते हैं कि बीजेपी को केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतारने की जरूरत क्यों पड़ी और बड़े चेहरों से क्या हासिल करना चाह रही है? इन सवालों के जवाब दूसरी लिस्ट से निकले 5 फैक्टर से समझते हैं.
बीजेपी ने लिस्ट में तीन केंद्रीय मंत्रियों को टिकट दिया है. इनमें मुरैना की दिमनी सीट से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर से मोदी सरकार में मंत्री प्रहलाद पटेल और निवास से भारत सरकार में ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को उम्मीदवार बनाया गया है.
इनके अलावा पार्टी ने 4 सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा, राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम, गणेश सिंह को सतना और रीति पाठक को सीधी से उम्मीदवार बनाया है.
39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 से टिकट दिया गया है. छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू को उतारा गया है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 39 उम्मीदवारों में से 6 महिला,14 SC/ST उम्मीदवार हैं.
फैक्टर-1: जिन 3 सीटों पर केंद्रीय मंत्री उम्मीदवार, उनमें 2 कांग्रेस के पास
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी विधानसभा से मैदान में उतारा गया है. साल 2018 में इस सीट से कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले साल 2013 दिमनी सीट से बीएसपी के बलवीर सिंह दंडोतिया और 2008 में बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर ने जीत दर्ज की थी.
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट दिया गया है. इस सीट से साल 2018 में बीजेपी की जीत हुई थी. बीजेपी उम्मीदवार जलाम सिंह पटेल ने 8.8% वोट मार्जिन से कांग्रेस के लखन सिंह पटेल को हराया था. साल 2013 में भी बीजेपी की जीत हुई थी, लेकिन 2008 में कांग्रेस के सुनील जयसवाल ने जीत दर्ज की थी.
बीजेपी की दूसरी लिस्ट में तीसरे केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा सीट से मैदान में उतारा गया है. साल 2018 में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर अशोक मर्शकोले ने जीत दर्ज की थी.
फैक्टर-2: 4 सीटों पर सांसदों को उतारा, जिनमें 3 सीटों पर पार्टी की हुई थी हार
अब लिस्ट में सांसदों की बात कर लेते हैं-
सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से टिकट दिया गया है. साल 1977 से लेकर 2003 तक देखें तो 3 बार कांग्रेस और 4 बार बीजेपी की जीत हुई है. साल 2018 में कांग्रेस के तरुण भनोट ने 12% वोटों के मार्जिन से जीत दर्ज की थी. साल 2013 में भी यहां से कांग्रेस के तरुण भनोट की जीत हुई थी.
बीजेपी सांसद गणेश सिंह को सतना से मैदान में उतारा गया है. यहां से साल 2018 में कांग्रेस के डब्बू सिद्धार्थ कुशवाहा की जीत हुई थी. इससे पहले साल 2013 में बीजेपी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी.
गाडरवारा से सांसद राव उदय प्रताप को टिकट दिया गया है. यहां से साल 2013 में बीजेपी की जीत हुई थी. लेकिन साल 2018 में कांग्रेस के सुनीता पटेल ने जीत दर्ज की.
सांसद रीति पाठक को सीधी विधानसभा से टिकट दिया गया है. यहां से साल 2018 में बीजेपी के केदारनाथ शुक्ला की जीत हुई थी. बीजेपी उम्मीदवार को 13.3% वोट मार्जिन से जीत मिली थी.दूसरे नंबर पर कांग्रेस के कमलेश्वर प्रसाद द्विवेदी थे.
फैक्टर-3: बड़े चेहरों को उतार असंतोष कम करने की कोशिश
बीजेपी की दूसरी लिस्ट को देखकर ये भी लगता है कि शिवराज सिंह चौहान के करीबियों की बजाय पीएम मोदी के भरोसेमंद उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है. यानी कहीं न कहीं बड़े चेहरों को उतारकर असंतोष कम करने की कोशिश की गई है. बड़े या कहें अहम नामों में इंदौर 1 से कैलाश विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाया है, कांग्रेस नेता कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट से बीजेपी ने विवेक बंटी साहु को उम्मीदवार बनाया है.
सतना से गणेश सिंह को और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में मंत्री रहीं इमरती देवी को डबरा (SC) सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था तब सिंधिया के समर्थन में करीब 22 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी से खुद को अलग कर लिया था. इमरती देवी भी उन 22 विधायकों में शामिल थीं. हालांकि बीजेपी में आने के बाद इमरती देवी उपचुनाव हार गई थीं.
फैक्टर-4: सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव और गिर्राज दंडोतिया का टिकट कटा
करैरा से ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव का टिकट कट गया है. 2018 में ये कांग्रेस विधायक चुने गए थे. सिंधिया के साथ बीजेपी में आए और 2020 का चुनाव प्रगीलाल से हार गए थे. इस बार इनका टिकट काट दिया गया है. बीजेपी ने यहां से रमेश खटीक को प्रत्याशी बनाया है. वहीं गिर्राज दंडोतिया जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे और फिर उपचुनाव हार गए थे, उनका भी टिकट कट गया है. उनकी ही जगह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी बीजेपी ने टिकट दिया है.
अब ऐसा नहीं है कि सिंधिया के सभी साथी का टिकट कटा है, मुरैना से सिंधिया समर्थक रघुराज कंसाना को टिकट मिल गया है. इसके अलावा सिंधिया के करीबी मोहन सिंह राठौर को भितरवार सीट से टिकट दिया गया है.
फैक्टर-5: पेशाब कांड वाले सीधी से केदारनाथ शुक्ला का टिकट कटा
सीधी विधानसभा सीट से वर्तमान बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया गया है, उनकी जगह सीधी से सांसद रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया गया है. ये वही विधायक हैं जिनके करीबी प्रवेश शुक्ला ने एक आदिवासी शख्स पर पेशाब कर दिया था. हालांकि विधायक केदारनाथ, प्रवेश शुक्ला से करीबी होने को नकारते रहे हैं.
पहली लिस्ट में 12 नए उम्मीदवारों को टिकट मिला था?
अब पहली लिस्ट का भी जिक्र कर लेते हैं. इससे पहले भी बीजेपी ने 39 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी. बीजेपी ने पहली लिस्ट में उन 39 सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान किया था जिन पर 2018 के साथ-साथ 2013 के विधानसभा चुनावों में भी हार मिली थी. पार्टी ने पिछले चुनावों में हार का सामना करने वाले लगभग 50 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि 39 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 12 नए उम्मीदवारों को भी शामिल किया है.
यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि बीजेपी ने पहली लिस्ट 17 अगस्त 2023 को जारी की थी और अब एक महीने एक हफ्ते के बाद दूसरी लिस्ट जारी की है. मतलब बीजेपी काफी फूंक फूंक कर कदम रख रही है. बारीकी से लिस्ट पर नजर डालेंगे तो समझ आएगा कि ये लिस्ट बीजेपी की किस रणनीति की तरफ इशारा कर रही है.
पहली लिस्ट में 'जाति' के वोटों पर नजर
मध्य प्रदेश के लिए, पार्टी ने पहली लिस्ट में 39 उम्मीदवारों में से आठ अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों और 13 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को चुना था. बीजेपी की पहली लिस्ट में जगह पाने वाले 39 उम्मीदवारों में से 14 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्होंने पिछली बार भी विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
क्यों बीजेपी 'वक्त से पहले' जारी कर रही है लिस्ट
अब सवाल है कि बीजेपी ने चुनाव की तारीखों की ऐलान से काफी पहले ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान क्यों किया है. तो माना जा रहा है पार्टी के इस फैसले की एक वजह यह हो सकती है कि पार्टी आलाकमान विधानसभा चुनावों से बहुत पहले ही पार्टी के अंदर मौजूद अंतर्कलह को कंट्रोल करना चाहता है. दूसरा यह कि अब तक जिन सीटों पर उम्मीदवारों को चुना गया है, उनमें से ज्यादातर पार्टी के लिए कठिन सीट रही हैं.
दोनों लिस्ट को मिला दें कि पार्टी ने 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश के लिए अब तक कुल 78 उम्मीदवारों की घोषणा की है. मतलब अभी 152 सीटों पर नामों का ऐलान बाकी है, मतलब और भी सरप्राइज एलिमेंट देखने को मिल सकते हैं.
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