(इस स्टोरी को पहली बार 30 अक्टूबर 2023 को प्रकाशित किया गया था. इसे राजस्थान के धौलपुर के बारी से विधायक कांग्रेस के गिर्राज सिंह मलिंगा के बीजेपी में शामिल होने के बाद पुनः प्रकाशित किया जा रहा है. मलिंगा पर राजस्थान बिजली बोर्ड के दलित इंजीनियर हर्षाधिपति वाल्मिकी पर हमला करने का आरोप था.)
राजस्थान (Rajasthan) के धौलपुर में बिजली विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर हर्षाधिपति वाल्मीकि (28) के लिए 28 मार्च 2022 की सुबह रोजमर्रा की सुबह जैसी थी, जब गिर्राज सिंह मलिंगा — कांग्रेस पार्टी के एक स्थानीय विधायक— अचानक उनके दफ्तर में पहुंचे.
“मैं कुछ सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक कर रहा था, तभी विधायक कुछ दूसरे लोगों के साथ मेरे केबिन में घुस आए. वहां अचानक अजीब सी खामोशी छा गई. वह एक कुर्सी की तरफ झुके, उसे उठाया और कहा...तेरी इतनी हिम्मत की तू ठाकुरों के गांव के कनेक्शन काटेगा.? फिर, उन्होंने वह कुर्सी मेरे मुंह पर दे मारी और उनके लोगों ने लाठी, बल्ले, रॉड और जो कुछ भी उन्हें मिला, उससे मुझे पीटना शुरू कर दिया. उन्होंने मेरे बदन की एक-एक हड्डी तोड़ डाली और मुझे इतना मारा जितना कोई किसी को मार सकता था. और फिर, उन्होंने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया. जो लोग मेरे साथ उस कमरे में थे वे सभी अपनी जान बचाने के लिए भाग गए," यह हर्षाधिपति का आरोप है, जो इस कहानी को प्रकाशित करने के समय तक जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में इलाज के लिए 580 दिन बिता चुके हैं.
हर्षाधिपति पर हमले के आरोपी विधायक धौलपुर के बाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके कांग्रेस के गिर्राज सिंह मलिंगा 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले फिर से पार्टी के टिकट पर नजर गड़ाए हुए हैं. उन्होंने आरोपों को लगातार “निराधार” बताया है.
हर्षाधिपति, जिन्हें इस घटना में 22 फ्रैक्चर आए थे, इस दौरान अपना ज्यादातर समय मेटल के ब्रेसिज से घिरे अपने पैर को निहारते हुए बिताते हैं, यह सोचते हुए कि उन्हें आखिर कब घर जाने को मिलेगा.
"विधायक ने पैर से मेरे चेहरे और गर्दन को कुचला"
वह बताते हैं, “उन लोगों ने मुझे कम से कम 30 मिनट तक मारा. असल में मुझे मरने के लिए छोड़ने के बाद वे यह देखने वापस भी आए कि मैं सच में मरा हूं या नहीं. उन्होंने मुझे पानी के लिए तड़पते हुए देखा और मुझे जातिवादी गालियां दीं. शरीर की चोटें शायद समय के साथ ठीक हो जाएंगी लेकिन वह लम्हा मैं कभी नहीं भूलूंगा, जब विधायक ने मेरे पास खड़ा होकर अपने पैर से मेरे चेहरे और गर्दन को कुचला था. एक इंसान दूसरे इंसान के साथ ऐसा कैसे कर सकता है?”
19 महीने बीत चुके हैं: केस में अब तक क्या हुआ
कथित हमले के एक दिन बाद 29 मार्च 2022 को धौलपुर के बाड़ी पुलिस स्टेशन में केस में एक FIR दर्ज की गई.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143 (गैरकानूनी भीड़), 332 (ड्यूटी पर सरकारी कर्मचारी पर हमला), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से रोकना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना), 506 ( आपराधिक धमकी) और SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज FIR में विधायक मलिंगा और बाड़ी वार्ड नंबर 2 के पार्षद समीर खान का नाम शामिल है.
बाद में FIR में हत्या की कोशिश की धारा भी जोड़ी गई.
हर्षाधिपति ने दर्ज कराई FIR में बताया है, “...जब वे मुझे मार रहे थे, मैं उनसे रुकने के लिए गिड़गिड़ाया. मैंने विधायक को यह भी कहा कि मैं उनके बेटे की उम्र का हूं और मुझे छोड़ देने का अनुरोध किया. तभी पीली शर्ट वाले एक शख्स ने मेरे सिर पर देसी पिस्तौल तान दी. मैंने खामोश हो गया और वे मुझे पीटते रहे.”
FIR दर्ज होने के एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद 11 मई 2022 को नाटकीय घटनाक्रम में मलिंगा ने जयपुर पुलिस कमिश्नर के सामने सरेंडर कर दिया. कमिश्नर के दफ्तर के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन पर लगे आरोप झूठे हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा है.
विधायक ने आरोप लगाया था, “इंजीनियर की शिकायत में कहा गया है कि लोगों ने उनकी पिटाई की लेकिन इतना बड़ा मामला होने के बावजूद केस दर्ज नहीं किया गया, फिर उन्होंने मेरा नाम लिया. यह एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के निर्देश पर किया गया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजाना यह खबर मीडिया में आ रही है. उन्होंने (मुझसे) सरेंडर करने को कहा और मैंने सरेंडर कर दिया.”
एक दिन बाद धौलपुर की एक स्थानीय अदालत ने विधायक को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया. हालांकि, मलिंगा का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आ गया और उन्हें अस्पताल में रखा गया. गिरफ्तारी के एक हफ्ते के भीतर ही उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल गई.
"पूरा सिस्टम विधायक को बचा रहा"
हर्षाधिपति की बड़ी बहन जागृति वाल्मीकि ने कहा, “19 महीने से ज्यादा समय हो गया है और पुलिस ने अभी तक मामले में FIR दर्ज नहीं की है. उन्होंने (मलिंगा) जो कुछ भी किया उसके लिए उन्हें एक दिन भी जेल में नहीं रहना पड़ा. पूरा सिस्टम उन्हें बचा रहा है. इससे समाज में क्या संदेश जाता है?”
“सजा देना तो भूल जाइए...
वह सवाल करती हैं, “सजा देना तो भूल जाइए, सरकार असल में मलिंगा को पुरस्कृत कर रही है. वह मुख्यमंत्री के साथ रोड शो को संबोधित कर रहे हैं, भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं. क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारे लिए यहां कोई इंसाफ नहीं है?”
हाई कोर्ट से जमानत मिलने के फौरन बाद मलिंगा ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकारी अधिकारी अपनी सीमा लांघेंगे तो वह और उनके लोग भी ऐसा ही करेंगे.
मेरी लड़ाई जनता के लिए है. अगर किसी ने मेरे लोगों को परेशान करने की हिम्मत की या उन्हें बुरी नजर से देखा तो मैं उनकी आंखें निकाल लूंगा.गिर्राज सिंह मलिंगा, विधायक, कांग्रेस
13 अगस्त 2023 को मामले के चश्मदीद जसपाल सिंह की शिकायत पर बाड़ी पुलिस स्टेशन में एक और FIR दर्ज की गई. जसपाल ने विधायक मलिंगा के साथियों पर अदालत में गवाही देने से रोकने के लिए धमकी देने का आरोप लगाया.
इस लेख के छपने तक, मामले के संबंध में कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है.
जाति, सत्ता और अपराध: धौलपुर में क्या चल रहा?
राजस्थान का सबसे पूर्वी और सबसे छोटा जिला, धौलपुर चंबल नदी के तट पर बसा है और इसकी सीमा मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से लगती है.
हर्षाधिपति धौलपुर में अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताना शुरू करते हुए कहते हैं, “मैं जयपुर में पला-बढ़ा हूं और अपने परिवार में सरकारी नौकरी पाने वाला इकलौता शख्स हूं. इसलिए जब मुझे बताया गया कि मुझे बाड़ी में तैनात किया जाएगा, तो मैं खुश हो उठा और सोचा कि मुझे ग्रामीण इलाकों में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा."
बाड़ी के आसपास के कुछ गांवों के लोग सोचते हैं कि मुफ्त बिजली उनका अधिकार है और अगर राज्य सरकार इसे नहीं दे रही है, तो वे अवैध रूप से चुरा सकते हैं या बार-बार चेतावनी देने के बावजूद बिल का भुगतान नहीं करेंगे. स्थानीय विधायक चुनाव प्रचार करते समय उनसे वादा करते हैं कि चाहे जो भी हो वे सुनिश्चित करेंगे कि गांव वालों से बिजली बिलों का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जाएगा. ऐसी हालत में अगर कोई सरकारी अधिकारी, वह भी एक दलित, गांव में जाता है और उनसे बिलों का भुगतान करने के लिए कहता है, तो निश्चित रूप से यह उन्हें अच्छा नहीं लगेगा.हर्षाधिपति
हर्षाधिपति, जिनके पिता पहले कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं, कहते हैं कि उन्हें पता था कि इस इलाके में अपना काम करने से वह लोगों की दुश्मनी ही मोल लेंगे, लेकिन उनके साथ जो हुआ उसकी तो उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
मैंने गांव वालों से बात करने की कोशिश की, उनसे कायदे से बात की, लेकिन फिर भी उन्होंने बिलों का भुगतान नहीं किया, तो हमें कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा. मैं रोजाना जातिवाद झेलने का आदी था, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि वे मेरी जान लेने पर उतारू हो जाएंगे. इस घटना से कई हफ्ते पहले, हमारे ‘ठाकुर गांव में दाखिल’ होने से परेशान कुछ लोगों ने मुझे और मेरी टीम को धमकाने की कोशिश की थी. ऐसी घटनाएं आम थीं और मैं इनका आदी हो गया था.हर्षाधिपति
जातिवादी अत्याचार के कई और मामले हैं
हर्षाधिपति का मामला अकेला नहीं है. पिछले कुछ सालों में राजस्थान ने अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सबसे असुरक्षित राज्यों में से एक होने की कुख्याति हासिल की है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 2021 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार के 7,524 मामले, 2020 में 6,895 मामले, 2019 में 6,659 मामले और 2018 में 4,490 मामले दर्ज किए गए.
इससे भी बड़ी बात यह है कि मामलों की बढ़ती संख्या के बावजूद सजा की दर बहुत कम है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री (MoS) रामदास अठावले के लोकसभा में दिए जवाब के अनुसार, अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध पर सजा की गिनती 2020 में 572, 2019 में 927 और 2018 में 597 थी— जिसका मतलब है कि सजा की दर 13 प्रतिशत से भी कम है.
हाल के सालों में, राजस्थान में जातीय अत्याचारों की कई घटनाओं ने देश भर में गुस्सा पैदा किया है. अगस्त 2022 में “ऊंची जाति के शिक्षकों के लिए रिजर्व” मिट्टी के बर्तन से पानी पीने पर 9 साल के दलित बच्चे इंद्र मेघवाल की उसके स्कूल शिक्षक द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद उसकी मौत हो गई थी.
इसी तरह मार्च 2022 में पाली जिले में 28 साल के जितेंद्र मेघवाल के कथित तौर पर “ऊंची जातियों” जैसी लाइफस्टाइल की ख्वाहिश रखने के कारण चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी.
2023 का चुनाव और ‘दलित घोषणापत्र’
दलित अधिकार एक्टिविस्ट भंवर मेघवंशी कहते हैं, "इंद्र मेघवाल और जितेंद्र मेघवाल जैसे मामलों में जो हुआ, उससे मतदाताओं में बहुत गुस्सा है."
मेघवंशी उस कमेटी का हिस्सा थे जिसने राज्य विधानसभा चुनावों से पहले ‘दलित घोषणापत्र’ का मसौदा तैयार किया था. घोषणापत्र अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान (AJAAR) नाम के एक ग्रुप द्वारा राज्य भर में एक महीने की यात्रा के बाद तैयार किया गया था. इसमें दलितों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय, भूमि संसाधन, दलित महिलाओं की सुरक्षा और सरकारी एजेंसियों की भूमिका सहित अन्य मुद्दों से जुड़ी कई मांगों और सुझावों को शामिल किया गया है.
2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान की आबादी में 17.8 फीसद दलित हैं और 34 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2018 में, कांग्रेस ने इन 34 सीटों में से 19 सीटें जीतीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 12 सीटें जीतीं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी 4 फीसद वोट और छह सीटें जीतीं. हालांकि, बाद में सभी छह बीएसपी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए.
महीने भर चली AJAAR यात्रा में शामिल होने वाले मेघवंशी ने क्विंट हिंदी को बताया कि कई कार्यकर्ता अलग-अलग पार्टियों द्वारा मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों की जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि क्या वे दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में शामिल रहे थे. वह कहते हैं, “इसके बाद हम पार्टियों से इनकी उम्मीदवारी वापस लेने की मांग करेंगे.”
इस बीच जयपुर में हर्षाधिपति को लगभग पक्का यकीन है कि मलिंगा को चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिलेगा.
वह कहते हैं. “मुझे अचंभा नहीं होगा अगर उन्हें टिकट दिया जाता है. इन 19 महीनों में मैंने जो सीखा है वह यह है कि हमारी जिंदगी के कोई मायने नहीं हैं. अगर मेरे जैसे एक सरकारी नौकरी करने वाले शिक्षित दलित के साथ ऐसा हो सकता है, तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि उन लोगों के साथ क्या होता होगा जो वंचित लोग हैं. कम से कम मैं केस दर्ज कराने में सक्षम था. उनके साथ जो अत्याचार किया गया, शायद कभी दर्ज भी नहीं हुआ होगा.”
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