230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 17 नवंबर को चुनाव होने हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और मध्य प्रदेश इलेक्शन वॉच (MPEW) विधानसभा चुनाव से पहले एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा प्रति वर्ष औसतन केवल 16 दिनों के लिए चली, 2019 में अधिकतम 26 बैठकें हुईं, जबकि 2020 में केवल चार बैठकें हुईं.
इसमें सबसे लंबा सत्र तीसरा (8 जुलाई से 26 जुलाई 2019) और 8वां (22 फरवरी से 26 मार्च 2021) था. दोनों सत्रों में 16 बैठकें हुईं.
साल 2019 में सबसे ज्यादा 116.83 घंटे तक विधानसभा की कार्यवाही चली. इस साल विधानसभा की 26 बैठकें हुईं.
विधानसभा की बैठकों के सिलसिले में सबसे कम वक्त 2020 में 1.53 घंटा था, जब विधानसभा की 4 बैठकें हुईं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभा में पेश किए गए 91% बिल पारित हो गए और सदस्यों के द्वारा 29,484 सवाल पूछे गए हैं. 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 140 विधेयक पेश किए गए. इन 140 विधेयकों में से 127 (91%) विधेयक पारित किए गए.
महिला और बाल विकास पर सबसे कम सवाल
मध्य प्रदेश विधानसभा में पिछले 5 सालों में 235 विधायकों ने सवाल पूछे हैं. इन विधायकों ने कुल 29,484 सवाल पूछे.
विधानसभा में पूछे गए 29,484 सवालों में से, सबसे ज्यादा सवाल (2205) शहरी विकास और आवास पर पूछे गए, इसके बाद पंचायत और ग्रामीण विकास (2056) थे, जबकि सबसे कम सवाल महिला और बाल विकास पर पूछे गए.
सबसे ज्यादा सवाल पूछने वाले विधायकों की बात करें तो टॉप 5 में बीजेपी के 4 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस से मात्र एक विधायक हैं.
विधानसभा में MLAs की उपस्थिति का क्या हाल?
विधासभा में सबसे ज्यादा उपस्थिति (97%) वाले पांच सांसद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं.
समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की औसत उपस्थिति सबसे ज्यादा रही है. उनके प्रत्येक सदस्य ने औसतन 65 बैठकों में भाग लिया.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की औसत 43 बैठकें सबसे कम थीं.
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, हालांकि इस रिपोर्ट में उन विधायकों का विश्लेषण भी शामिल है जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है या उपचुनाव के जरिए निर्वाचित हुए हैं.
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