"कांग्रेस नक्को, बीजेपी नक्को, बीआरएस नक्को.. हैदराबाद में सिर्फ ओवैसी कोइच वोट देंगे" और हुआ भी यही. हैदराबाद की जनता ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी को वोट देकर पांचवीं बार संसद भेज रहे हैं. लेकिन सवाल है कि लोकसभा चुनाव 2024 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की 'पतंग' कटी या उड़ी? या फिर पतंग ने अपने धागे के मांझे से किसी और की डोर काट दी?
बता दें कि असदुद्दीन औवेसी ने बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता को हराया है. असदुद्दीन ओवैसी को साढ़े छह लाख से ज्यादा वोट मिले हैं, वहीं बीजेपी की माधवी लता को सवा तीन लाख के करीब वोट मिले हैं. मतलब ये हुआ कि जिस माधवी लता को लेकर मीडिया टक्कर की बात कर रहा था उन्हें ओवैसी से आधा भी वोट नहीं मिला. असदुद्दीन ओवैसी को करीब 62 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं माधवी लता को करीब 30 फीसदी.
ओवैसी तो जीते लेकिन पार्टी को मिली हार
लोकसभा चुनाव 2024 में AIMIM ने करीब 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई है. हालांकि ये भी सच है कि तीन सीटों के अलावा AIMIM कहीं भी लड़ाई में नहीं थी.
इससे पहले 2019 के चुनाव में हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी और महाराष्ट्र के औरंगाबाद से इमतियाज जलील जीतकर संसद पहुंचे थे. लेकिन इस बार इमतियाज जलील चुनाव हार गए हैं. मतलब इसबार संसद में असदुद्दीन ओवैसी AIMIM के अकेले सांसद होंगे.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के वोट शेयर की बात करें तो पूरे देश में अबतक 0.22 फीसदी वोट हासिल हुए हैं.
हर बार औवैसी के जीत का अंतर बढ़ता गया
अगर सिर्फ असदुद्दीन ओवैसी की सीट की बात करें तो साल 1984 से ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम ने यहां अपनी पकड़ बनाए रखी है. 2004 से ओवैसी यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार जीत भी रहे हैं. हर चुनाव के साथ ओवैसी की जीत का अंतर बढ़ता ही गया है.
2004 में ओवैसी 1 लाख वोट से जीते
2009 में 1.13 लाख वोट से जीते
2014 में 2.02 लाख वोट से जीते
2019 में 2.82 लाख वोट से जीते
2024 में 3.38 लाख वोट से जीते
2019 वोट शेयर
2019 के आम चुनाव में पार्टी तीन जगहों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें किशनगंज (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र) और तेलंगाना (हैदराबाद) शामिल हैं लेकिन उसे किशनगंज सीट पर हार का सामना करना पड़ा था.
वोट शेयर के हिसाब से देखें तो AIMIM को हैदराबाद में 58.95 प्रतिशत, औरंगाबाद में 32.47 और किशनगंज में तीसरे नंबर पर रहने के बाद भी 26.78 फीसदी वोट मिले थे.
वहीं इस बार अगर इन तीनों अहम सीट की बात करें तो ओवैसी को 61 फीसदी, इमतियाज जलील को 27 फीसदी, और किशनगंज में अख्तरुल ईमान को 28 फीसदी वोट मिले हैं.
इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने तेलंगाना की चार सीट-मलकाजगिरी, सिकंदराबाद, भोंगीर, हैदराबाद और आंध्र प्रदेश की नंदयाल से मैदान में उतरी थी लेकिन हैदराबाद छोड़कर पार्टी कोई भी सीट जीत नहीं पाई. सिकंदराबाद सीट पर पार्टी को 14.46 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि अन्य सीटों पर स्थिति बहुत खराब थी. इस बार भी बाकी सीटों पर AIMIM के उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती दिख रही है.
AIMIM ने इन सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार
हैदराबाद
औरंगाबाद
किशनगंज
मधुबनी
काराकाट
मुजफ्फरपुर
महाराजगंज
शिवहर
पाटलीपुत्र
गोपालगंज
गोड्डा
बीजेपी की बी टीम?
यहां ये भी जानना अहम है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने बिहार में चुनाव लड़ा था, लेकिन 80 सीटों वाले यूपी में पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. हालांकि उन्होंने पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल कमेरावादी से गठबंधन किया था और अखिलेश की पीडीए के सामने पीडीएम यानी पिछड़ा, दलित और मुस्लिम का ऐलान किया था. यूपी में असदुद्दीन औवैसी के चुनाव नहीं लड़ने का फायदा कहीं न कहीं INDIA गुट के वोट शेयर से भी दिख रहा है.
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