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मुंबई नॉर्थ: बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस को उर्मिला से उम्मीद

उर्मिला बोलीं- मौका मिला तो क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें पूरी करूंगी 

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मुंबई नॉर्थ लोकसभा सीट ऐसा क्षेत्र है जहां बीजेपी के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी के खिलाफ कांग्रेस कोई उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही थी, लेकिन एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर को इस सीट से उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस अब मुकाबले में आती दिख रही है.

यह महाराष्ट्र में बीजेपी की सबसे पुख्ता सीटों में से एक है और पूर्व निगम पार्षद, कई बार विधायक रहे शेट्टी ने 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय निरुपम को 4.46 लाख वोटों से शिकस्त दी थी.

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सियासी मुद्दों की समझ से उर्मिला ने कांग्रेसियों में जताई उम्मीद

राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने वालों के मुताबिक, निरुपम के इस सीट से इस बार चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त करने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में थोड़ी हताशा थी. उन्होंने कहा कि मातोंडकर ने सियासी मुद्दों को लेकर अपनी स्पष्टता से कई लोगों को चौंका दिया और यह भी साफ कर दिया कि बीजेपी को यहां चुनौती का सामना करना पड़ेगा और यह सीट उसके लिये आसान नहीं होने वाली.

मुंबई नॉर्थ जहां देश के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्रों में से एक थी लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसका क्षेत्र कम हुआ है. दहीसर के बाद के इलाकों को जहां पालघर सीट में शामिल कर दिया गया वहीं मगाठाणे, चारकोप, कांदीवली (पूर्व) और मलाड (पश्चिम) जैसे नए विधानसभा क्षेत्रों को बढ़ते उपनगरों मलाड और कांदीवली से अलग कर मुंबई नॉर्थ सीट में शामिल किया गया.

मुंबई नॉर्थ के मुद्दे क्या हैं?

बढ़ती आबादी, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और परिवहन यहां मुख्य मुद्दे हैं और यहां के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की कुछ आदिवासी बस्तियों में सुविधाओं की कमी भी अहम मुद्दा है.

बीजेपी का गढ़ है मुंबई नॉर्थ सीट

इस लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा क्षेत्रों में से चार- दहीसर, बोरीवली, कांदीवली (पूर्व) और चारकोप - बीजेपी के पास हैं. मगाठाणे अभी शिवसेना के पास है जबकि मलाड (पश्चिम) का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के असलम शेख कर रहे हैं.

इलाके में 18 लाख मतदाता हैं और 2014 के लोकसभा चुनावों में 53.07 प्रतिशत मतदान इस सीट पर हुआ था.

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उर्मिला बोलीं- मौका मिला तो क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें पूरी करूंगी

मतदाताओं के साथ अपने सहज संपर्क का जिक्र करते हुए मातोंडकर ने कहा कि यह सहानुभूति और सम्मान से आता है जिनसे आप वोट मांग रहे हैं. उन्होंने बताया,

“मैं उनमें से ही एक हूं और उनसे मुझे अपना प्रतिनिधि बनाने को कह रही हूं. अगर मुझे मौका मिला और मैं उनकी उम्मीदों को पूरा कर सकी, जिसका मुझे भरोसा है कि मैं करूंगी, तो मैं एक नेता कहलाउंगी.” 

जानकारों के यह कहने के बावजूद कि मराठी वोट इस सीट पर निर्णायक होंगे, मातोंडकर का दावा है कि वह “मराठी कार्ड” नहीं खेल रही हैं.

वहीं शेट्टी के समर्थकों का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ और उनके द्वारा इलाके में किये गए काम की बदौलत वह एक बार फिर चुनावी बाजी जीतेंगे. शेट्टी ने कहा कि उन्हें अपने काम पर भरोसा है और 2004 के चुनावों में एक्टर गोविंदा को चुनने का “लोगों का बुरा अनुभव रहा है.” उन्होंने इस बात से इनकार किया कि छोटे कारोबारी जीएसटी लागू किये जाने के बाद बीजेपी से नाराज हैं.

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