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MP चुनाव: ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद भी BJP नहीं तोड़ सकी अपना 2013 का रिकॉर्ड

MP Election 2023 Result: क्या एमपी में सिंधिया का 'जादू' कायम है? नतीजे का सिंधिया पर क्या असर होगा?

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मध्य प्रदेश चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में क्या हुआ? कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने वाले सिंधिया पीएम मोदी के कितने काम आए? सिंधिया ने अपनी पुरानी पार्टी को कितना चोट पहुंचाया? मध्य प्रदेश चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election) में भले ही बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई हो, लेकिन सिंधिया को लेकर ये सवाल जरूर पूछे जा रहे हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 230 सीटों में से 163 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 66 सीट मिली है.

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मार्च 2020 में सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. तब उनके साथ कांग्रेस के 22 विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए थे. सिंधिया जिस इलाके से आते हैं उसे ग्वालियर-चंबल संभाग कहा जाता है और उसमें 34 विधानसभा सीटें आती हैं.

जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब उनके प्रभाव वाली सीटों में से कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटों में जीत दर्ज की थी. चलिए आपको हर सीट के हिसाब से बताते हैं कि इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों का प्रदर्शन कैसा रहा?

किन सीटों पर है सिंधिया का प्रभाव?

ग्वालियर चंबल क्षेत्र के इन जिलों में सिंधिया का प्रभाव है- मुरैना, ग्वालियर, भिंड, शिवपुरी, श्योपुर, अशोकनगर, दतिया और गुना. इस इलाके में कुल 34 सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से 26 सीटें निकाली थीं और बीजेपी को सिर्फ 7 सीटें ही मिली थीं.

क्यों खास हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीटें?

हालांकि, यहां जरूरी बात ये है कि तब सिंधिया कांग्रेस में थे. मार्च 2020 में वो 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. इसलिए भी इन सीटों का महत्व और बढ़ जाता है.

किन सीटों पर क्या है हाल?

मुरैना की 6 विधानसभा सीटें - सबलगढ़, जौरा, सुमावाली, मुरैना, दीमानी और अंबाह

  • इन 6 सीटों में से 3 पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस को जीत मिली है.

  • सबलगढ़, सुमावाली, दीमनी बीजेपी के खाते में गई है जबकि जौरा, मुरैना और अंबाह में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

ग्वालियर की 6 विधानसभा सीटें- ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा (अ.जा.)

  • इन 6 सीटों में से 3 पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस को जीत मिली है.

  • ग्वालियर, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार बीजेपी के खाते में गई है जबकि ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर पूर्व और डबरा में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

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भिंड की 5 विधानसभा सीटें- अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव, गोहद

  • भिंड की 5 सीटों में से 3 पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस को जीत मिली है

  • अटेर और गोहद में कांग्रेस जबकि भिंड, लहार और मेहगांव में बीजेपी जीती है.

शिवपुरी जिले की 5 विधानसभा सीटें- करैरा, पोहरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस

  • शिवपुरी की 5 में से 4 सीटों पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है.

  • कांग्रेस सिर्फ पोहरी सीट जीतने में सफल हुई है.

श्योपुर जिले की 2 विधानसभा सीटें- श्योपुर और विजयपुर

  • यहां दोनों सीटें कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीती हैं.

अशोकनगर जिले की 3 विधानसभा सीटें- चंदेरी, अशोकनगर, मुंगावली

  • यहां की 2 सीटें बीजेपी और एक सीट कांग्रेस ने जीती है.

  • कांग्रेस ने अशोकनगर सीट पर जीत हासिल की है.

गुना जिले की 4 विधानसभा सीटें- गुना, चाचौड़ा, बमोरी, राघोगढ़

  • यहां बीजेपी और कांग्रेस को 2-2 सीटों पर जीत मिली है.

  • बीजेपी ने गुना और चाचौड़ा में जीत हासिल की है.

दतिया में तीन सीटें- भांडेर, दतिया, सेवढ़ा

  • 2 पर कांग्रेस और एक पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है.

  • भांडेर और दतिया सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है, वहीं सेवढ़ा में बीजेपी.

MP चुनाव के नतीजों का सिंधिया पर क्या पड़ेगा असर?

कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी को सिंधिया के आने से फायदा हुआ है. पार्टी ने इस बार सिंधिया के प्रभाव वाली 34 सीटों में से 18 पर जीत हासिल की है , इसका मतलब ये हुआ कि पिछली बार के मुकाबले बीजेपी को 11 सीटों का फायदा हुआ है. वहीं इस बार कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल संभाग में 10 सीटों का नुकसान हुआ है.

सिंधिया के बाद भी बीजेपी नहीं तोड़ सकी 2013 का रिकॉर्ड

अगर हम 2013 विधानसभआ चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी का प्रदर्शन ग्वालियर-चंबल संभाग में 2023 के नतीजों से भी बेहतर था. तब बीजेपी ने 34 में से 20 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस को 12 और 2 सीट मायावती की बीएसपी को मिली थी. ये तब की बात है जब सिंधिया कांग्रेस के साथ थे.

2013 में बीजेपी को 165, कांग्रेस 58 और बीएसपी के 4 उम्मीदवार चुनाव जीते थे. मतलब इस बार सिंधिया के आने के बाद भी बीजेपी अपना 2013 का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई.

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हालांकि, राजनीतिक जानकारों की मानें तो सिंधिया के प्रदर्शन के नजरिए से ये रिजल्ट उनके लिए बहुत खुश होने वाला नहीं हैं. क्योंकि उनके कांग्रेस छोड़ने के बावजूद ग्रैंड ओल्ड पार्टी 16 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई है. ये नतीजे सिंधिया के संभावित सीएम दावेदारी और आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर थोड़ा परेशानी बढ़ाने वाला है.

इस प्रदर्शन के हिसाब से सिंधिया लोकसभा चुनाव में भी अपने गुट के लोगों के लिए ज्यादा टिकट की मांग करने की बहुत मजबूत हालत में नहीं हैं.

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