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राजस्थान: कैसा रहा वसुंधरा का प्रदर्शन? कितने समर्थक जीते और कितनों को मिली हार?

Rajasthan Election Result 2023: वसुंधरा राजे के करीब 15 समर्थक नेता निर्दलीय चुनाव में उतरे थे.

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Rajasthan Election Result 2023: राजस्थान में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ है. पांच साल से विपक्ष में बैठी बीजेपी इस बार राज्य की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ काबिज होने जा रही है. जीत तय हो गई लेकिन जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, ये अभी तय होना बाकी है. इस बीच, राजस्थान में बीजेपी की दिग्गज नेता और दो बार की सीएम वसुंधरा राजे को लेकर चर्चा तेज है. राजे को बीजेपी दोबारा सीएम बनाएगी या नहीं, ये अभी तय होना बाकी है. लेकिन राजस्थान चुनाव में वसुंधरा का प्रदर्शन कैसा रहा है, आइये आपको बताते हैं.

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राजे के 15 से अधिक समर्थक निर्दलीय चुनाव लड़े

जानकारी के अनुसार, बीजेपी ने इस बार के चुनाव में वसुंधरा के कई करीबियों को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद 15 से अधिक राजे समर्थक नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे. अब तक आए आकंड़ों को देखें को बीजेपी के टिकट और निर्दलीय मैदान में उतरे करीब 80 फीसदी से अधिक राजे समर्थकों को चुनाव में जीत मिली है.

कालीचरण सराफ, ओटाराम देवासी, कुलदीप धनकड़ और राज्यवर्धन जीते

इसमें सबसे पहला नाम है मालवीय नगर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े कालीचरण सराफ का, जो 35494 वोटों से जीतकर विधायक बने. इसके बाद ओटाराम देवासी का नाम है, जो सिरोही से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और करीब 35805 वोटों से जीत हासिल की.

विराटनगर से बीजेपी के टिकट पर वसुंधरा राजे के करीबी कुलदीप धनकड़ 17589 वोटों से चुनाव जीते हैं.

भवानी सिंह-कैलाश मेघवाल हारे

चित्तौड़गढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी और वसुंधरा राजे के करीबी चंद्रभान सिंह चौहान 6823 वोटों से और डीडवाना से यूनुस खान 2392 वोट से चुनाव जीते हैं. हालांकि, सीकर से रतनलाल जलधारी, लाडपुरा से निर्दलीय भवानी सिंह राजावत और शाहपुरा से निर्दलीय कैलाश मेघवाल चुनाव हार गये हैं. ये तीनों नेता वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं.

राजे ने की 60 से अधिक चुनावी सभाएं

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वसुंधरा राजे ने अपने समर्थकों के पक्ष में करीब 60 चुनावी सभाएं की है और उसमें से ज्यादातर प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधायक बने हैं. हालांकि, ये नेता कितना वसुंधरा के पक्ष में माहौल बना पाएंगे, ये एक- दो दिन में साफ हो जाएगा. लेकिन इन नतीजों से एक बात साफ हो गयी है कि वसुंधरा राजे आज भी राजस्थान की सियासत में मौजूं हैं और उन्हें दरकिनार करना प्रदेश में इतना आसान नहीं है.

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